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बुलंदशहर हिंसा: एक साल पूरा होने पर ग्रामीणों ने कहा- तीन दिसंबर हमारे लिए काला दिवस
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में पिछले साल हुई हिंसा का एक साल पूरा हो चुका है. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने चिंगरावठी गांव में जाकर वहां के लोगों से एक साल में हुई तब्दीलियों की जानकारी ली. वहीं ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए तीन दिसंबर को काला दिवस बताया और सरकार से सभी मामले वापस लेने की गुहार भी लगाई. देखें खास रिपोर्ट...
चिंगरावठी गांव से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.
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Published : Dec 4, 2019, 1:44 PM IST
| Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
बुलंदशहर: स्याना कोतवाली क्षेत्र में पिछले साल 3 दिसम्बर को भड़की हिंसा में काफी बवाल हुआ. इसमें न सिर्फ पुलिस चौकी पर तोड़फोड़, पथराव या आगजनी हुई, बल्कि ड्यूटी पर तैनात स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित की जान भी गई थी. तब से लेकर अब तक क्षेत्र में सब कुछ सामान्य नहीं है. चिंगरावठी गांव को इस हिंसा का सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ा. ईटीवी भारत की टीम ने चिंगरावठी गांव पहुंचकर वहां के हालात को जानने की कोशिश की.
चिंगरावठी गांव से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट. बुलंदशहर हिंसा के दौरान जो तांडव हुआ था उसकी गूंज यूं तो देश भर में सुनी गई थी. इलाके में कई महीनों तक पुलिस की गाड़ियों का शोर हर तरफ सुना गया. आलम यह था कि कई लोग अपने घरों को छोड़कर उसी वक्त चले गए थे. इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार और एक युवक सुमित की जानें भी गईं. इस हिंसा के दौरान भीड़ ने ऐसा हंगामा किया कि चिंगरावठी की गलियां अभी भी खामोश बनी हुई हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने लिया जायजा
ईटीवी भारत की टीम ने जब चिंगरावठी गांव का रुख किया तो ग्रामीणों ने बताया कि इस हिंसा ने उन्हें काफी पीछे कर दिया. पुलिस चौकी के समीप होने की वजह से गांव का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. ग्रामीणों का मानना है कि जब पुलिस चौकी पर हंगामा हो रहा था, तो चौकी के नजदीक होने की वजह से तमाशबीन की तरह गांव के लोग भी वहां पहुंच गए और हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए जिन 27 नामजद और 60 अज्ञात हिंसा के आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें सबसे ज्यादा चिंगरावठी के ही लोग थे.
खबर से संबंधित- बुलंदशहर हिंसा का एक साल: आरोपी शिखर अग्रवाल ने बताई पूरी कहानी
वहीं गांव के ही प्रकाशवीर का कहना है कि इस हिंसा के बाद गांव काफी पीछे चला गया, यहां का विकास थम गया, सारे काम बंद हो गए. साथ ही उन्होंने बताया कि सुमित की हत्या के बाद यहां के नौजवान काफी परेशान थे. वहीं ग्रामीणों ने सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि सरकार अगर सभी मामले वापस ले ले तो जीवन फिर से सुधर सकता है, नहीं तो गांव का भविष्य बेहद खराब होने वाला है. वहीं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि चिंगरावठी गांव में कोई भी शख्स किसी हिंदूवादी संगठन से ताल्लुक नहीं रखता.
अभी भी सुनसान हैं चिंगरावठी की गलियां
ग्रामीण जयकरन कहते हैं कि करीब 6 महीने तक पूरा गांव सुनसान था, घर खाली थे, गलियों में नन्हे बच्चे या फिर सिर्फ बुजुर्ग और महिलाएं ही शेष बची थीं. गांव के बुजुर्ग परशुराम ने बताया कि लोगों ने पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए छिपने की कोशिशें की थीं. वहीं गांव ही में स्कूल चलाने वाले कपिल का कहना है कि एक साल हो गया है. इस पूरे साल में गांव के किसी भी युवा का कहीं सरकारी नौकरी में सेलेक्शन तक नहीं हुआ.
