ETV Bharat / state

64 हजार मजदूरों को नहीं मिला एक भी दिन काम, मनरेगा योजना धड़ाम

author img

By

Published : Feb 5, 2021, 5:06 PM IST

सरकार की मनरेगा मजदूरों को काम देने की मंशा जनपद जौनपुर में धड़ाम हो गई है. सरकार ने कोरोना काल में मजदूरों को काम देने के लिए योजनाएं बनाई थीं. इसके बाद भी चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 10,353 मजदूर को ही 100 दिन का काम मिल सका है. देखें रिपोर्ट-

मजदूरों को नहीं मिला रोजगार.
मजदूरों को नहीं मिला रोजगार.

जौनपुर : सरकार की मनरेगा मजदूरों को काम देने की मंशा जनपद में धड़ाम हो गई है. सरकार ने कोरोना काल में मजदूरों को काम देने के लिए खूब योजनाएं बनाई थीं. इसके बाद भी चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पा सके हैं. जनपद जौनपुर में 64 हजार मजदूरों को एक भी दिन का काम नहीं मिला.

मनरेगा योजना में मजदूरों को नहीं मिला काम.
सरकार ने दावा किया था कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरी कर अपनी जीविका चलाने वालों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराए गए है. इस दौरान नए पार्क, तालाब, सामुदायिक शौचालय, तटबंध निर्माण, नहर की सफाई सहित अन्य कार्यों के लिए भी योजना बनाई गई थी. इसका मकसद था कि गांव-गांव अभियान चलाकर मजदूरों को काम से जोड़ा जाए. इन तमाम कोशिशों के बाद भी अधिकांश मजदूर 100 दिन का काम नहीं पा सके.
10353 मजदूरों को ही मिला 100 दिन का काम

जौनपुर में करीब 2.73 लाख एक्टिव जॉब कार्ड धारक मजदूर हैं. इनमें से महज 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पा सके हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 64000 मजदूरों को एक दिन का भी काम नहीं मिला है. मनरेगा के प्रभारी उपायुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि जौनपुर में मजदूरों की कुल संख्या लगभग 4,58,273 है. इनमें से एक्टिव मजदूर 2.73 लाख हैं. इनमें से 2 लाख मजदूरों को काम तो मिला, मगर वे 100 दिन के लक्ष्य से कोसों दूर हैं.

15 दिन बाद आता है खाते में पैसा

ETV भारत की टीम ने परियावा ग्राम सभा के मनरेगा मजदूरों से बातचीत की. इस दौरान मजदूरों ने बताया कि काम मांगने पर उन्हें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हरियाणा के रहने वाले मनरेगा मजदूर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने मनरेगा के लगभग 100 दिन के काम का लक्ष्य पूरा कर लिया है. महिला मजदूर प्रमिला और चमेला की स्थिति कुछ और ही है. प्रमिला ने 50 दिन काम किया, तो चमेला महज 28 दिन ही काम कर पाई हैं. ऐसे में उन्हें घर चलाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन मजदूरों ने बताया कि मनरेगा के तहत काम करने पर 14 से 15 दिन बाद खाते में पैसा आता है. कभी-कभी इसमें एक महीने का भी समय लग जाता है. बाहर काम करने पर दिन की दिहाड़ी शाम को तुरंत मिल जाती है.

ये कहते हैं जिम्मेदार

मनरेगा के प्रभारी उपायुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मनरेगा काम की मांग पर आधारित है. जॉब कार्ड धारक मांगता है तो उसे काम दिया जाता है. लगातार काम मांगने वालों का 100 दिन का काम पूरा हो जाता है, लेकिन कई मजदूर ऐसे हैं जो मांग ही नहीं रखते. इसके बाद भी मजदूरों को काम से जोड़ने की कवायद लगातार जारी है. भूपेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक, लगभग 1.85 लाख मनरेगा मजदूर निष्क्रिय हैं. करीब 64 हजार मजदूरों को एक भी दिन काम नहीं मिला है. मात्र 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पूरा कर सके हैं.

जौनपुर : सरकार की मनरेगा मजदूरों को काम देने की मंशा जनपद में धड़ाम हो गई है. सरकार ने कोरोना काल में मजदूरों को काम देने के लिए खूब योजनाएं बनाई थीं. इसके बाद भी चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पा सके हैं. जनपद जौनपुर में 64 हजार मजदूरों को एक भी दिन का काम नहीं मिला.

मनरेगा योजना में मजदूरों को नहीं मिला काम.
सरकार ने दावा किया था कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरी कर अपनी जीविका चलाने वालों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराए गए है. इस दौरान नए पार्क, तालाब, सामुदायिक शौचालय, तटबंध निर्माण, नहर की सफाई सहित अन्य कार्यों के लिए भी योजना बनाई गई थी. इसका मकसद था कि गांव-गांव अभियान चलाकर मजदूरों को काम से जोड़ा जाए. इन तमाम कोशिशों के बाद भी अधिकांश मजदूर 100 दिन का काम नहीं पा सके.10353 मजदूरों को ही मिला 100 दिन का काम

जौनपुर में करीब 2.73 लाख एक्टिव जॉब कार्ड धारक मजदूर हैं. इनमें से महज 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पा सके हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 64000 मजदूरों को एक दिन का भी काम नहीं मिला है. मनरेगा के प्रभारी उपायुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि जौनपुर में मजदूरों की कुल संख्या लगभग 4,58,273 है. इनमें से एक्टिव मजदूर 2.73 लाख हैं. इनमें से 2 लाख मजदूरों को काम तो मिला, मगर वे 100 दिन के लक्ष्य से कोसों दूर हैं.

15 दिन बाद आता है खाते में पैसा

ETV भारत की टीम ने परियावा ग्राम सभा के मनरेगा मजदूरों से बातचीत की. इस दौरान मजदूरों ने बताया कि काम मांगने पर उन्हें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हरियाणा के रहने वाले मनरेगा मजदूर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने मनरेगा के लगभग 100 दिन के काम का लक्ष्य पूरा कर लिया है. महिला मजदूर प्रमिला और चमेला की स्थिति कुछ और ही है. प्रमिला ने 50 दिन काम किया, तो चमेला महज 28 दिन ही काम कर पाई हैं. ऐसे में उन्हें घर चलाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन मजदूरों ने बताया कि मनरेगा के तहत काम करने पर 14 से 15 दिन बाद खाते में पैसा आता है. कभी-कभी इसमें एक महीने का भी समय लग जाता है. बाहर काम करने पर दिन की दिहाड़ी शाम को तुरंत मिल जाती है.

ये कहते हैं जिम्मेदार

मनरेगा के प्रभारी उपायुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मनरेगा काम की मांग पर आधारित है. जॉब कार्ड धारक मांगता है तो उसे काम दिया जाता है. लगातार काम मांगने वालों का 100 दिन का काम पूरा हो जाता है, लेकिन कई मजदूर ऐसे हैं जो मांग ही नहीं रखते. इसके बाद भी मजदूरों को काम से जोड़ने की कवायद लगातार जारी है. भूपेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक, लगभग 1.85 लाख मनरेगा मजदूर निष्क्रिय हैं. करीब 64 हजार मजदूरों को एक भी दिन काम नहीं मिला है. मात्र 10353 मजदूर ही 100 दिन का काम पूरा कर सके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.