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बस्ती के इस गांव में महज कागजों पर दिखता है विकास

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर सरकारी पैसों के गबन का आरोप लगाया है. ग्रामीण का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने सिर्फ कागजों पर ही गांव का विकास कराया है.

सड़कों की मरम्मत नहीं हुई.
सड़कों की मरम्मत नहीं हुई.
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Published : Sep 14, 2020, 5:51 PM IST

बस्ती: जिले के कुदरहा ब्लॉक स्थित जगन्नाथपुर गांव में प्रधान पर आरोप है कि उसने विकास कार्य की धनराशि का गबन किया है. गांव के विकास के लिए हुक्मरान की तरफ से भेजी गई धनराशि को ग्राम प्रधान अपनी झोली में भरने लगे. मामला कुदरहा ब्लॉक के जगन्नाथपुर गांव का है, जहां ग्राम प्रधान पर सरकारी रुपयों के गबन का आरोप है. जानकारी के मुताबिक गांव में विकास कार्य केवल कागजों पर ही दिखता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गांव में हर तरफ विकास नजर आएगा. गांव की सड़कें, पोखरे व बांध आदि को गांव के विकास का हिस्सा बताया गया है.

प्रधान पर सरकारी संपत्ति के गबन का आरोप.

विकास कार्य और गांव की तस्वीर में फर्क महज इतना है कि प्रधान की तरफ से किए गए सारे कार्य गांव वालों के लिए अदृश्य हैं. दरअसल कागजातों के हिसाब के मुताबिक सरकारी रुपयों का सदुपयोग इन्हीं कार्यों के लिए किया गया है. ग्राम प्रधान संजू पर आरोप है कि 5 साल पुरानी सड़क के लिए नया भुगतान आया, लेकिन मरम्मत नहीं कराई गई. गांव में पोखरा तो है, लेकिन उसकी सफाई सिर्फ कागजातों में ही की गई है, जबकि इसके लिए 10 लाख का भुगतान ले लिया गया.

ग्रामीण का आरोप है कि ग्राम प्रधान संजू ने विकास के बजट को अपनी झोली में भर लिया है. गांव का विकास करने के बजाय प्रधान संजू ने अपने लिए जमीन-जायदाद खरीद ली और अपना बैंक बैलेंस मजबूत कर लिया. गांव के घोटाले की शिकायत विकास भवन तक पहुंची तो साहब ने टीम गठित करने के लिए 7 दिन लगा दिए.

बस्ती: जिले के कुदरहा ब्लॉक स्थित जगन्नाथपुर गांव में प्रधान पर आरोप है कि उसने विकास कार्य की धनराशि का गबन किया है. गांव के विकास के लिए हुक्मरान की तरफ से भेजी गई धनराशि को ग्राम प्रधान अपनी झोली में भरने लगे. मामला कुदरहा ब्लॉक के जगन्नाथपुर गांव का है, जहां ग्राम प्रधान पर सरकारी रुपयों के गबन का आरोप है. जानकारी के मुताबिक गांव में विकास कार्य केवल कागजों पर ही दिखता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गांव में हर तरफ विकास नजर आएगा. गांव की सड़कें, पोखरे व बांध आदि को गांव के विकास का हिस्सा बताया गया है.

प्रधान पर सरकारी संपत्ति के गबन का आरोप.

विकास कार्य और गांव की तस्वीर में फर्क महज इतना है कि प्रधान की तरफ से किए गए सारे कार्य गांव वालों के लिए अदृश्य हैं. दरअसल कागजातों के हिसाब के मुताबिक सरकारी रुपयों का सदुपयोग इन्हीं कार्यों के लिए किया गया है. ग्राम प्रधान संजू पर आरोप है कि 5 साल पुरानी सड़क के लिए नया भुगतान आया, लेकिन मरम्मत नहीं कराई गई. गांव में पोखरा तो है, लेकिन उसकी सफाई सिर्फ कागजातों में ही की गई है, जबकि इसके लिए 10 लाख का भुगतान ले लिया गया.

ग्रामीण का आरोप है कि ग्राम प्रधान संजू ने विकास के बजट को अपनी झोली में भर लिया है. गांव का विकास करने के बजाय प्रधान संजू ने अपने लिए जमीन-जायदाद खरीद ली और अपना बैंक बैलेंस मजबूत कर लिया. गांव के घोटाले की शिकायत विकास भवन तक पहुंची तो साहब ने टीम गठित करने के लिए 7 दिन लगा दिए.

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