प्रयागराज: बुलंदशहर की एक अदालत में कार्यरत एक महिला न्यायाधीश के साथ दुर्व्यवहार के आरोपी वकील भरत सिंह की प्रैक्टिस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट रोक लगा दी है. कोर्ट ने वकील को उत्तर प्रदेश की किसी भी अदालत में वकालत करने से रोक दिया है. इसके अलावा, कोर्ट ने वकील को 12 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है.
बुलंदशहर में महिला जज से बदसलूकी (misbehave with woman judge in Bulandshahr) के मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को बुलंदशहर न्यायपालिका खुर्जा की बाहरी अदालत में कार्यरत महिला न्यायिक अधिकारी द्वारा दिए गए संदर्भ पर हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई एक आपराधिक अवमानना कार्यवाही की सुनवाई करते हुए दिया है.
न्यायालय (Allahabad High Court) ने अवमाननाकर्ता को भविष्य में सतर्क रहने और प्रतिकूल तरीके से कार्य न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि उसके आचरण की उच्च न्यायालय द्वारा बारीकी से निगरानी की जा रही है. दरअसल, महिला न्यायिक अधिकारी ने अपने पत्र में कहा है कि 20 दिसंबर, 2022 को अवमाननाकर्ता के अवमाननापूर्ण कृत्य के कारण उन्हें अपने जीवन, स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए कोर्ट से उठकर अपने चैंबर में शरण लेनी पड़ी.
अवमाननाकर्ता द्वारा 21 दिसंबर, 2022 को फिर से महिला न्यायाधीश का सार्वजनिक रूप से अपमान और दुर्व्यवहार किया गया. इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने अगली तारीख (12 जनवरी, 2023) तक उत्तर प्रदेश राज्य में किसी भी अदालत में वकालत करने से रोक दिया.
इससे पूर्व कोर्ट में आरोपी अधिवक्ता भारत सिंह को 1 अगस्त को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था मगर 2 जनवरी 2023 को सुनवाई होने तक अधिवक्ता की ओर से कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अनुपालन के लिए भेजी जाए.
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