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दिल्ली हिंसा में अब तक बुलंदशहर के तीन युवकों की मौत

दिल्ली हिंसा में बुलंदशहर के तीन युवकों की जान गई है. इसमें मंगलवार को डिबाई थाना क्षेत्र के शाहिद की मौत की खबर मिली थी. बुधवार को जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के साखनी गांव के अशफाख की मौत की खबर आई. वहीं गुरुवार को खानपुर क्षेत्र के शहबाज की मौत की भी खबर है.

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बुलंदशहर के तीन लोगों की मौत.
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Published : Feb 28, 2020, 6:28 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: दिल्ली हिंसा में अब तक 35 लोगों की मौत हो गई है. इनमें से तीन मृतक उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे. हिंसा वाले दिन दिल्ली के मुस्तफाबाद में खराद मशीन का काम करने वाला शहबाज लापता था. शहबाज सोमवार शाम को दुकान बंद करने पहुंचा था, लेकिन लौट कर घर नहीं आ सका. दंगाइयों ने शहबाज को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. गुरुवार को परिजनों को पता चला कि शहबाज का शव लावारिस के तौर पर अस्पताल में रखा है.

बुलंदशहर के तीन लोगों की मौत.

परिवार को जिस अनहोनी की आशंका सता रही थी, सूचना मिलने पर वह साफ हो गई. शहबाज बुलंदशहर के अमरपुर गांव का रहने वाला था. अपने परिवार और बच्चों के साथ दिल्ली के मुस्तफाबाद में मजदूरी कर चार पैसे कमाने के लिए गया था और वहां किराए का कमरा लेकर खराद मशीन पर मजदूरी करता था. शहबाज की हत्या की खबर ने परिवार को तो सदमा दे ही दिया, साथ ही पूरा गांव भी शहबाज की हत्या से सन्न है. परिजन कहते हैं कि आखिरकार हिंदू-मुसलमान के नाम पर यह नफरत और नफरत के चलते खून की होली कब तक खेली जाएगी.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या पहुंचे संजय राउत, कहा- भाजपा का शिवसेना से रिश्ता टूट चुका है

वहीं हिंसा वाले दिन के 4 दिन बाद डिबाई इलाके के भीमपुर गांव के शाहिद का शव सुपुर्द ए खाक कर दिया गया. वहीं जहांगीराबाद इलाके के साखनी गांव के अशफाक का शव अब तक परिजनों तक नहीं पहुंचा.

बुलंदशहर: दिल्ली हिंसा में अब तक 35 लोगों की मौत हो गई है. इनमें से तीन मृतक उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे. हिंसा वाले दिन दिल्ली के मुस्तफाबाद में खराद मशीन का काम करने वाला शहबाज लापता था. शहबाज सोमवार शाम को दुकान बंद करने पहुंचा था, लेकिन लौट कर घर नहीं आ सका. दंगाइयों ने शहबाज को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. गुरुवार को परिजनों को पता चला कि शहबाज का शव लावारिस के तौर पर अस्पताल में रखा है.

बुलंदशहर के तीन लोगों की मौत.

परिवार को जिस अनहोनी की आशंका सता रही थी, सूचना मिलने पर वह साफ हो गई. शहबाज बुलंदशहर के अमरपुर गांव का रहने वाला था. अपने परिवार और बच्चों के साथ दिल्ली के मुस्तफाबाद में मजदूरी कर चार पैसे कमाने के लिए गया था और वहां किराए का कमरा लेकर खराद मशीन पर मजदूरी करता था. शहबाज की हत्या की खबर ने परिवार को तो सदमा दे ही दिया, साथ ही पूरा गांव भी शहबाज की हत्या से सन्न है. परिजन कहते हैं कि आखिरकार हिंदू-मुसलमान के नाम पर यह नफरत और नफरत के चलते खून की होली कब तक खेली जाएगी.

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वहीं हिंसा वाले दिन के 4 दिन बाद डिबाई इलाके के भीमपुर गांव के शाहिद का शव सुपुर्द ए खाक कर दिया गया. वहीं जहांगीराबाद इलाके के साखनी गांव के अशफाक का शव अब तक परिजनों तक नहीं पहुंचा.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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