बुलंदशहरः जिले से गुजरने वाली गंगा नदी के जलस्तर में लगातार उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जिले में 67 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है और 24 गांवों से गंगा नदी गुजरती है. पहाड़ों में हो रही बारिश के चलते जिला प्रशासन में अलग-अलग तीन तहसीलों के जिम्मेदार अफसर व्यवस्था सम्भाल रहे हैं. गंगा किनारे कटान रोकने को युद्धस्तर पर प्रशासन खुद को प्रयासरत बता रहा है.
पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश की गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. बुलंदशहर जिले की अगर बात की जाए तो जिले में 67 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है. जिले की तीन तहसील के 24 गांव गंगा के किनारे हैं, जो कि गंगा के जलस्तर में आने वाले उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं.
जिले के अफसरों की मानें तो केदारनाथ त्रासदी के बाद से कभी बुलंदशहर जिले में ऐसा नहीं हुआ कि गंगा के जलस्तर के बढ़ने से कोई बड़ा हादसा यहां हुआ हो. अफसर यह भी मानते हैं कि ऐसा जरूर हुआ है कि जब भी बरसात के सीजन में गंगा में जलस्तर बढ़ता है तो गंगा के तटीय इलाकों में पानी भरने से कई ईमारतें जरूर क्षतिग्रस्त हुई हैं. या यूं कह लीजिए कि गंगा के तेज बहाव में कई इमारतें बह जाती हैं.
एडीएम वित्त एवं राजस्व मनोज सिंघल ने बताया कि उत्तराखंड बैराज से 4 दिन पूर्व गंगा में छोड़े गए पानी की मात्रा को कम कर दिया था, उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन पूरी तरह से सजग है और जिम्मेदार तीन तहसील स्याना, अनुपशहर और डिबाई के अफसरों को सूचना पहले ही दे दी गई है और साथ ही उन्हें बता दिया गया है कि अपने-अपने तहसील क्षेत्र के गंगा किनारे के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को समय-समय पर जलस्तर में आने वाले परिवर्तन की जानकारी देते रहें, ताकि कोई नुकसान न हो.
एडीएम वित्त एवं राजस्व ने बताया कि सिंचाई विभाग ने गंगा के आसपास काफी कार्य कराया है. उन्होंने बताया कि शासन से इस बारे में बजट भी मांगा गया है. राजघाट के लिए बजट प्राप्त हुआ था, तो वहां काफी कार्य सिंचाई विभाग ने गंगा के कटान को रोकने के लिए कराया है. मनोज सिंघल के मुताबिक, गंगा में जलस्तर अभी खतरे के निशान के नीचे है.