बुलंदशहर: यूपी के बुलंदशहर जिले में गोकशी का मामला सामने आने के बाद 3 दिसंबर 2018 को हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक युवक की मौत हो गई थी. दंगाइयों ने जिले की चिंगरावठी पुलिस चौकी में आग लगा दी थी. वहीं पुलिस ने हिंसा के मामले में शिखर अग्रवाल को भी आरोपी बनाया था. हालांकि वह अभी जमानत पर जेल से रिहा हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में शिखर अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में कई ऐसे तथ्य हैं, जो अभी लोगों के सामने नहीं आए हैं. इसलिए इस हिंसा पर एक किताब लिख रहा हूं.
यह था पूरा मामला
3 दिसंबर 2018 को जिले के स्याना कोतवाली क्षेत्र के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिले थे. इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हिंसा भड़क उठी. इसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक युवक की मौत हो गई. पुलिस की ओर से हिंसा करने के आरोप में 27 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई. वहीं करीब 60 अज्ञात लोगों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद कई लोगों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. इस मामले में अब तक कुल 44 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि चार आरोपी अभी भी जेल में हैं.
बीजेपी युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष रहे शिखर अग्रवाल
हिंसा के बाद आईपीएस प्रभाकर चौधरी को जिले का एसएसपी बनाया गया. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के स्याना नगर अध्यक्ष रहे शिखर अग्रवाल को 10 जनवरी 2019 को गिरफ्तार किया गया. हालांकि 24 अगस्त 2019 को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
शिखर ने बताया कि इस घटना के बाद उनकी मेडिकल की पढ़ाई छूट गई. उन्होंने बताया कि किताब के जरिए इस मामले में कई ऐसा तथ्यों का खुलासा किया जाएगा, जहां तक अभी घटना की जांच करने वाली एसआईटी और पुलिस नहीं पहुंच पाई है.