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लॉकडाउन गया खुल, रोडवेज बसें नहीं हो रहीं फुल

अनलॉक-1.0 में यूं तो उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें अब संचालित हो रही हैं. वहीं ऐसे में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों को पर्याप्त संख्या में यात्रियों के नहीं मिलने से खासा घाटा भी झेलना पड़ रहा है. अकेले बुलन्दशहर जिले की बात करें तो यहां तीन डिपो हैं और हर दिन सामान्य दिनों की तुलना में करीब 20 लाख रुपये का घाटा झेलना पड़ रहा है.

बुलंदशहर
परिवहन निगम
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Published : Jun 24, 2020, 8:38 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: कोरोना महामारी को मात देने के लिए देश भर में पहले लॉकडाउन और उसके बाद फिर 1 जून से अनलॉक-1.0 की घोषणा की गई. अनलॉक-1.0 के बाद से सूबे की सरकार की ओर से परिवहन निगम की बसों के संचालित करने के आदेश के बाद से लगातार देखा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें सड़कों पर फर्राटा तो भर रही हैं, लेकिन बसों में यात्री नाम मात्र के ही नजर आते हैं. कई बार तो कई बसों को चालक और परिचालक एक दो यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ भाग करते देखे जा सकते हैं.

रोजाना 5 से 6 लाख का नुकसान झेल रहा खुर्जा डिपो
खुर्जा डिपो के पास रिकॉर्ड में 80 बसे हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 35 बसें ही संचालित हैं. खुर्जा डिपो के एआरएम एनके वर्मा ने बताया कि अगर ऐसे में औसत की बात की जाए तो जहां पहले सामान्य दिनों में हर दिन करीब 10 से 11 लाख रुपये का राजस्व खुर्जा डिपो को प्राप्त होता था, वहीं अब हालात जुदा हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हर दिन करीब 6 लाख रुपये का राजस्व कम प्राप्त हो रहा है. वर्तमान में हर दिन करीब 4 से पौने पांच लाख रुपये ही बसों के संचालन से प्राप्त हो पा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जो बसें संचालित हैं, उन्हें भी पर्याप्त यात्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.

बुलंदशहर डिपो के राजस्व में रोज करीब 8 लाख की गिरावट
बुलंदशहर डिपो के एआरएम धीरज पंवार ने बताया कि जिले में पहले हर दिन करीब 13 लाख से 14 लाख रुपये डिपो की बसों के जरिए प्राप्त होता था. वहीं वर्तमान में यात्रियों के न निकलने की वजह से यहां भी राजस्व में काफी गिरावट दर्ज की गई है. अनलॉक-1.0 में कोरोना की वजह से यात्री कम यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में हर दिन औसतन 5 लाख रुपये ही बसों के संचालन से मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस संकटकाल से पहले सामान्य दिनों में हर दिन करीब 13 से 14 लाख रुपये का कलेक्शन डिपो पर होता था.

सिकंदराबाद डिपो को रोजाना 5 लाख का नुकसान
सिकंदराबाद डिपो में 64 बसें हैं, लेकिन वर्तमान में 30 से 35 बसें ही चल पा रही हैं. यहां भी कोरोना काल से पहले रोजाना जहां करीब 8 लाख रुपये का राजस्व बसों के संचालन से डिपो को प्राप्त होता था, वहीं वर्तमान में सिर्फ औसतन 3 लाख रुपये ही सिकंदराबाद डिपो की बसों के संचालन से जुट पा रहा है.

फिलहाल इस बारे में क्षेत्रीय सहायक प्रबंधक बुलंदशहर धीरज कुमार ने बताया कि जो बसें लंबे रूट की थीं, वे भी आधे रास्ते से ही वापस आ जा रही हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले कुछ बसें हल्द्वानी जाती थीं, वहीं वह अब बिलासपुर से वापस आ जाती हैं. वहीं जो बसें देहरादून जाती थीं, वे भी मुजफ्फरनगर तक ही जा पा रही हैं. इसी तरह से और भी काफी रूट हैं, जिन पर अब यात्री न होने की वजह से और अन्य तकनीकी कारणों की वजह के चलते बीच रास्तों से ही बसों को वापस लाना पड़ता है.