खबर से संबंधित- बुलंदशहर हिंसा का एक साल: मृतक सुमित के पिता के साथ खास बातचीत
फिलहाल एक साल बीत जाने के बाद अभी भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. हालांकि इस दौरान जो लोग जेल गए, उनमें से 40 की जमानत हो चुकी है, जबकि 4 अभी भी जेल में हैं. इस समय जेल में कैद प्रशांत नट, जॉनी, लोकेंद्र चिंगरावठी गांव के ही हैं, जबकि राहुल निकट के ही हरवानपुर गांव का रहने वाला है. इन चारों पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का आरोप लगा है, जबकि बाकी सभी आरोपियों पर लूट, बलवा, आगजनी आदि के तहत धाराएं लगाई गई थीं. फिलहाल ग्रामीण मानते हैं कि अभी भी गांव पूरी तरह से हिंसा की तपिश से बच नहीं पाया है.
बुलंदशहर: स्याना कोतवाली क्षेत्र में पिछले साल 3 दिसम्बर को भड़की हिंसा में काफी बवाल हुआ. इसमें न सिर्फ पुलिस चौकी पर तोड़फोड़, पथराव या आगजनी हुई, बल्कि ड्यूटी पर तैनात स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित की जान भी गई थी. तब से लेकर अब तक क्षेत्र में सब कुछ सामान्य नहीं है. चिंगरावठी गांव को इस हिंसा का सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ा. ईटीवी भारत की टीम ने चिंगरावठी गांव पहुंचकर वहां के हालात को जानने की कोशिश की.
चिंगरावठी गांव से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट. बुलंदशहर हिंसा के दौरान जो तांडव हुआ था उसकी गूंज यूं तो देश भर में सुनी गई थी. इलाके में कई महीनों तक पुलिस की गाड़ियों का शोर हर तरफ सुना गया. आलम यह था कि कई लोग अपने घरों को छोड़कर उसी वक्त चले गए थे. इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार और एक युवक सुमित की जानें भी गईं. इस हिंसा के दौरान भीड़ ने ऐसा हंगामा किया कि चिंगरावठी की गलियां अभी भी खामोश बनी हुई हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने लिया जायजा
ईटीवी भारत की टीम ने जब चिंगरावठी गांव का रुख किया तो ग्रामीणों ने बताया कि इस हिंसा ने उन्हें काफी पीछे कर दिया. पुलिस चौकी के समीप होने की वजह से गांव का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. ग्रामीणों का मानना है कि जब पुलिस चौकी पर हंगामा हो रहा था, तो चौकी के नजदीक होने की वजह से तमाशबीन की तरह गांव के लोग भी वहां पहुंच गए और हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए जिन 27 नामजद और 60 अज्ञात हिंसा के आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें सबसे ज्यादा चिंगरावठी के ही लोग थे.
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वहीं गांव के ही प्रकाशवीर का कहना है कि इस हिंसा के बाद गांव काफी पीछे चला गया, यहां का विकास थम गया, सारे काम बंद हो गए. साथ ही उन्होंने बताया कि सुमित की हत्या के बाद यहां के नौजवान काफी परेशान थे. वहीं ग्रामीणों ने सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि सरकार अगर सभी मामले वापस ले ले तो जीवन फिर से सुधर सकता है, नहीं तो गांव का भविष्य बेहद खराब होने वाला है. वहीं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि चिंगरावठी गांव में कोई भी शख्स किसी हिंदूवादी संगठन से ताल्लुक नहीं रखता.
