ETV Bharat / state

...यहां जान जोखिम में डालकर सालों से टूटे पुल से आ-जा रहे हैं ग्रामीण

देश निरतंर आगे बढ़ रहा है. देश का विकास भी हो रहा है, लेकिन कुछ तस्वीरें इस पर सवालिया निशान भी खड़ा करती हैं. ताजा मामला बस्ती जिले का है, जहां 50 साल पुराने लकड़ी के टूटे हुए पुल से लोगों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ रहा है. इस ओर न जनता के प्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही जिम्मेदार अधिकारी.

बस्ती के इस गांव में पुराने टूटे पुल को जान जोखिम में डालकर पार करते हैं लोग.
author img

By

Published : Sep 14, 2019, 10:59 AM IST

बस्ती: देश आगे बढ़ रहा है, देश का विकास हो रहा है, लेकिन आज भी बस्ती जिले के कुछ लोग लकड़ी के पुल से जान हथेली पर रखकर जाने को मजबूर हैं. न तो यहां के जनप्रतिनिधि ने इन ग्रामीणों की समस्या पर कोई ध्यान दिया और न ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी. कलवारी-टांडा से माझा कला के बैरियरपुरवा जाने वाले मार्ग पर बना लकड़ी का पुल अब ढहने के कगार पर है. पुल पर लोग जान हथेली पर रखकर आवागमन कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल को पार करते हैं लोग.

कुदरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत माझा कला का बैरियर पुरवा गांव घाघरा नदी के तट पर टांडा घाट के पास बसा हुआ है. इस पुरवे के 45 घरों के लोगों के अलावा माझा में खेती करने वाले लोगों के आने-जाने का यही एक मार्ग है. 50 साल पहले इस मार्ग पर लकड़ी का पुल बना था. उस समय इसी मार्ग से लोग नदी घाट पर जाकर नाव से टांडा जाते थे. समय-समय पर इस पुल की मरम्मत भी होती थी. साल 2013 में सरयू नदी पर पक्का पुल बन जाने से इस मार्ग की उपयोगिता मात्र कुछ लोगों के लिए ही रह गई. इधर कई वर्षों से पुल की मरम्मत न होने से अब यह जर्जर हो गया है.

बैरियरपुरवा गांव के लोगों ने बताया कि पांच वर्ष पहले उन लोगों ने जनसहयोग से पुल की मरम्मत कराई थी. दो वर्ष से पुल का पूर्वी हिस्सा गिरने की स्थिति में आ गया है. कोई और विकल्प न होने से इसी रास्ते से आना-जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार पुल की मरम्मत कराई गई थी. स्थानीय विधायक को भी इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन किसी ने भी उनकी दिक्कत का हल नहीं किया, जिले के अफसर भी इस गांव में आज तक नहीं आये, जिस वजह से यह गांव एक संपर्क मार्ग के लिए तरस रहा.

ये भी पढ़ें: बस्ती: देश में मंदी की आहट के बीच योगी के मंत्री ने कह दी ये बड़ी बात

अब यहां सवाल ये उठता है कि अगर विकास की गंगा देश मे बह रही है तो वह इस गांव मे क्यों नही पहुंची. लकड़ी के पुल को अपना सहारा बनाकर जीवन जीने को आखिर क्यों इन गांव के लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है. आखिर कब हुक्मरानों की नजर यहां पड़ेगी और इस गांव का दर्द दूर हो सकेगा.

बस्ती: देश आगे बढ़ रहा है, देश का विकास हो रहा है, लेकिन आज भी बस्ती जिले के कुछ लोग लकड़ी के पुल से जान हथेली पर रखकर जाने को मजबूर हैं. न तो यहां के जनप्रतिनिधि ने इन ग्रामीणों की समस्या पर कोई ध्यान दिया और न ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी. कलवारी-टांडा से माझा कला के बैरियरपुरवा जाने वाले मार्ग पर बना लकड़ी का पुल अब ढहने के कगार पर है. पुल पर लोग जान हथेली पर रखकर आवागमन कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल को पार करते हैं लोग.

कुदरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत माझा कला का बैरियर पुरवा गांव घाघरा नदी के तट पर टांडा घाट के पास बसा हुआ है. इस पुरवे के 45 घरों के लोगों के अलावा माझा में खेती करने वाले लोगों के आने-जाने का यही एक मार्ग है. 50 साल पहले इस मार्ग पर लकड़ी का पुल बना था. उस समय इसी मार्ग से लोग नदी घाट पर जाकर नाव से टांडा जाते थे. समय-समय पर इस पुल की मरम्मत भी होती थी. साल 2013 में सरयू नदी पर पक्का पुल बन जाने से इस मार्ग की उपयोगिता मात्र कुछ लोगों के लिए ही रह गई. इधर कई वर्षों से पुल की मरम्मत न होने से अब यह जर्जर हो गया है.

