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बुलंदशहर में इसलिए गिर सकता है मतदान प्रतिशत, आप भी जानें कारण

यूपी के बुलंदशहर में तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर लोगों ने लामबंद होना शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि वह उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे. उनकी समस्याओं पर सरकार और प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया. जनता का यह बहिष्कार कहीं प्रशासन के गले की फांस न बन जाए.

बुलंदशहर में चुनावी बहिष्कार
बुलंदशहर में चुनावी बहिष्कार
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Published : Oct 31, 2020, 4:08 AM IST

बुलंदशहरः तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रशासन तमाम कवायद कर रहा है. लेकिन, जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लग रहा है और जन समस्याओं को लेकर लोग लामबंद होना शुरू हो गए हैं. जनपद के यमुनापुरम की एच-ब्लॉक कॉलोनी में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है.

जन समस्याओं को लेकर लामबंद हुए लोग
जन समस्याओं को लेकर लोग लामबंद होना शुरू हो गए हैं. जिले की पॉश कॉलोनियों में से एक यमुनापुरम के एच-ब्लॉक में मतदाताओं ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनके क्षेत्र में लंबे समय से सड़क नहीं बनीं, नागरिकों में खासा आक्रोश है, जिस वजह से लोगों ने उपचुनाव के बहिष्कार का अल्टीमेटम दिया है.

लगवा दिए हैं बैनर
यमुनापुरम में स्थानीय निवासियों ने बैनर तक लगवा दिए हैं. गुस्साए लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि जनता की तरफ कभी ध्यान नहीं देते. चुनाव के समय पर ही याद आती है. चुनाव जीतने के बाद पूछते तक नहीं. नागरिकों का कहना है कि, कहने को तो हम शहर में रह रहे हैं लेकिन दिन भर धूल और गन्दगी से दो-चार होना पड़ता है. अगर बारिश हो जाए तो उनकी दिक्कत और बढ़ जाती हैं.

लोगों का फूट रहा गुस्सा
जनपद में यमुनापुरम का एच-ब्लॉक कोई अकेला क्षेत्र नहीं हैं, जहां लोग मतदान के बहिष्कार की बात कर रहे हैं. इससे पहले भी डीएम आवास के पास कृष्णानगर क्षेत्र के लोगों ने भी अपनी मांगों को लेकर चुनाव में बहिष्कार की घोषणा की थी. वहां चुनाव बहिष्कार से सम्बंधित बैनर तक लगा दिए थे.डिप्टी गंज इलाके में भी व्यापारियों ने अव्यवस्थाओं को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया था. हालांकि, नगर वासियों की तरफ से इस बीच आरोप लगते रहे हैं कि जो भी लोग शहर में चुनाव के बहिष्कार के बैनर लगवाते हैं, वह रातों रात गायब हो जाते हैं.

काफी समय हो चुका है, यहां बहुत दिक्कतें हैं. न कोई सड़कों की सुध लेने वाला है और न ही सफाई की. हम चुनावों के बहिष्कार का ऐलान करके प्रशासन के अधिक मतदान के प्लान को ठेंगा और जनप्रतिनिधियों को आइना दिखाने चाहते हैं. समस्याओं को लेकर कई बार जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात हो चुकी है, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है.

-डीपी सिंह राणा, स्थानीय

यहां तमाम परेशानियां हैं. सुधार की तो बात ही न करो. हम लंबे समय से प्रशासन को अवगत कराते आ रहे हैं ,लेकिन उसकी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है.

-तारा ठाकुर, स्थानीय

इस बार सर्वसम्मति से फैसला लिया है. प्रशासन हमारी समस्याओं की भले ही अनदेखी कर दे. लेकिन इस बार हम अनदेखी नहीं करेंगे. चुनाव का बहिष्कार करके हम प्रशासन को दिखा कर ही रहेंगी कि जनता जनार्दन होती है.

-नीतू सिंह, स्थानीय

यहां काफी दिक्कतें हो रही हैं. सोचा था एक अच्छी कॉलोनी में रहेंगे .इसी वजह से यमुनापुरम में मकान बनवा लिया, लेकिन यहां आज तक सड़क नसीब नहीं हुई. यहां सामान्य दिनों में धूल उड़ती है और बारिश होने पर कीचड़. यानि हालात बद से भी बद्तर हैं. इसके बावजूद हम नगर पालिका को तमाम तरह के टैक्स देते हैं.

