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बुलंदशहर: कैसे होगा इलाज, जब सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं डॉक्टर - medical staff crisis

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सरकारी अस्पतालों में अपर्याप्त स्टाफ की वजह से आने वाले मरीजों को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विशेषज्ञों की कमी भी जिला अस्पतालों में बनी हुई है.

जिला अस्पताल पर अपर्याप्त स्टाफ.
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Published : Oct 17, 2019, 5:19 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ न होने के चलते आए दिन मरीजों को दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है. जिला अस्पताल समेत जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी पर भी स्टाफ की कमी बरकरार बनी हुई है. जिले में विशेषज्ञों की तो भारी कमी है. वहीं डॉक्टर्स के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी खासी कमी बनी हुई है, ऐसे में सरकारी हॉस्पिटल डॉक्टर्स के सहारे कम रामभरोसे ज्यादा चलते दिख रहे हैं.

जिला अस्पताल पर अपर्याप्त स्टाफ.


इसे भी पढ़ें-गाजियाबाद पुलिस ने फरार चल रहे 25 हजार के इनामी बदमाश को मुठभेड़ के बाद किया गिरफ्तार

  • देश भर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है.
  • बुलंदशहर में 13 सीएचसी 5 पीएचसी और 58 एडिशनल पीएचसी हैं.
  • जिला अस्पताल पर पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से आने वाले मरीजों को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है .
  • विशेषज्ञ की कमी भी जिला अस्पताल से लेकर तमाम जिले में सरकारी हॉस्पिटल में बनी हुई है.
  • सीमित संसाधनों में भी बेहतर सुविधा देने की बात यहां जिला मुख्यालय पर स्थित बाबू बनारसी दास जिला चिकित्सालय के सीएमएस कर रहे हैं.
  • जिले में विशेषज्ञ डॉक्टरों और सर्जन्स की कमी के चलते हायर सेंटर के लिए मरीज को रेफर किया जाता है.

सर्जन या आर्थोपेडिक सर्जन यहां डॉक्टर्स का खासा टोटा बना हुआ है. मजबूरीवश फर्स्ट एड देने के बाद यहां के सरकारी अस्पतालों से हर रोज मरीजों को रेफर कर दिया जाता है . क्योंकि यहां अपर्याप्त स्टाफ है.
-कैलाश नाथ तिवारी, सीएमओ


लंबे समय से डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं. इतना ही नहीं कई बार तो अगर कोई सर्जरी का केस हो या फिर और कोई गंभीर बीमारी हो हायर सेंटर रेफर मरीज को करना पड़ता है.
- रामबीर सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

बुलंदशहर: सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ न होने के चलते आए दिन मरीजों को दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है. जिला अस्पताल समेत जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी पर भी स्टाफ की कमी बरकरार बनी हुई है. जिले में विशेषज्ञों की तो भारी कमी है. वहीं डॉक्टर्स के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी खासी कमी बनी हुई है, ऐसे में सरकारी हॉस्पिटल डॉक्टर्स के सहारे कम रामभरोसे ज्यादा चलते दिख रहे हैं.

जिला अस्पताल पर अपर्याप्त स्टाफ.


इसे भी पढ़ें-गाजियाबाद पुलिस ने फरार चल रहे 25 हजार के इनामी बदमाश को मुठभेड़ के बाद किया गिरफ्तार

  • देश भर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है.
  • बुलंदशहर में 13 सीएचसी 5 पीएचसी और 58 एडिशनल पीएचसी हैं.
  • जिला अस्पताल पर पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से आने वाले मरीजों को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है .
  • विशेषज्ञ की कमी भी जिला अस्पताल से लेकर तमाम जिले में सरकारी हॉस्पिटल में बनी हुई है.
  • सीमित संसाधनों में भी बेहतर सुविधा देने की बात यहां जिला मुख्यालय पर स्थित बाबू बनारसी दास जिला चिकित्सालय के सीएमएस कर रहे हैं.
  • जिले में विशेषज्ञ डॉक्टरों और सर्जन्स की कमी के चलते हायर सेंटर के लिए मरीज को रेफर किया जाता है.