बैरियरपुरवा गांव के लोगों ने बताया कि पांच वर्ष पहले उन लोगों ने जनसहयोग से पुल की मरम्मत कराई थी. दो वर्ष से पुल का पूर्वी हिस्सा गिरने की स्थिति में आ गया है. कोई और विकल्प न होने से इसी रास्ते से आना-जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार पुल की मरम्मत कराई गई थी. स्थानीय विधायक को भी इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन किसी ने भी उनकी दिक्कत का हल नहीं किया, जिले के अफसर भी इस गांव में आज तक नहीं आये, जिस वजह से यह गांव एक संपर्क मार्ग के लिए तरस रहा.

ये भी पढ़ें: बस्ती: देश में मंदी की आहट के बीच योगी के मंत्री ने कह दी ये बड़ी बात

अब यहां सवाल ये उठता है कि अगर विकास की गंगा देश मे बह रही है तो वह इस गांव मे क्यों नही पहुंची. लकड़ी के पुल को अपना सहारा बनाकर जीवन जीने को आखिर क्यों इन गांव के लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है. आखिर कब हुक्मरानों की नजर यहां पड़ेगी और इस गांव का दर्द दूर हो सकेगा.

Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

स्लग- लकड़ी के पूल पर हथेली पर जान

एंकर- देश आगे बढ़ रहा, देश का विकाश हो रहा लेकिन आज भी बस्ती के कुछ लोग लकड़ी के पूल से जान हथेली पर रखकर जाने को मजबूर है, न तो यहां के जनप्रतिनिधि ने इन ग्रामीणों की समस्या पर कोई धयान दिया और न ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी ही कभी एसी कमरों से निकलकर इधर अपना रुख नही करते, कलवारी-टांडा से माझा कला के बैरियरपुरवा जाने वाले मार्ग पर बना लकड़ी का पुल अब ढहने के कगार पर है। पुल के शेष बचे पटरों पर लोग जान हथेली पर रखकर आवागमन कर रहे हैं।

कुदरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत माझा कला का बैरियर पुरवा घाघरा नदी के तट पर टांडा घाट के पास बसा है। इस पुरवे के 45 घरों के लोगों के अलावा माझा में खेती करने वाले लोगों के आने-जाने का यही एक मार्ग है। पचास वर्ष पहले इस मार्ग लकड़ी का पुल बना था। उस समय इसी मार्ग से लोग नदी घाट पर जाकर नाव से टांडा जाते थे। समय-समय पर इस पुल की मरम्मत भी होती थी। वर्ष 2013 में सरयू नदी पर पक्का पुल बन जाने से इस मार्ग की उपयोगिता मात्र कुछ लोगों के ही रह गई। इधर कई वर्षों से पुल की मरम्मत न होने से अब यह जर्जर हो गया है।


Body:बैरियरपुरवा गांव के दीवानचंद, भोला, बुझारत, प्रकाश, राजू, वेद ने बताया कि पांच वर्ष पहले उन लोगों ने जनसहयोग से पुल की मरम्मत कराई थी। दो वर्ष से पुल का पूर्वी हिस्सा गिरने की स्थिति में आ गया है। कोई और विकल्प न होने से इसी रास्ते से आना-जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि एक बार पुल की मरम्मत कराई गई थी। स्थानीय विधायक को भी इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है। लेकिन किसी ने भी उनकी दिक्कत का हल नही किया, जिले के अफसर भी इस गॉव में आज तक नही आये जिस वजह से यह गाँव एक संपर्क मार्ग के लिए तरस रहा।





Conclusion:अब यहां सवाल ये उठता है कि अगर विकास की गंगा देश मे भ रही है तो वह इस गाँव मे क्यों नही पहुँची, लकड़ी के पूल को अपना सहारा बनाकर जीवन जीने को आखिर क्यों इन गाँव के लोगो को मजबूर होना पड़ रहा, आखिर कब हुक्मरानों की नजर यहां पड़ेगी और इस गाँव का दर्द दूर हो सकेगा।


बाइट- छात्र
बाइट- राहगीर
बाइट- ग्रामीण
बाइट- अनिल सागर,,,,,,आयुक्त,बस्ती मंडल


बस्ती यूपी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.