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बुलंदशहर : इलाज तो दूर शराबियों के मयखाने बन गए हैं ANM सब सेंटर्स

गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बुलंदशहर में करीब 344 एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की थी. आज ये देख-रेख और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी की वजह से बदहाल हो गए हैं.

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Published : Apr 9, 2019, 11:25 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बदहाल पड़ा एएनएम सब सेंटर

बुलंदशहर : कुछ सालों पहले बुलंदशहर में करोड़ों के खर्च से एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की गई थी. इन सब सेंटर्स की जो बिल्डिंग्स बनाई गईं थीं, वे आज धराशायी हो चुकी हैं. इन सेंटर्स पर कभी संबंधित स्टाफ नहीं पहुंचा और न ही इनकी तरफ कभी स्वास्थ्य विभाग ने मुंह करके देखा. यही वजह है कि ये सभी सेंटर्स पूरी तरह से बदहाल हो चले हैं. सरकार का करोड़ों रुपया लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है. पेश है बुलंदशहर से ईटीवी भारत की पड़ताल की विशेष रिपोर्ट-

सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी ने कहा- लिया जाएगा संज्ञान.

गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बुलंदशहर में करीब 344 एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की थी. जिन सब सेंटर्स से जिले के सभी गांवों को जोड़ा गया था, वहीं आज बदहाली के आंसू बहाते देखे जा सकते हैं. शराब की बोतलें, गंदगी का अंबार और टूटे खिड़की-दरवाजे और दीवारें इस बात की गवाह हैं कि यहां शायद ही कोई स्वास्थ्यकर्मी किसी का इलाज करता हो या किसी सरकारी योजना का लाभ यहां से किसी को मिला हो.

बुलंदशहर के ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि गांव में जो तमाम सरकारी योजनाएं स्वास्थ्य संबंधी चला करती हैं टीकाकरण अभियान हो या चाहे अन्य प्रोग्राम, वे यहां पर पूरी हों, लेकिन इन बिल्डिंग्स में न तो कभी कोई कर्मचारी आया और न ही कभी यहां पटी गंदगी को साफ करवाया गया. ये सेंटर्स आज जुआरियों के अड्डे और शराबियों के मयखाने बनकर रह गए हैं.
गंदगी का अंबार लगे होने से ये भूतिया बंद पड़े घर की तरह ही दिखते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इनका कभी उपयोग हुआ ही नहीं. कभी कोई कर्मचारी नहीं आया. गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए तमाम जगह शिकायत भी की, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ.

इस बारे में बुलंदशहर के सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी का कहना है कि जो एएनएम उप केंद्र बनाए गए थे, वो गांव के बाहर स्थापित किए गए. सुरक्षा के लिहाज से एएनएम हों या फिर कोई भी स्वास्थ्य महकमे से जुड़ा जिम्मेदार इन उपकेंद्रों पर इसीलिए रुख नहीं किया. हालांकि अब आगे ध्यान दिया जाएगा.

ये हालात जिले के किसी एक या दो उपकेंद्रों के नहीं हैं बल्कि जिलेभर में इन बदहाल एएनएम सब सेंटर्स को देखा जा सकता है.

बुलंदशहर : कुछ सालों पहले बुलंदशहर में करोड़ों के खर्च से एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की गई थी. इन सब सेंटर्स की जो बिल्डिंग्स बनाई गईं थीं, वे आज धराशायी हो चुकी हैं. इन सेंटर्स पर कभी संबंधित स्टाफ नहीं पहुंचा और न ही इनकी तरफ कभी स्वास्थ्य विभाग ने मुंह करके देखा. यही वजह है कि ये सभी सेंटर्स पूरी तरह से बदहाल हो चले हैं. सरकार का करोड़ों रुपया लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है. पेश है बुलंदशहर से ईटीवी भारत की पड़ताल की विशेष रिपोर्ट-

सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी ने कहा- लिया जाएगा संज्ञान.

गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बुलंदशहर में करीब 344 एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की थी. जिन सब सेंटर्स से जिले के सभी गांवों को जोड़ा गया था, वहीं आज बदहाली के आंसू बहाते देखे जा सकते हैं. शराब की बोतलें, गंदगी का अंबार और टूटे खिड़की-दरवाजे और दीवारें इस बात की गवाह हैं कि यहां शायद ही कोई स्वास्थ्यकर्मी किसी का इलाज करता हो या किसी सरकारी योजना का लाभ यहां से किसी को मिला हो.

बुलंदशहर के ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि गांव में जो तमाम सरकारी योजनाएं स्वास्थ्य संबंधी चला करती हैं टीकाकरण अभियान हो या चाहे अन्य प्रोग्राम, वे यहां पर पूरी हों, लेकिन इन बिल्डिंग्स में न तो कभी कोई कर्मचारी आया और न ही कभी यहां पटी गंदगी को साफ करवाया गया. ये सेंटर्स आज जुआरियों के अड्डे और शराबियों के मयखाने बनकर रह गए हैं.
गंदगी का अंबार लगे होने से ये भूतिया बंद पड़े घर की तरह ही दिखते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इनका कभी उपयोग हुआ ही नहीं. कभी कोई कर्मचारी नहीं आया. गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए तमाम जगह शिकायत भी की, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ.

इस बारे में बुलंदशहर के सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी का कहना है कि जो एएनएम उप केंद्र बनाए गए थे, वो गांव के बाहर स्थापित किए गए. सुरक्षा के लिहाज से एएनएम हों या फिर कोई भी स्वास्थ्य महकमे से जुड़ा जिम्मेदार इन उपकेंद्रों पर इसीलिए रुख नहीं किया. हालांकि अब आगे ध्यान दिया जाएगा.

ये हालात जिले के किसी एक या दो उपकेंद्रों के नहीं हैं बल्कि जिलेभर में इन बदहाल एएनएम सब सेंटर्स को देखा जा सकता है.

Intro:वर्षों पहले बुलंदशहर में करोड़ों खर्च के एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की गई थी बिल्डिंग भी बनी और धराशाई भी हो गई, लेकिन न हीं तो इन सब सेंटर्स पर कभी संबंधित स्टाफ ही पहुंचा और ना ही उनकी तरफ कभी स्वास्थ्य विभाग ने मुंह कर के ही देखा ,यही वजह है कि यह सभी सेंटर्स पूरी तरह से बदहाल हो चले हैं,आलम ये है कि ये सभी केंद्र जर्जर हो चले हैं ,सरकार का करोड़ों रुपया जैसे लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है बुलंदशहर से ईटीवी की पड़ताल पूर्ण यह एक्सक्लूसिव खबर ।


Body:गांव गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बुलन्दशहर जिले में करीब 344 एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना की थी, और इन सब सेंटर से जोड़ा गया था जिले के सभी गावों को यह सभी सबसेंटर बदहाली के आंसू बहाते देखे जा सकते हैं, आलम यह है कि जिस उम्मीद और इरादे के साथ इनकी स्थापना हुई ,व्व कभी हुआ ही नहीं,शराब की बोतलें, गंदगी के अंबार और टूटे खिड़की दरवाजे और दीवारें गवाह हैं इस बात का कि यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी शायद ही किसी का इलाज करता हो या किसी सरकारी योजना का लाभ यहां से किसी को मिला हो, दरअसल बुलंदशहर के ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम सब सेंटर्स की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि गांव में जो तमाम सरकारी योजनाएं स्वास्थ्य संबंधी चला करती हैं, टीकाकरण अभियान हो चाहे अन्य प्रोग्राम उनके लिए शासन के द्वारा बिल्डिंग जिलेभर में बनाई गई थीं,लेकिन बिल्डिंग में ना ही तो कभी कोई कर्मचारी आया और ना ही कभी इन जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुकी गंदगी के अंबार से अटी चारदीवारी की तरफ किसी अधिकारी ने हीं रुख किया , यही वजह है कि यह सभी जैसे जुआरियों के अड्डे और शराबियों के मैखाने बनकर रह गए हैं ,आलम यह है कि यहां न सिर्फ गन्दगी के अंबार लगे हुए हैं बल्कि ,अब तो ये किसी पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्म के भूतहा बन्द पड़े घर की तरह ही दिखता है,ग्रामीणों का कहना है कि इनका कभी उपयोग हुआ ही नहीं ,इनमें कभी कोई कर्मचारी आया ही नहीं,गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए तमाम जगह शिकायत भी की ,लेकिन बेसुध अधिकारियों और उनके लापरवाही पूर्ण लचर रवैय्ये के चलते कोई बदलाव नहीं हुआ, बाइट....ग्रामीण युवक,जटापुर गांव के एएनएम सब सेंटर से। इस बारे में बुलन्दशहर के सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी जरूर सफाई देते हुए नजर आते हैं ,उनका कहना है कि जो एएनएम उप केंद्र बनाये गए थे ,इन पर एएनएम के न जाने की वजह सिर्फ ये थी कि ये गांव के बाहर स्थापित किये गए और सुरक्षा के लिहाज से एएनएम हों या फिर कोई भी स्वास्थ्य महकमे से जुड़ा जिम्मेदार इन उपकेंद्रों पर एएनएम एवम स्वास्थ्य कर्मी कार्यकत्रियों ने सिर्फ इसलिए रूख नहीं किया क्योंकि अकेले गांव के बाहर बनाये गए इन केंद्रों पर सुरक्षा के मद्देनजर महिला कार्यकत्रियों का जाना संभव नहीं था,हालांकि अब सीएमओ का कहना है कि वो इस तरफ ध्यान देंगे। बाइट--कैलाश नाथ तिवारी,सीएमओ..बुलन्दशहर ।


Conclusion:काबिलेगौर है कि ये हालात जिले के किसी एक या दो उपकेंद्रों के नहीं हैं, बल्कि जिलेभर में इन बदहाल एएनएम सब सेंटर्स को देखा जा सकता है। पीटीसी....श्रीपाल तेवतिया,बुलन्दशहर ।
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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