बुलंदशहर: सेना यानी त्याग, बलिदान, कुर्बानी, शहादत का पर्याय, जिसमें देश के कोने-कोने में ऐसी ही कच्ची सड़कों पर पक्की इबारत बनाने की कहानी लिखी जाती है. यूं तो सरहदों पर देश की खातिर अपनी जान की बाजी लगाने को देश के कोने-कोने का युवा तैयार है, लेकिन जिले के सैदपुर गांव की माटी में कुछ ऐसी कशिश है कि यहां की माटी से सिर्फ देशभक्ति की ही खुशबू ही आती है.
देश सेवा के जज्बे को गांव का सलाम
सैदपुर गांव का अपना इतिहास है, जहां हर घर में देश का प्रहरी है. यहां हर घर से एक फौजी निकलता है. जहां के लोगों के सीने अपने बेटों के कंधों पर सितारे देखकर चौड़े हो जाते हैं. देश की सीमाओं पर जो लहू बहता है, उसके बीते हुए कल के साथ ही भविष्य और वर्तमान भी ऐसे ही गांवों में रहता है, जिसकी तपिश से हिमालय की बर्फ पिघल जाती है और दुश्मन का कलेजा कांप उठता है.
हर घर में है देश का प्रहरी
ऐसा क्या है देश के इस गांव की मिट्टी में, मां के दुलार में और पिता की ललकार में कि जब दुश्मन से दंगल होता है तो इन्हीं गांवों से निकले जवान सरहद के सुलतान बनकर उभरते हैं. जब हम उसकी ओर बढ़े तो शहरों की नजाकत पीछे ही छूट गई. न इतनी सुविधा, न ट्रेनिंग के साजो सामान. अगर यहां के युवाओं में कुछ है तो सिर्फ देश के लिए मर मिटने का जज्बा. दुश्मनों को ये दिखा देने की जिद कि उनका पाला ऐसे लोगों से पड़ा है, जिनके पांवों के नीचे कच्ची जमीन जरूर है, लेकिन इरादे चट्टान से भी ज्यादा मजबूत हैं.
बच्चे-बच्चे में भरी है देशभक्ति
सैदपुर गांव के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है, ऐसा गांव जहां हर घर से एक सैनिक निकलता है, हर बच्चा कविताओं से पहले राष्ट्रगान सीख लेता है. मिलिट्री विलेज सैदपुर का नजारा कुछ ऐसा है कि यहां की हवाओं में देशभक्ति गूंजती है और इनका देशप्रेम ही इनकी पहचान बन जाता है.
देश के लिए मर मिटने को हैं तैयार गांव के लाल
सैदपुर गांव के युवाओं का सेना में भर्ती होने के जज्बे का अंदाजा मिलिट्री हीरोज मेमोरियल स्कूल से ही लगाया जा सकता है. सन् 1971 वार के हीरो रहे सूबेदार स्वरूप सिंह बताते हैं कि यहां 3,500 के करीब रिटायर्ड फौजी गांव के मिलिट्री स्कूल से ही पढ़ाई कर प्रशिक्षण के बाद सेना में भर्ती हुए और अलग-अलग पदों पर आसीन रहे.
गांव में ही स्थित है मिलिट्री स्कूल
ईटीवी भारत की टीम ने गांव के विद्यालय में जाकर देखा कि वहां के युवा किस तरह से पढ़ाई करते हैं और इस बारे में उनसे बात भी की. जहां युवाओं ने बताया कि हमारे यहां जूनियर-सीनियर डिवीजन में एनसीसी है, दिल लगाकर वह यहां सेना में जाने के अपने सपने को पूरा करने के इरादे से पहले से ही ट्रेंड भी हो जाना चाहते हैं. मिलिट्री हीरोज मेमोरियल स्कूल में बतौर एनसीसी का प्रशिक्षण देने वाले अध्यापक और एनसीसी लेफ्टिनेंट का जिम्मा संभाल रहे प्रवीण कुमार का कहना है कि यहां के युवाओं में सेना में भर्ती को लेकर खासा जोश रहता है.
1971 के हीरो रहे रिटायर्ड सूबेदार ने बताया कि
रिटायर्ड सूबेदार स्वरूप सिंह का कहना है कि जेडआरओ लखनऊ में और बीआरओ मेरठ से टीम यहां आकर भर्ती कर युवाओं को ले जाती थी. शौर्य सम्मान से नवाजे जा चुके सूबेदार स्वरूप सिंह का कहना है कि इस गांव का युवा वर्दी पहनने के लिए सदैव लालायित रहता है. उनका कहना है कि 1965, 1971 करगिल ही नहीं, बल्कि आज तक जितने भी युद्ध हुए उसमें गांव के किसी न किसी लाल ने अपनी शहादत दी है.
दुनिया के टॉप-5 देशों में शुमार है भारतीय सेना
भारतीय सेना दुनिया की टॉप-5 ताकतवर सेनाओं में से एक है. ग्लोबल फायरपावर की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है. सैन्य शक्ति के आधार पर इस सूची में शीर्ष स्थान पर अमेरिका, रूस और चीन हैं, जिसके बाद भारत का नाम दर्ज है.