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बुलंदशहर: सिर्फ 13 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है 50 आयुर्वेदिक अस्पताल - ayurvedic hopital

बुलंदशहर के 50 आयुर्वेदिक अस्पतालों की दशा बेहद दयनीय है. दयनीय इसलिए क्योंकि कुल 50 अस्पताल में मात्र 13 डाॅक्टर तैनात हैं. ऐसे में इलाज व्यवस्था और अस्पतालों का वजूद राम भरोसे है.

आयुर्वेदिक अस्पताल
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Published : May 4, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले के 50 आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में मात्र 13 डॉक्टर हैं. एक डॉक्टर को कई-कई अस्पतालों में जाकर मरीजों को सुविधा और इलाज दे रहे हैं. इतना ही नहीं जिले में 2011 के बाद से कोई भी नवीन तैनाती नहीं हुई है.

बुलंदशहर: आयुर्वेदिक अस्पताल में है डॅाक्टरों की भारी कमी

क्या है स्थिति:

  • बुलंदशहर में आयुर्वेद और यूनानी पद्धति से संचालित कुल 54 अस्पताल हैं. जिनमें 4 यूनानी तो वहीं 50 अस्पताल आयुर्वेदिक पद्दति से इलाज करते हैं.
  • जिले के 54 अस्पतालों के लिए मात्र 13 डाॅक्टर हैं जो वक्त एक से दूसरे अस्पताल जाकर इलाज करने का काम करते हैं.
  • प्रशासन से डाॅक्टरों की मांग के बावजूद भी कोई समाधान नहीं हुआ है.
  • ग्रामीणों को समय पर इलाज न मिल पाने से उनमें रोष है.
  • खाली पद के बावजूद भी 2011 के बाद किसी नए फार्मासिस्ट या डाॅक्टर की तैनाती नहीं हुई है.

बुलंदशहर: जिले के 50 आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में मात्र 13 डॉक्टर हैं. एक डॉक्टर को कई-कई अस्पतालों में जाकर मरीजों को सुविधा और इलाज दे रहे हैं. इतना ही नहीं जिले में 2011 के बाद से कोई भी नवीन तैनाती नहीं हुई है.

बुलंदशहर: आयुर्वेदिक अस्पताल में है डॅाक्टरों की भारी कमी

क्या है स्थिति:

  • बुलंदशहर में आयुर्वेद और यूनानी पद्धति से संचालित कुल 54 अस्पताल हैं. जिनमें 4 यूनानी तो वहीं 50 अस्पताल आयुर्वेदिक पद्दति से इलाज करते हैं.
  • जिले के 54 अस्पतालों के लिए मात्र 13 डाॅक्टर हैं जो वक्त एक से दूसरे अस्पताल जाकर इलाज करने का काम करते हैं.
  • प्रशासन से डाॅक्टरों की मांग के बावजूद भी कोई समाधान नहीं हुआ है.
  • ग्रामीणों को समय पर इलाज न मिल पाने से उनमें रोष है.
  • खाली पद के बावजूद भी 2011 के बाद किसी नए फार्मासिस्ट या डाॅक्टर की तैनाती नहीं हुई है.
Intro:बुलंदशहर के 50 आयुर्वेदिक हॉस्पिटल को चला रहे हैं जिले में तैनात 13 डॉक्टर , है ना चौंकाने वाली बात लेकिन यह सच है और एक एक डॉक्टर कई कई जगह अस्पतालों पर जाकर मरीजों को सुविधा और इलाज देने की कोशिश यहां कर रहे हैं, इतना ही नहीं 2011 के बाद से कोई भी नवीन तैनाती जिले में न हीं तो फार्मासिस्ट की हुई है और ना ही डॉक्टर की देखिए ईटीवी भारत की बंपर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ।


