बुलंदशहर: देश-विदेश में पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर खुर्जा का पॉटरी उद्योग दम तोड़ता नजर आ रहा है. यहां के उद्यमियों का दावा है कि यूपी सरकार भले ही 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना के तहत पॉटरी उद्योग को बढ़ावा देने का दम भर रही हो, लेकिन हालात पहले से और भी बदतर हो गए हैं.
खुर्जा में बने चीनी मिट्टी के उत्पादों ने बनाई दुनिया भर में पहचान
खुर्जा के पॉटरी उद्योग को एक जिला एक उत्पाद के तहत सरकार ने चुना था. उद्यमियों को आशा थी कि शायद वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट के आने से व्यापार में कुछ सुधार आएगा, लेकिन ये बातें महज कोरी ही रह गईं. चीनी मिट्टी के उत्पादों के लिए देश भर में अलग पहचान रखने वाले जिले की पॉटरी नगरी खुर्जा का हर जगह जलवा कायम है, जिसकी बड़ी वजह यहां के पॉटरी व्यावसायी ही हैं.
NGT के दिशा-निर्देश से गैस से चल रही पॉटरी
NGT के दिशा-निर्देशों के बाद अप्रैल के बाद से लगातार यहां की इंडस्ट्री को बदल दिया गया है, इसकी वजह से व्यापारियों के मुनाफे में भारी कमी आई है. व्यापारियों का कहना है कि कोयले से बनने वाले उत्पादों से उन्हें औसत लाभ हो जाता था, लेकिन अब महज मामूली फायदे से व्यवसाय को जिंदा रखा जा रहा है.
GST ने पॉटरी उद्योग को किया चौपट
चौपट होते धंधे पर सबसे ज्यादा असर महंगाई और GST का पड़ा है, जिसकी वजह से व्यापार में मंदी के बादल छाए हुए हैं. वहीं कामगारों को भारी संख्या में अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. पहले जहां एक इकाई में 100 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता था, अब वहीं महज 15 से 20 लोगों को ही रोजगार नसीब हो पा रहा है.
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट से नहीं मिला लाभ
नए उद्यमियों का कहना है कि पुश्तैनी व्यापार है, जिसको चलाना उनकी मजबूरी है, वरना फायदा महज न के बराबर ही है. उद्यमियों का मानना है कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में पॉटरी उद्योग को शामिल करने के बाद से ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया है. फिलहाल बदलती व्यवस्थाओं के बावजूद भी यहां के व्यवसायी और कामगार खासे परेशान नजर आ रहे हैं.