अभी भी सुनसान हैं चिंगरावठी की गलियां
ग्रामीण जयकरन कहते हैं कि करीब 6 महीने तक पूरा गांव सुनसान था, घर खाली थे, गलियों में नन्हे बच्चे या फिर सिर्फ बुजुर्ग और महिलाएं ही शेष बची थीं. गांव के बुजुर्ग परशुराम ने बताया कि लोगों ने पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए छिपने की कोशिशें की थीं. वहीं गांव ही में स्कूल चलाने वाले कपिल का कहना है कि एक साल हो गया है. इस पूरे साल में गांव के किसी भी युवा का कहीं सरकारी नौकरी में सेलेक्शन तक नहीं हुआ.
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फिलहाल एक साल बीत जाने के बाद अभी भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. हालांकि इस दौरान जो लोग जेल गए, उनमें से 40 की जमानत हो चुकी है, जबकि 4 अभी भी जेल में हैं. इस समय जेल में कैद प्रशांत नट, जॉनी, लोकेंद्र चिंगरावठी गांव के ही हैं, जबकि राहुल निकट के ही हरवानपुर गांव का रहने वाला है. इन चारों पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का आरोप लगा है, जबकि बाकी सभी आरोपियों पर लूट, बलवा, आगजनी आदि के तहत धाराएं लगाई गई थीं. फिलहाल ग्रामीण मानते हैं कि अभी भी गांव पूरी तरह से हिंसा की तपिश से बच नहीं पाया है.
Intro: बुलंदशहर के स्याना कोतवाली क्षेत्र में पिछले साल 3 दिसम्बर को हुई हिंसा को पूरा 1 साल हो गया है ,गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद जो हिंसा भड़की उसमें न सिर्फ पुलिस चौकी पर तोड़फोड़,पथराव या आगजनी हुई थी,बल्कि ड्यूटी पर तैनात स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय चिंगरावठी गांव के नवयुवक सुमित की भी जान गई थी,तब से अब तक क्षेत्र में सब कुछ सामान्य नहीं रहा,चिंगरावठी पुलिस चौकी के समीपवर्ती गांव चिंगरावठी को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ा है,ईटीवी भारत की टीम ने चिंगरावठी में जाकर ग्राउंड जीरो पर जाकर वहां की वर्तमान तश्वीर को करीब से देखा जाना तो जो चीजें निकलकर सामने आईं वो काफी चोंकाने वाली हैं,देखिये इटीवी भारत की ये एक्सक्लुसिव खबर ।
exclusive........
Body:बुलंदशहर जिले के स्याना कोतवाली क्षेत्र के चिंगरावठी पुलिस चौकी से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित महाव गांव में गांव के पूर्व प्रधान राजकुमार के ईख के खेत में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद वह जो हिंसा का तांडव हुआ था,उसकी गूंज यूं तो तब देशभर में सुनी गई,थी,क्षेत्र में पुलिस की गाड़ियों का शोर हर तरफ महीनों तक सुना गया,अमलम ये था कि कई लोग घरों को छोड़कर भी उस वक्त चले गए थे,दो जान भी इस भड़की हिंसा के दरम्यान गयं जिनमे एक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार थे,तो दूसरा था चिंगरावठी का नवयुवक सुमित,दरअसल गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद हिंदूवादी संघठन उबाल पर थे,औऱ भीड़ ने ऐसा शोर मचाया और हंगामा यहां किया कि अब तक भी चिंगरावठी गांव की गलियां खामोश बनी हुई हैं,जब ईटीवी भारत की टीम ने गांव का रुख किया तो पहले तो लोग कुव्ह भी बोलने से सकुचाते रहे , लेकिन एक साल में गांव में आये उतार चढ़ाव को ज्यादा देर दबाकर नहीं रख पाए,ग्रामीणों ने