-गीता शर्मा, स्थानीय

प्रशासन के लिए चुनौती न बन जाए मतदान का प्रतिशत बढ़ाना
लोगों के इस गुस्से को समय रहते प्रशासन ने नहीं समझा तो इसके परिणाम चुनावों में देखे जा सकते हैं. कोरोना काल में प्रशासन के सामने पहले ही पिछली बार के मतदान प्रतिशत तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में लोगों का गुस्सा जिला प्रशासन द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों पर पानी न फेर दे.

बुलंदशहरः तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रशासन तमाम कवायद कर रहा है. लेकिन, जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लग रहा है और जन समस्याओं को लेकर लोग लामबंद होना शुरू हो गए हैं. जनपद के यमुनापुरम की एच-ब्लॉक कॉलोनी में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है.

जन समस्याओं को लेकर लामबंद हुए लोग
जन समस्याओं को लेकर लोग लामबंद होना शुरू हो गए हैं. जिले की पॉश कॉलोनियों में से एक यमुनापुरम के एच-ब्लॉक में मतदाताओं ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनके क्षेत्र में लंबे समय से सड़क नहीं बनीं, नागरिकों में खासा आक्रोश है, जिस वजह से लोगों ने उपचुनाव के बहिष्कार का अल्टीमेटम दिया है.

लगवा दिए हैं बैनर
यमुनापुरम में स्थानीय निवासियों ने बैनर तक लगवा दिए हैं. गुस्साए लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि जनता की तरफ कभी ध्यान नहीं देते. चुनाव के समय पर ही याद आती है. चुनाव जीतने के बाद पूछते तक नहीं. नागरिकों का कहना है कि, कहने को तो हम शहर में रह रहे हैं लेकिन दिन भर धूल और गन्दगी से दो-चार होना पड़ता है. अगर बारिश हो जाए तो उनकी दिक्कत और बढ़ जाती हैं.

लोगों का फूट रहा गुस्सा
जनपद में यमुनापुरम का एच-ब्लॉक कोई अकेला क्षेत्र नहीं हैं, जहां लोग मतदान के बहिष्कार की बात कर रहे हैं. इससे पहले भी डीएम आवास के पास कृष्णानगर क्षेत्र के लोगों ने भी अपनी मांगों को लेकर चुनाव में बहिष्कार की घोषणा की थी. वहां चुनाव बहिष्कार से सम्बंधित बैनर तक लगा दिए थे.डिप्टी गंज इलाके में भी व्यापारियों ने अव्यवस्थाओं को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया था. हालांकि, नगर वासियों की तरफ से इस बीच आरोप लगते रहे हैं कि जो भी लोग शहर में चुनाव के बहिष्कार के बैनर लगवाते हैं, वह रातों रात गायब हो जाते हैं.

काफी समय हो चुका है, यहां बहुत दिक्कतें हैं. न कोई सड़कों की सुध लेने वाला है और न ही सफाई की. हम चुनावों के बहिष्कार का ऐलान करके प्रशासन के अधिक मतदान के प्लान को ठेंगा और जनप्रतिनिधियों को आइना दिखाने चाहते हैं. समस्याओं को लेकर कई बार जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात हो चुकी है, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जाता है.

-डीपी सिंह राणा, स्थानीय

यहां तमाम परेशानियां हैं. सुधार की तो बात ही न करो. हम लंबे समय से प्रशासन को अवगत कराते आ रहे हैं ,लेकिन उसकी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है.

-तारा ठाकुर, स्थानीय

इस बार सर्वसम्मति से फैसला लिया है. प्रशासन हमारी समस्याओं की भले ही अनदेखी कर दे. लेकिन इस बार हम अनदेखी नहीं करेंगे. चुनाव का बहिष्कार करके हम प्रशासन को दिखा कर ही रहेंगी कि जनता जनार्दन होती है.

-नीतू सिंह, स्थानीय

यहां काफी दिक्कतें हो रही हैं. सोचा था एक अच्छी कॉलोनी में रहेंगे .इसी वजह से यमुनापुरम में मकान बनवा लिया, लेकिन यहां आज तक सड़क नसीब नहीं हुई. यहां सामान्य दिनों में धूल उड़ती है और बारिश होने पर कीचड़. यानि हालात बद से भी बद्तर हैं. इसके बावजूद हम नगर पालिका को तमाम तरह के टैक्स देते हैं.

-गीता शर्मा, स्थानीय

प्रशासन के लिए चुनौती न बन जाए मतदान का प्रतिशत बढ़ाना
लोगों के इस गुस्से को समय रहते प्रशासन ने नहीं समझा तो इसके परिणाम चुनावों में देखे जा सकते हैं. कोरोना काल में प्रशासन के सामने पहले ही पिछली बार के मतदान प्रतिशत तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में लोगों का गुस्सा जिला प्रशासन द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों पर पानी न फेर दे.

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