बुलंदशहर: कोरोना महामारी को मात देने के लिए देश भर में पहले लॉकडाउन और उसके बाद फिर 1 जून से अनलॉक-1.0 की घोषणा की गई. अनलॉक-1.0 के बाद से सूबे की सरकार की ओर से परिवहन निगम की बसों के संचालित करने के आदेश के बाद से लगातार देखा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें सड़कों पर फर्राटा तो भर रही हैं, लेकिन बसों में यात्री नाम मात्र के ही नजर आते हैं. कई बार तो कई बसों को चालक और परिचालक एक दो यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ भाग करते देखे जा सकते हैं.

रोजाना 5 से 6 लाख का नुकसान झेल रहा खुर्जा डिपो
खुर्जा डिपो के पास रिकॉर्ड में 80 बसे हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 35 बसें ही संचालित हैं. खुर्जा डिपो के एआरएम एनके वर्मा ने बताया कि अगर ऐसे में औसत की बात की जाए तो जहां पहले सामान्य दिनों में हर दिन करीब 10 से 11 लाख रुपये का राजस्व खुर्जा डिपो को प्राप्त होता था, वहीं अब हालात जुदा हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हर दिन करीब 6 लाख रुपये का राजस्व कम प्राप्त हो रहा है. वर्तमान में हर दिन करीब 4 से पौने पांच लाख रुपये ही बसों के संचालन से प्राप्त हो पा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जो बसें संचालित हैं, उन्हें भी पर्याप्त यात्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.

बुलंदशहर डिपो के राजस्व में रोज करीब 8 लाख की गिरावट
बुलंदशहर डिपो के एआरएम धीरज पंवार ने बताया कि जिले में पहले हर दिन करीब 13 लाख से 14 लाख रुपये डिपो की बसों के जरिए प्राप्त होता था. वहीं वर्तमान में यात्रियों के न निकलने की वजह से यहां भी राजस्व में काफी गिरावट दर्ज की गई है. अनलॉक-1.0 में कोरोना की वजह से यात्री कम यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में हर दिन औसतन 5 लाख रुपये ही बसों के संचालन से मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस संकटकाल से पहले सामान्य दिनों में हर दिन करीब 13 से 14 लाख रुपये का कलेक्शन डिपो पर होता था.

सिकंदराबाद डिपो को रोजाना 5 लाख का नुकसान
सिकंदराबाद डिपो में 64 बसें हैं, लेकिन वर्तमान में 30 से 35 बसें ही चल पा रही हैं. यहां भी कोरोना काल से पहले रोजाना जहां करीब 8 लाख रुपये का राजस्व बसों के संचालन से डिपो को प्राप्त होता था, वहीं वर्तमान में सिर्फ औसतन 3 लाख रुपये ही सिकंदराबाद डिपो की बसों के संचालन से जुट पा रहा है.

फिलहाल इस बारे में क्षेत्रीय सहायक प्रबंधक बुलंदशहर धीरज कुमार ने बताया कि जो बसें लंबे रूट की थीं, वे भी आधे रास्ते से ही वापस आ जा रही हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले कुछ बसें हल्द्वानी जाती थीं, वहीं वह अब बिलासपुर से वापस आ जाती हैं. वहीं जो बसें देहरादून जाती थीं, वे भी मुजफ्फरनगर तक ही जा पा रही हैं. इसी तरह से और भी काफी रूट हैं, जिन पर अब यात्री न होने की वजह से और अन्य तकनीकी कारणों की वजह के चलते बीच रास्तों से ही बसों को वापस लाना पड़ता है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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