सर्जन या आर्थोपेडिक सर्जन यहां डॉक्टर्स का खासा टोटा बना हुआ है. मजबूरीवश फर्स्ट एड देने के बाद यहां के सरकारी अस्पतालों से हर रोज मरीजों को रेफर कर दिया जाता है . क्योंकि यहां अपर्याप्त स्टाफ है.
-कैलाश नाथ तिवारी, सीएमओ


लंबे समय से डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं. इतना ही नहीं कई बार तो अगर कोई सर्जरी का केस हो या फिर और कोई गंभीर बीमारी हो हायर सेंटर रेफर मरीज को करना पड़ता है.
- रामबीर सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

Intro:बुलंदशहर में सरकारी अस्पतालों में अपर्याप्त स्टाफ होने के चलते आए दिन मरीज़ों को दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है और ऐसा लंबे समय से होता आ रहा है कि जिला अस्पताल समेत जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी पर भी स्टाफ की कमी बरकरार बनी हुई है। जिले में विशेषज्ञों की तो भारी कमी है वही डॉक्टर्स के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी खासी कमी बनी हुई है, ऐसे में सरकारी हॉस्पिटल डॉक्टर्स के सहारे कम रामभरोसे ज्यादा चलते दिख रहे हैं देखिए ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट ।


Body:यूं तो आए दिन सुना जाता है कि प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है, लेकिन अगर बात की जाए बुलंदशहर जिले की तो बुलंदशहर में 13 सीएचसी 5 पीएचसी और 58 एडिशनल पीएचसी हैं, साथ में जिला मुख्यालय पर स्थित जिला अस्पताल भी है, लेकिन यहां अपर्याप्त स्टाफ की वजह से आने वाले मरीजों को आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ,आलम यह है कि अगर कोई मरीज किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में अपनी परेशानी के साथ यह सोच कर जाता है कि उसे वहां इलाज मिल पाएगा तो कई बार मरीजों को लेकर उनके तीमारदार परिजनों को उल्टे पांव वहां से लौटना होता है ,व मजबूरीवश रूख करना पड़ता है निजी हॉस्पिटल्स का ,जिसकी वजह है सरकारी हॉस्पिटल में अपर्याप्त डॉक्टर्स की कमी ।इतना ही नहीं विशेषज्ञ की कमी भी जिला अस्पताल से लेकर तमाम जिले में सरकारी हॉस्पिटल में बनी हुई है, तो वहीं इससे नुकसान होता है उस परिवार का जो परिवार यह सोचकर सरकारी अस्पताल में आता है कि उसे वहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी , लेकिन सीमित संसाधनों में भी बेहतर सुविधा देने की बात यहां जिला मुख्यालय पर स्थित बाबू बनारसी दास जिला चिकित्सालय के सीएमएस कर रहे हैं, सीएमएस रामवीर सिंह का कहना है कि लंबे समय से डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं और इतना ही नहीं कई बार तो अगर कोई सर्जरी का केस हो या फिर और कोई गंभीर बीमारी हो हायर सेंटर रेफर मरीज को करना पड़ता है । यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिले में विशेषज्ञ चिकितश्कों ,और सर्जन्स की कमी के चलते हायर सेंटर के लिए मरीज को रेफर किया जाता है, यही वजह है कि सीएमओ कैलाशनाथ तिवारी कहते हैं कि सर्जन ही या आर्थोपेडिक सर्जन यहां डॉक्टर्स का खासा टोटा बना हुआ है,उन्होंने बताया कि मजबूरीवश फर्स्ट एड देने के बाद यहां के सरकारी अस्पतालों से हर रोज मरीज़ों को रेफर कर अन्यत्र कहीं के लिए सलाह दी जाती है,क्योंकि यहां अपर्याप्त स्टाफ है।यहां सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि एक बार अगर कोई मरीज गम्भीर अवस्था में है,तो विकल्प के तौर पर या तो अलीगढ़ या फिर मेरठ और या फिर दिल्ली,नोएडा,ग़ाज़ियाबाद ही विकल्प होते हैं ,औऱ सभी जगह काफी दूर बुलन्दशहर से पड़ती हैं,या यूं कहिये कि कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी तय मरीज को करनी पड़ती है। तो वहीं दिल्ली कम से कम लगभग 75 से 80 किलोमीटर है,तो वहीं मेरठ की दूरी भी 60 से 65 किलोमोटरके करीब है, यानी जिला मुख्यालय से इलाज को जाने वाले जरूरतमंद मरीज़ों की इलाज के अभाव में कई मर्तबा तो जान भी चली जाती है।


बाइट..केदारनाथ तिवारी,सीएमओ बुलन्दशहर,(फर्स्ट बाइट)

बाइट...रामबीर सिंह,मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,

पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888


Conclusion:श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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