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बुलंदशहर के डीएम को अपनी किताब के लिए मिला अमृत लाल नागर पुरस्कार - बुलंदशहर के डीएम को मिला अमृत लाल नागर पुरस्कार

बुलंदशहर के जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार को अमृत लाल नागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनकी लिखी गई किताब 'एवरेस्ट - सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक' के लिए दिया गया है.

bulandshahr dm ravindra kumar honored with amrit lal nagar award
बुलंदशहर के डीएम रविन्द्र कुमार को मिला अमृत लाल नागर पुरस्कार.
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Published : Mar 16, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: डीएम रविन्द्र कुमार को उनकी हिंदी पुस्तक 'एवरेस्ट - सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक' के लिए 'अमृत लाल नागर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा रविवार को यह पुरस्कार दिया गया.

2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं रविन्द्र कुमार
रविन्द्र कुमार वर्ष 2011 बैच के युवा आईएएस अधिकारी हैं, जो बिहार के बेगूसराय जिले से हैं. वर्ष 1999 में प्रथम प्रयास में आईआईटी प्रवेश परीक्षा में इनका चयन हुआ और वर्ष 2011 में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली.

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बुलंदशहर के डीएम रविन्द्र कुमार.

प्रथम प्रयास में एवरेस्ट को किया फतह
जहाजरानी में लगभग एक दशक तक कार्य करने के बाद रविन्द्र कुमार वर्ष 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और वर्ष 2013 में अपने प्रथम प्रयास में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ गए. ऐसा करने वाले वह भारत के प्रथम आईएएस अधिकारी हैं, जिसके लिए इन्हें सिक्किम खेल रत्न अवार्ड, बिहार विशेष खेल सम्मान, कश्ती रत्न अवार्ड, अटल मिथिला सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया.

दो बार माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाले पहले आईएएस अधिकारी
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 में अपने दूसरे एवरेस्ट अभियान के दौरान इन्होंने नेपाल के भूकंप एवं हिमस्खलन का सामना किया, जिससे वहां जान-माल की काफी क्षति हुई, लेकिन अपनी जान की परवाह किए बगैर इन्होंने कई लोगों की जान बचाई. वर्ष 2019 में फिर से माउण्ट एवरेस्ट की चोटी चढ़े और वहां से ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘नमामि गंगे’ हेतु जन-जागरण किया और देशवासियों से जल संरक्षण की अपील की. वह प्रथम एवं एक मात्र ऐसे सिविल सर्वेन्ट हैं, जिन्होंने दो बार माउण्ट एवरेस्ट पर पृथक-पृथक मार्गों से चढ़ाई की है.

कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं डीएम रविन्द्र कुमार
पूर्व में एक अच्छे तैराक और कराटे में ब्लैक बेल्ट रह चुके रविन्द्र कुमार स्कूबा ड्राइविंग, घुड़सवारी, मैराथन दौड़ सहित कई अन्य साहसिक कार्य कर चुके हैं. आईएएस अधिकारी के रूप में इन्होंने सिक्किम और उत्तर प्रदेश में मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी सहित कई अन्य पदों पर कार्य किया है.

अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में लिखी पुस्तक
भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री के निजी सचिव के रूप में भी रविन्द्र कुमार ने पर्वतारोहण को लेकर अंग्रेजी भाषा में ‘मैनी एवरेस्ट्सः एन इन्स्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफार्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी’ और हिन्दी भाषा में ‘एवरेस्ट: सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक’ लिखी हैं.

पुस्तक में सफलता के बारे में दी जानकारी
‘एवरेस्ट-सपनों की उड़ानः सिफर से शिखर तक’ के माध्यम से एवरेस्ट को एक भौतिक बाधा की सीमा से बाहर जीवन की समस्याओं के प्रतीक के रूप में चित्रित किया है. इसके साथ ही ‘अग्रवर्ती सकारात्मक मानसिक चित्रण’ नाम से वर्णित सफलता की अपनी कुंजी को समाज के साथ साझा करते हुए जीवन के विभिन्न एवरेस्ट फतह करने के अद्भुत तरीके को समझाया गया है. लेखक का तथ्य इस बात पर आधारित है कि हमारा मस्तिष्क किसी अन्य संवेदी धारणा जैसे बोलना, सुनना, गंध, स्पर्श इत्यादि से पहले किसी भी चीज की तस्वीर को ग्रहण करता है. हालांकि, यह हमारे दैनिक जीवन में रोजाना होता रहता है परन्तु फिर भी हम इसका अहसास नहीं करते हैं.

