बुलंदशहर : कुछ सालों पहले बुलंदशहर में करोड़ों के खर्च से एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की गई थी. इन सब सेंटर्स की जो बिल्डिंग्स बनाई गईं थीं, वे आज धराशायी हो चुकी हैं. इन सेंटर्स पर कभी संबंधित स्टाफ नहीं पहुंचा और न ही इनकी तरफ कभी स्वास्थ्य विभाग ने मुंह करके देखा. यही वजह है कि ये सभी सेंटर्स पूरी तरह से बदहाल हो चले हैं. सरकार का करोड़ों रुपया लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है. पेश है बुलंदशहर से ईटीवी भारत की पड़ताल की विशेष रिपोर्ट-
गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बुलंदशहर में करीब 344 एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की थी. जिन सब सेंटर्स से जिले के सभी गांवों को जोड़ा गया था, वहीं आज बदहाली के आंसू बहाते देखे जा सकते हैं. शराब की बोतलें, गंदगी का अंबार और टूटे खिड़की-दरवाजे और दीवारें इस बात की गवाह हैं कि यहां शायद ही कोई स्वास्थ्यकर्मी किसी का इलाज करता हो या किसी सरकारी योजना का लाभ यहां से किसी को मिला हो.
बुलंदशहर के ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि गांव में जो तमाम सरकारी योजनाएं स्वास्थ्य संबंधी चला करती हैं टीकाकरण अभियान हो या चाहे अन्य प्रोग्राम, वे यहां पर पूरी हों, लेकिन इन बिल्डिंग्स में न तो कभी कोई कर्मचारी आया और न ही कभी यहां पटी गंदगी को साफ करवाया गया. ये सेंटर्स आज जुआरियों के अड्डे और शराबियों के मयखाने बनकर रह गए हैं.
गंदगी का अंबार लगे होने से ये भूतिया बंद पड़े घर की तरह ही दिखते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इनका कभी उपयोग हुआ ही नहीं. कभी कोई कर्मचारी नहीं आया. गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए तमाम जगह शिकायत भी की, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ.
इस बारे में बुलंदशहर के सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी का कहना है कि जो एएनएम उप केंद्र बनाए गए थे, वो गांव के बाहर स्थापित किए गए. सुरक्षा के लिहाज से एएनएम हों या फिर कोई भी स्वास्थ्य महकमे से जुड़ा जिम्मेदार इन उपकेंद्रों पर इसीलिए रुख नहीं किया. हालांकि अब आगे ध्यान दिया जाएगा.
ये हालात जिले के किसी एक या दो उपकेंद्रों के नहीं हैं बल्कि जिलेभर में इन बदहाल एएनएम सब सेंटर्स को देखा जा सकता है.