Body:जो तस्वीर है आप देख रहे हैं यह आयुर्वेद पद्धति पर आधारित बुलन्दशहर जिले का जिला मुख्यालय पर स्थित हॉस्पिटल है ,अगर बात की जाए जनपद के कुल आयुर्वेद व यूनानी से संचालित अस्पताओं की तो कुल 54 हॉस्पिटल हैं जिनमे 4 हॉस्पिटल यूनानी पद्दति पर आधरित हैं ,तो वहीं 50 अस्पताल आयुर्वेदिक पद्दति से इलाज करते हैं,अगर अकेले बुलंदशहर में आयुर्वेद के हॉस्पिटलों की बात की जाए तो जिले में एक आयुर्वेदिक अस्पताल 25 बेड का है ,जबकि 2 हॉस्पिटल 15 बेड के हैं ,तो वहीं वहीं बाकी सभी शेष 4 बेड के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल हैं , और बात की जाए अगर यहां के स्टाफ की तो सच्चाई चोंकाने वाली है ,किसी भी हॉस्पिटल में स्टाफ पूरा नहीं है ,बकौल क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवम यूनानी अधिकारी गीता शर्मा का कहना है कि जिले में कम से कम पचास हॉस्पिटल पर 54 डॉक्टर होने चाहिए थे,जबकि जिले में उनके समेत महज 13 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं,जब जिम्मेदार अधिकारी से पूछा गया कि आखिर 13 आयुर्वेद चिकितशक पचास हॉस्पिटल को किस तरह से संभाल पाते हैं तो उन्होंने बताया कि एक एक डॉक्टर को दो से तीन हॉस्पिटल दिए गए हैं ,और उनका निर्धारण किया गया है, जिस वजह से कोई भी चिकित्सक एक जगह लगातार नहीं जा पाता और प्रतिदिन हर हॉस्पिटल खुलना असंभव है ,ऐसे में अक्सर शिकायतें भी गांव देहातों से आया करती हैं कि उनके गांव का जो आयुर्वेदिक अस्पताल है, उसमें हफ्ते में कई दिन ताला लगा रहता है लेकिन वह लोगों को नहीं समझा पाते हैं कि इसके पीछे वजह स्टाफ की कमी है , "क्योंकि जो शिकायतकर्ता होते हैं उन्हें स्टाफ की कमी से कोई लेना देना नहीं है उन्हें तो सिर्फ यह पता है उनके यहां सरकारी हॉस्पिटल है और आयुर्वेद पद्धति से इलाज होता है तो डॉक्टर होना चाहिए "गीता शर्मा का कहना है कि इस बारे में बार-बार शासन को लिखा जा रहा है और शासन से भी समय-समय पर विवरण प्राप्त किया जाता है कि अब कितने डॉक्टर हैं।
स्टाफ की जबरजस्त कमी बुलन्दशहर जिले में बनी हुई है।बनी हुई है , जिसका बार-बार पत्र के जरिए जवाब दिया जाता है साथ ही चिकित्सकों की भी मांग की जाती है लेकिन कोई समाधान होता नहीं दिख रहा।

चौंकाने वाली बात तो यह है कि 2011 के बाद से आज तक एक भी नवीन तैनाती बुलंदशहर जनपद में आयुर्वेद चिकित्सक की या फार्मासिस्ट की नहीं हुई है जिसकी वजह से ना सिर्फ स्टाफ लगातार घटता जा रहा है बल्कि उन्हें आयुर्वेद पर विश्वास रखने वाले हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को संतुष्ट करने में भी दिक्कत हो रही है ,हालांकि डॉक्टर कहती है कि आयुष मंत्रालय बनने के बाद से काफी चीजें बदली हैं, दवाई बहुत बेहतरीन और समय से अस्पतालों पर पहुंच रही हैं, लेकिन पर्याप्त स्टाफ न होने के चलते कई जगह फार्मेसिस्ट ही आने वाले मरीजों को दवाएं बांधकर देते देखे जा सकते हैं, जिसकी वजह से उन्हें खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

जिले की जिम्मेदार गीता शर्मा का कहना है कि अगर स्टाफ की व्यवस्था हो जाती तो आयुर्वेद में ना सिर्फ इलाज कराने वाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी है, बल्कि इसके परिणाम भी बेहतर हैं, तो वहीं अगर बात की जाए जिले में बने आयुर्वेद अस्पताल की तो सिकंदराबाद में 25 बेड का हॉस्पिटल है तो वहीं अनूपशहर नगर में 15 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल है,
बकौल जिम्मेदार अधिकारी गीता शर्मा अपर्याप्त स्टाफ के चलते कोई व्यवस्था नहीं है कि अगर कोई आयुर्वेदिक चिकित्सालय में इलाज कराने के लिए आए और उसे एडमिट करने की मंशा हो तो चाहकर भी वो किसी को एडमिट नहीं कर सकते, क्योंकि पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से किसी भी मरीज को एडमिट नहीं किया जा सकता ,जिस।वजह से गम्भीर हालात में भी उन्हें मरीज को दो चार घण्टे आराम के बाद मरीज को छुट्टी देनी ही पड़ती है।
ऐसा नहीं है कि जिले में आयुष चिकतश्कों की ही कमी हैबल्कि फार्मेसिस्ट भी यहां पूरे नहीं हैं।बाकी स्टाफ की तो बात ही छोड़ दीजिए।
सन 2011 के बाद में एक भी नवीन तैनाती बुलन्दशहर जनपद में आयुर्वेद के हॉस्पिटल्स में नहीं हुई है।जबकि सेवानिवृत्ति के बाद लगातार आयुष चिकितशक से लेकर समस्त पदों पर काम करने वाले महकमे के कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है,वहीं अब आयुर्वेद पद्दति से इलाज कराने वालों में छा रही है मायूसी।

one to one with ...डॉक्टर.. गीता शर्मा क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी।

श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.





Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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