सफलता का बताया मंत्र
आम लोगों की ज़िन्दगी में इस तकनीक के चमत्कारी प्रभाव को अपने जीवन में उदाहरण के माध्यम से प्रदर्शित करते हुए लेखक ने पाठकों को बताया है कि एक आम पृष्ठभूमि से आने और संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद किस तरह इस तकनीक का उपयोग कर अल्पावधि में सफलता के कई प्रतिमान गढ़े जा सकते हैं. रविन्द्र कुमार ने अपनी यह पुस्तक उन सभी आम लोगों को समर्पित की हुई है, जो अभी भी अपने अपूर्ण सपने को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बुलंदशहर: खादी ग्रामोद्योग विभाग की मण्डल स्तरीय प्रदर्शनी का हुआ शुभारम्भ

बुलंदशहर: डीएम रविन्द्र कुमार को उनकी हिंदी पुस्तक 'एवरेस्ट - सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक' के लिए 'अमृत लाल नागर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा रविवार को यह पुरस्कार दिया गया.

2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं रविन्द्र कुमार
रविन्द्र कुमार वर्ष 2011 बैच के युवा आईएएस अधिकारी हैं, जो बिहार के बेगूसराय जिले से हैं. वर्ष 1999 में प्रथम प्रयास में आईआईटी प्रवेश परीक्षा में इनका चयन हुआ और वर्ष 2011 में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली.

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बुलंदशहर के डीएम रविन्द्र कुमार.

प्रथम प्रयास में एवरेस्ट को किया फतह
जहाजरानी में लगभग एक दशक तक कार्य करने के बाद रविन्द्र कुमार वर्ष 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और वर्ष 2013 में अपने प्रथम प्रयास में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ गए. ऐसा करने वाले वह भारत के प्रथम आईएएस अधिकारी हैं, जिसके लिए इन्हें सिक्किम खेल रत्न अवार्ड, बिहार विशेष खेल सम्मान, कश्ती रत्न अवार्ड, अटल मिथिला सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया.

दो बार माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाले पहले आईएएस अधिकारी
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 में अपने दूसरे एवरेस्ट अभियान के दौरान इन्होंने नेपाल के भूकंप एवं हिमस्खलन का सामना किया, जिससे वहां जान-माल की काफी क्षति हुई, लेकिन अपनी जान की परवाह किए बगैर इन्होंने कई लोगों की जान बचाई. वर्ष 2019 में फिर से माउण्ट एवरेस्ट की चोटी चढ़े और वहां से ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘नमामि गंगे’ हेतु जन-जागरण किया और देशवासियों से जल संरक्षण की अपील की. वह प्रथम एवं एक मात्र ऐसे सिविल सर्वेन्ट हैं, जिन्होंने दो बार माउण्ट एवरेस्ट पर पृथक-पृथक मार्गों से चढ़ाई की है.

कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं डीएम रविन्द्र कुमार
पूर्व में एक अच्छे तैराक और कराटे में ब्लैक बेल्ट रह चुके रविन्द्र कुमार स्कूबा ड्राइविंग, घुड़सवारी, मैराथन दौड़ सहित कई अन्य साहसिक कार्य कर चुके हैं. आईएएस अधिकारी के रूप में इन्होंने सिक्किम और उत्तर प्रदेश में मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी सहित कई अन्य पदों पर कार्य किया है.

अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में लिखी पुस्तक
भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री के निजी सचिव के रूप में भी रविन्द्र कुमार ने पर्वतारोहण को लेकर अंग्रेजी भाषा में ‘मैनी एवरेस्ट्सः एन इन्स्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफार्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी’ और हिन्दी भाषा में ‘एवरेस्ट: सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक’ लिखी हैं.

पुस्तक में सफलता के बारे में दी जानकारी
‘एवरेस्ट-सपनों की उड़ानः सिफर से शिखर तक’ के माध्यम से एवरेस्ट को एक भौतिक बाधा की सीमा से बाहर जीवन की समस्याओं के प्रतीक के रूप में चित्रित किया है. इसके साथ ही ‘अग्रवर्ती सकारात्मक मानसिक चित्रण’ नाम से वर्णित सफलता की अपनी कुंजी को समाज के साथ साझा करते हुए जीवन के विभिन्न एवरेस्ट फतह करने के अद्भुत तरीके को समझाया गया है. लेखक का तथ्य इस बात पर आधारित है कि हमारा मस्तिष्क किसी अन्य संवेदी धारणा जैसे बोलना, सुनना, गंध, स्पर्श इत्यादि से पहले किसी भी चीज की तस्वीर को ग्रहण करता है. हालांकि, यह हमारे दैनिक जीवन में रोजाना होता रहता है परन्तु फिर भी हम इसका अहसास नहीं करते हैं.

सफलता का बताया मंत्र
आम लोगों की ज़िन्दगी में इस तकनीक के चमत्कारी प्रभाव को अपने जीवन में उदाहरण के माध्यम से प्रदर्शित करते हुए लेखक ने पाठकों को बताया है कि एक आम पृष्ठभूमि से आने और संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद किस तरह इस तकनीक का उपयोग कर अल्पावधि में सफलता के कई प्रतिमान गढ़े जा सकते हैं. रविन्द्र कुमार ने अपनी यह पुस्तक उन सभी आम लोगों को समर्पित की हुई है, जो अभी भी अपने अपूर्ण सपने को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बुलंदशहर: खादी ग्रामोद्योग विभाग की मण्डल स्तरीय प्रदर्शनी का हुआ शुभारम्भ

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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