बस्तीः यूपी विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से ही जोर आजमाइश शुरू कर दी है. विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, सपा और बसपा के कई संभावित उम्मीदवार हाईकमान से लेकर जनता के बीच अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है. वहीं, जिले की सदर विधानसभा सीट-310 में भी सियासी पारा तेजी से गर्म हो रहा है. वर्तमान में इस सीट से भाजपा के दयाराम चौधरी विधायक हैं. इस सीट पर आजादी के बाद से अभी तक समाजवादी पार्टी को कभी जीत नहीं मिली है. जबकि इस बार सपा और बसपा के मजबूत उम्मीदवार बीजेपी को सीधा टक्कर देने को बेताब हैं.
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार बस्ती सदर में कुल 3,50,307 पंजीकृत मतदाता हैं. इसमें 1,69,820 पुरुष और 1,46,124 महिला पंजीकृत मतदाता शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 58.29 था. बस्ती सदर विधानसभा में ब्राह्मण वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी चुनाव में अहम रोल निभाते हैं. वहीं वर्तमान बीजेपी के विधायक दयाराम चौधरी से कुर्मी वोटर छोड़कर अन्य जाति के वोटर काफी हद तक नाराज चल रहे हैं. क्योंकि विधायक पर आरोप है कि वे कुर्मी जाति के वोटर का अधिक सपोर्ट करते हैं. वहीं, दयाराम चौधरी आश्वस्त है कि उनके परफॉर्मेंस पर उन्हें ही टिकट मिलेगा. लेकिन बीजेपी में ही कई अन्य नेता भी टिकट के दावेदारी में पूरे जोर-शोर से लगे हैं.
इसे भी पढ़ें-शिवसेना का 'जौनपुर पैटर्न' लिखना ओछी राजनीति, जनपद का नाम न करें बदनाम: कृपा शंकर सिंह
बस्ती सदर सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दयाराम चौधरी को 92697 वोट पाकर सपा के महेंद्र यादव को 42,594 मतों के अंतर से हराया था. दयाराम चौधरी पीस पार्टी, सपा, लोकदल, जनता दल और बसपा का सफर तय करते हुए 2017 में बीजेपी ज्वाइन की और मोदी लहर में जीत हासिल की. वहीं 1989 में जनता दल से राजमणि पांडे, 1992 में भाजपा से जगदंबा सिंह, 1997 और 2002 में भी कांग्रेस से जगदंबिका पाल और 2007 में बसपा से जितेंद्र चौधरी विधायक चुने गए थे 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के नंदू चौधरी ने 219,003 मतों से इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे.
उद्योगों और चीनी मिलों पर पड़े ताले
बस्ती में कांग्रेस के पेट्रोलियम मंत्री केशवदेव मालवीय ने प्लास्टिक कॉम्पलेक्स की नींव रखी थी. कच्चे माला और बाजार की उपलब्धता न होने से इन उद्योगों पर ताला लटक गया. यहीं नहीं पराग डेयरी समेत कई औद्योगिक इकाइयों को अब जैसे-तैसे संचालित किया जा रहा है. बस्ती सदर और वाल्टरगंज में सरकारी उदासीनता के चलते शुगर मिलें बंद हो चुकी है. वहीं, बस्ती की सड़कें भी बेहद खस्ताहाल हो चुकी हैं.