बुलंदशहर: कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए देश में लॉकडाउन लागू है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. देश के कोने-कोने में फंंसे प्रवासी मजदूर घर जाने के लिए निकल पड़े हैं. कोई पैदल ही हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर रहा है तो कोई साइकिल से ही हजारों किलोमीटर की दूरी माप रहा है. बुलंदशहर में ईटीवी भारत संवाददाता ने पंजाब और हरियाणा से लौटने वाले पूर्वी यूपी समेत बिहार जाने वाले लोगों से बातचीत की तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए.
लॉकडाउन के समय परेशानियां झेल रहे प्रवासी मजदूरों की कई लोग सहायता कर रहे हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों की तादाद में प्रतिदिन इजाफा हो रहा है. पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग जगहों से वापस लौट रहे मजदूरों ने जो बातें बताई, उसे सुनकर तकलीफ हुई. रास्ते में जा रहे मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन से उन्हें बहुत तकलीफें झेलनी पड़ी. रास्ते में जो खाने-पीने का सामान बचा था, वह सब खत्म हो गया. भूखे मरने की नौबत आई है. अब क्या किया जाए पता नहीं. हम सब बेरोजगार हो गए हैं.
रायबरेली जाने वाले प्रवासी मजदूर नरेश ने बताया कि हरियाणा सरकार ने उन्हें मदद का भरोसा दिया था. बार-बार वादे किए और 10 बार फार्म भरवाया, लेकिन सिर्फ फॉर्म ही भरा गया. न ही कोई खाद्यान्न उपलब्ध हुआ और न ही भोजन की व्यवस्था की गई. भटिंडा से हरदोई के लिए निकले एक बुजुर्ग ने बताया कि मालिक ने उन्हें बुलाया और कह दिया कि आप यहां से चले जाओ. कल तक रोजगार का तमगा लिए काम कर रहे बुजुर्ग एक मिनट में बेरोजगार हो गए. इन बेबसों की बातें सुनकर प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार द्वारा उठाए कदम महज कागजी बातें लगती हैं.