बुलंदशहर: जिले में सदर सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी रोचक हो चुका है. 30 साल से भाजपा में रहीं डॉक्टर उर्मिला राजपूत ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर दिखाया है. इस उपचुनाव में वह प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती दे रही हैं. उनका कहना है कि तीस साल तक सेवा करने पर भी उन्हें भाजपा ने महत्व नहीं दिया. बता दें, डॉक्टर उर्मिला राजपूत बुलंदशहर उपचुनाव में मजबूती से ताल ठोंक रही हैं और लोध राजपूत बिरादरी की जिले में मजबूत नेता मानी जाती हैं.
राष्ट्रीय क्रांति पार्टी प्रत्याशी उर्मिला राजपूत उत्तर प्रदेश में रिक्त पड़ी विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही हैं, प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार भी काफी गति पकड़ता जा रहा है. अपने अपने पक्ष में प्रत्याशी माहौल बनाने में दिन रात एक किए हुए हैं. यूं तो बुलंदशहर में होने जा रहे उपचुनाव में 18 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी अपनी दावेदारी पेश किए हुए हैं, लेकिन जो प्रत्याशी प्रमुख रूप से यहां चुनावी मैदान में हैं. उनमें भाजपा, रालोद व सपा गठबंधन, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और भीम आर्मी सुप्रीमो की 6 माह पूर्व बनाई गई आजाद समाज पार्टी और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के प्रत्याशी प्रमुख तौर पर मैदान में हैं. सबसे खास और दिलचस्प बात यह है कि भाजपा में करीब 30 साल तक रहीं उर्मिला लोधी राजपूत ने बुलंदशहर में भाजपा से बगावत करके कड़े तेवर दिखा रही हैं.
बीजेपी ने नहीं दिया टिकट तो उपचुनाव में उतरीं उर्मिलाभाजपा से बगावत करके राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से उर्मिला राजपूत ने इस उपचुनाव में मैदान में उतरकर भाजपा पर तमाम आरोप भी लगाए हैं. उर्मिला लोधी राजपूत का कहना है कि उन्होंने उपचुनाव के लिए पार्टी से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उनकी अनदेखी की. साथ ही उर्मिला लोधी ने बीजेपी पर परिवारवाद का आरोप भी लगाया. उर्मिला लोधी राजपूत का कहना है कि लोधी राजपूत बिरादरी लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी का साथ देती आई है, लेकिन भाजपा को इस बिरादरी के सिर्फ वोट चाहिए.
बागी होने की यह है वजह?बुलंदशहर में लोधी राजपूत बिरादरी में अपना अलग कद रखने वाली उर्मिला लोधी राजपूत के बागी होने के पीछे भी कई वजह हैं. वह कहती हैं कि उन्होंने 30 साल भारतीय जनता पार्टी की सेवा की. दो बार जिला पंचायत सदस्य रहीं. वह कहती हैं पूर्व में उन्होंने नगरपालिका चेयरमैन के लिए दावेदारी दिखाते हुए टिकट मांगा, लेकिन पार्टी ने उनकी अनदेखी की. एमएलसी के लिए उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा तो भी पार्टी ने अनसुना कर दिया. अब वह पार्टी से विधानसभा लड़ना चाहती थीं, अब भी भाजपा ने उन पर ध्यान नहीं दिया.उर्मिला राजपूत का आरोप है कि बीजेपी में भी अब और पार्टियों की तरह ही परिवारवाद बढ़ गया है और यहां भी पार्टी अपनी लाइन से भटक गई है. उनका कहना है कि वह इस बार पार्टी को सबक सिखा देंगी. बीजेपी से बगावत के बाद अब राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से वो चुनाव मैदान में हैं. उर्मिला राजपूत ने कहा कि लोध राजपूत बिरादरी को न ही तो अब संगठन में कोई खास तवज्जो दी जा रही है और न ही प्रदेश में 22 विधायक होने के बावजूद एक भी कैबिनेट मिनिस्टर तक लोध बिरादरी के नहीं है.
पीएचडी हैं उर्मिला राजपूत लोधी
डॉ उर्मिला लोधी राजपूत दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं. पार्टी में महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. साथ ही महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर उन्होंने उपचुनाव में उतरने का फैसला लिया था. शिक्षा की अगर बात की जाए तो पेशे से प्रधानाचार्य उर्मिला राजपूत पीएचडी होल्डर हैं.
निर्णायक स्थिति में हैं लोधी राजपूत मतदाता
बुलंदशहर सीट की अगर बात की जाए तो यहां लोधी राजपूत निर्णायक स्थिति में है. अगर ऐसे में उर्मिला लोधी राजपूत ने अपने समाज के लोगों को साथ लिया तो भाजपा की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. हालांकि उनके उपचुनाव में उतरने से सिर्फ और सिर्फ बीजेपी को नुकसान संभव है ऐसे में भाजपा के सामने कड़ी चुनौती यहां है. वहीं भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र और एटा सांसद राजवीर सिंह लोध राजपूत मतदाताओं को साधने बुलंदशहर आये थे.
पिछले दिनों बुलंदशहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया था. उस वक्त खास बात यह थी कि मंच पर नेताओं के फोटो लगे हुए थे उनमें कहीं भी कल्याण सिंह या लोध राजपूत समाज के किसी नेता की तस्वीर नहीं थी. जिसे उर्मिला समाज के लोगों में पहुंचकर बार बार अवगत करा रही हैं.