बुलंदशहरः बेसहारा गोवंशों के लिए जिला प्रशासन सहारा बनकर उभरा है. पूरे मेरठ मंडल में सर्वाधिक गोवंश जनपद की गोशालाओं में ही हैं. इन गोशालाओं में रहने वाले गोवंशों को शासन से मिलने वाली मदद के अलावा कोई और भी सहयोग मिलता है, या नहीं. रियलिटी चेक के जरिये ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की. देखिये इस खास रिपोर्ट में.
जनपद में हैं 154 गोशालाएं
जनपद में कुल 154 गोशालाएं बेसहारा गोवंश के लिए बनाई गईं हैं, जिनमें काफी संख्या में गोवंशों को रखा गया है. वहीं वर्तमान में जिले की अलग-अलग स्थाई और अस्थाई गोशालाओं में लगभग 9,496 गोवंश संरक्षित हैं.
मदद के लिए सरकारी मशीनरी जुटी
बेसहारा गोवंशों के लिए सरकारी मशीनरी अलग-अलग आश्रयों में समय-समय पर तमाम व्यवस्थाओं में जुटी हुई हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 'मुख्यमंत्री सुपुर्दगी सहभागिता' योजना में जनपद में भी गोवंशों को पालने के लिए पशु प्रेमी लगातार सामने आ रहे हैं. वर्तमान में कुल 1125 लोगों ने 2357 असहाय गोवंश टैगिंग के बाद दिए हैं.
30 रुपये प्रतिदिन दे रही सरकार
आवारा विचरण करने वाली गोवंशों को प्रशासन समय-समय पर अभियान चलाकर उन्हें गोशालाओं में पहुंचवाते हैं. सरकार की तरफ से प्रत्येक गोवंश के लिए मदद के तौर पर 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाते हैं. ऐसे में जिन लोगों ने गोवंश पालने या सेवा करने के लिए सुपुर्दगी ली हुई है उन्हें शासन की ओर से यह धनराशि दी जा रही है. यानी हर माह एक संरक्षित गोवंश पर सरकार की तरफ से 900 रुपये की राशि दी जाती है.
जिले की गोशालाओं में सर्वाधिक गोवंश
जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर गोवंशों का संरक्षण किया जा रहा है. जिला प्रशासन बखूबी निगरानी कर रहा है. पूरे मेरठ मंडल में बुलंदशहर बेसहारा गोवंशों को संरक्षण देने के मामले में सबसे आगे है. वर्तमान में जनपद में 154 गोशालाओं में गोवंश है.
चिकित्सकों की टीम करती है निगरानी
राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि गोशालाओं और 'सुपुर्दगी सहभागिता' योजना के तहत दिए गए गोवंशों का समय-समय पर टीकाकरण कराया जाता है. इसके अलावा किसी भी प्रकार की समस्या के लिए लगातार जांच की जाती हैं. प्रत्येक क्षेत्र के आसपास के पशु चिकित्सा अधिकारियों को ये जिम्मेदारी दी गयी है कि वो उनका विशेष ध्यान रखें.
सहभागिता में लोग दिखा रहे कम रुचि
ईटीवी भारत की पड़ताल में समाने आया कि लोग 'सुपुर्दगी सहभागिता' योजना के तहत गोवंशों को लेने में कमोवेश रुचि दिखाते हैं. इसका बड़ा कारण शासन द्वारा किया जा रहा भुगतान है. बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ से किए जाने वाला 30 रुपये प्रतिदिन का भुगतान कई-कई महीने बाद प्राप्त होता है.
मदद के लिए आगे नहीं आते लोग
इसके अलावा हमने गोशालाओं में गोवंशों के रखरखाव के तौर पर लगे सेवादारों से बात की. उन्होंने बताया कि सरकारी मदद के अलावा अब लोग मदद को आगे नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि गाय को हिंदू धर्म में पूजनिय माना जाता है फिर भी लोग सेवा के लिए सामने नहीं आते हैं. फिलहाल खास बात ये है कि आमजन अगर उदारवादी रुख अख्तियार करें तो गोवंशों को भूखा न रहना पड़ेगा.