बताया कि इस हिंसा ने उन्हें काफी पीएचई कर दिया ,पुलिस चौकी के समीप होने की वजह से गांव का नुकसान भी सबसे ज्यादा हुआ,ग्रामीण मानते हैं कि जब पुलिस चौकी पर हंगामा हो रहा था,तो चौकी के नजदीक होने की वजह से तमाशबीन की तरह गांव के लोग भी वहां पहुंच गए थे,ओर जब हिंसा के बाद पुलिस ने 27 नामजद और 60 अज्ञात हिंसा के आरोपियों को पकड़ने के लिए कोशिशें किन तो सबसे ज्यादा लोग चिंगरावठी गांव के ही हिंसा में आरोपी थे,गांव के के युवक का कहना है कि गांव के नोजवान सुमित की हत्या का प्रत्येक गांव वासी को दुख है,और इतना ही नहीं लोग यहां सीबीआई जांच की मांग भी करते नजर आए ,हम आपको बता दें कि गठना के बाद से मृतक युवक सुमित के परिजन अपने परिवार के लाल की मौत के बाद से सीबीआई जांच की मांग करते आ रहे हैं,सीएम योगी से पूर्व में परिवार की लखनऊ में मुलाकात भी हुई थी,तो वहीं गांव के प्रकाशवीर का कहना है कि गांव काफी पीछे चला गया ,विकास थम गया ,सारे काम बंद हो गए,साथ ही वो कहते हैं कि गांव के युवक सुमित की हत्या की सूचना के बाद नोजवान परेशान थे,तो वहीं अब सरकार से गुजारिश भी करते हैं कि सरकार सभी मामले अगर वापिस ले ले तो जीवन फिर से सुधर सकता है,नहीं तो गांव का भविष्य फिलहाल तो नजर नहीं आता, उनका ये भी कहना है कि चिंगरावठी गांव में कोई भी शक्श किसी हिंदूवादी संघठन से ताल्लुक नहीं रखता,ग्रामीण ये भी कहते हैं कि हिंदूवादी संघठनों के द्वारा ही वहां चौकी पर हंगामा खड़ा किया गया था, ग्रामीण जयकरन कहते हैं कि करीब 6 महीने तक पूरा गांव सुनसान था,,घर खाली थे,गलियों में नन्हे बच्चे या फिर घरों में सिर्फ बुजुर्ग औऱ महिलाएं ही शेष बची थीं,गांव के बुजुर्ग परशुराम ने बताया कि खेतों में भी लोगों ने तब पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए छिपने की कोशिशें की थीं, औऱ घरों में बुजुर्ग या महिलाएं ही सिर्फ थे, तो वहीं गांव ही में स्कूल चलाने वाले कपिल का कहना है कि एक साल हो गया है इस पूरे साल में एक भी युवा का कहीं सरकारी नोकरी में सलेक्शन तक नहीं हुआ,इसकी वजह वो बताते हैं कि गांव से सभी युवा इस डर से पलायन कर गए थे कि अगर पकड़े गए तो जेल जाना होगा,हालांकि कुछ ने सरेंडर भी किया ,तो वहीं गांव इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग भी उठा रहा है।
one to one with villagers....जयकरन सिंह,ग्रामीण,
प्रकाशवीर सिंह,ग्रामीण,
राजेन्द्र ,ग्रामीण,
कपिल,ग्रामीण युवा,
परशुराम,
पीटीसी
श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.
Conclusion:फिलहाल एक साल हो चुका लेकिन अभी भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए ,हालांकि इस दौरान जो लोग जेल गए उनमें से 40 की जमानत हो चुकी है,जबकि 4 अभी जेल में हैं,जिनमे प्रशांत नट,जॉनी, लोकेंद्र चिंगरावठी गांव के ही हैं,जबकि राहुल निकट के ही गांव हरवानपुर का निवासी है,इन चारो पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का आरोप लगाया गया था,जबकि बाकी सभी आरोपियों पर लूट,बलवा,आगजनी,आदि के तहत धारा लगाई गयं थीं।
फिलहाल ग्रामीण मानते हैं कि अभी भी गांव पूरी तरह से हिंसा की तपिश से बच नहीं पाया है।
श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST