बिजनौरः जिले के कस्तूरबा बालिका विद्यालय के बच्चों के निवाले का लाखों रुपये डकारने का आरोप बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों पर लगा है. इस मामले में डीएम से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर जवाब देने से बच रहे हैं. वहीं, बीएसए महेश चंद्र ने घोटाले से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि बिजनौर में कोई घोटाला नहीं हुआ है.
जिले में 14 कस्तूरबा बालिका विद्यालय है. अभी हाल ही में महानिदेशक स्कूल शिक्षा एव राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तर प्रदेश लखनऊ से जारी पत्र में बड़ा खुलासा हुआ है. जिसमे कई जिलों के साथ बिजनौर में भी 74 लाख से अधिक गोलमाल का उजागर हुआ है. कोरोना काल में बंद स्कूल में न तो बच्चे ही थे न कोई स्टाफ ही था. इसके बावजूद भोजन, मेडिकल, केयर, स्टेशनरी के नाम पर अधिकारी 74 लाख से अधिक रुपये हड़प गए. वहीं, इस मामले में डीएम रमाकांत पांडेय और जिला परियोजना अधिकारी मित्र लाल गौतम जवाब देने से बच रहे हैं. वहीं, कस्तूरबा बालिका विद्यालय धर्मनगरी की वार्डन कैमरा देख कर भड़क गयी और बोली कैमरे के सामने कुछ नहीं बताऊंगी. उन्होंने कहा कि घोटाले की बात गलत है. बिन कैमरे के सामने में सब कुछ बता दूंगी.
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आवश्यकता के अनुसार खर्च किए गए पैसे
इस घोटाले को लेकर ETV BHARAT से बेसिक शिक्षा अधिकारी महेश चंद्र ने अपनी सफाई पेश करते हुए बताया कि फरवरी के 6 से 7 तारीख को बजट के दौरान जिले में 2 महीने के लिए 1 करोड़ 20 लाख रुपये आए थे. जिसमें कि 67 फीसद पेमेंट सभी 14 स्कूलों को जारी कर दिया गया था. कस्तूरबा बालिका विद्यालय की वार्डन द्वारा रुपयों की मांग किये जाने पर 2 महीने के खर्च का यह पेमेंट आया था. जिसमें बच्चियों के खाने व अन्य सामानों के लिए जो भी रुपया आया था, उसका 67 फीसद खर्च किया गया है. इसको लेकर 11 फरवरी को सभी वार्डनों को लिखित में आदेश दिया गया था कि प्रेरणा मिशन पोर्टल पर सारे दस्तावेजों को अपलोड करें, जो नहीं किया गया. इसी गलती के कारण यह मामला सामने आया है. बीएसए ने कहा कि किसी भी प्रकार का कोई भी घोटाला नहीं हुआ है.
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