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मेडिकल कॉलेज में सांसों का सौदाः 40 ऑक्सीजन सिलेंडर गायब, जांच में क्लीन चिट

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 40 ऑक्सीजन सिलेंडर गायब होने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करके लाखों रुपये का खेल किया गया.

बस्ती
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Published : Jun 11, 2021, 10:03 AM IST

बस्तीः जिले के मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल कैली में जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करने का मामला प्रकाश में आया है. एक तरह से इंसान के दुश्मनों ने ‘सांसों’ का घोटाला कर डाला. कोविड अस्पताल से 40 जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर गायब हो जाते हैं और इसकी रिपोर्ट तक ऑक्सीजन नोडल अधिकारी और सहायक नोडल अधिकारी ने प्राचार्य को नहीं दी है. यह सिलेंडर उस समय से गायब हैं, जब पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ था, जिसके अभाव में न जाने कितने मरीजों की मौत हो गई थी. हालांकि जांच में मेडिकल कॉलेज खुद को क्लीन चिट दे रहा है पर अभी भी कॉलेज की सफाई लोगों को हजम नहीं हो रही.

हिसाब मांगा तो पता चला
मामले का खुलासा कभी न होता अगर शासन ने खरीदे गए सिलेंडर का हिसाब-किताब न मांगा होता. सिलेंडर गायब होने की खबर लगते ही मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया. प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार की ओर से कराई गई गोपनीय जांच में जब यह साबित हो गया कि बड़ी संख्या में सिलेंडर गायब हैं तो सबके हाथ-पैर फूल गए, छानबीन तेज हो गई. मयूर ऑक्सीजन प्लांट से लेकर स्टोर और खलीलाबाद के पास सिलेंडर से भरे वाहन के पलटने के स्थान तक जांच हुई, मगर कहीं भी सिलेंडर का पता नहीं चला. खलीलाबाद पुलिस से भी जानकारी ली गई मगर सिलेंडर का कहीं भी पता नहीं चला. प्राचार्य का कहना है कि जांच में टीम लगा दी गई हैं, रिपोर्ट मिलते ही संबधित जिम्मेदारों के खिलाफ डीएम की अनुमति के बाद विधिक कार्रवाई कर दी जाएगी. वहीं बताया ये जा रहा है कि मौत के सौदागर एक-एक सिलेंडर को 25 से 30 हजार कालाबाजारी करके तिजोरी भर रहे थे.

बस्ती में ऑक्सीजन सिलेंडर गायब

कार्रवाई की मांग
भाजपा नेता अनूप खरे और रुधौली विधायक संजय जायसवाल ने दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पूरे प्रदेश में बस्ती मेडिकल कॉलेज का पहला कोविड अस्पताल है, जहां पर इतनी बड़ी संख्या में जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर के गायब होने या फिर कालाबाजारी करने का मामला सामने आया. कालाबाजारी होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पचपेड़िया रोड पर स्थित एक प्राइवेट निजी अस्पताल आस्था में छापा मारकर पांच जंबों सिलेंडर बरामद हुए हैं. वहीं, एक अन्य हैप्पी नामक निजी अस्पताल का लाइसेंस इसलिए निरस्त कर दिया गया, क्योंकि यहां पर मरीजों से प्रति घंटा ऑक्सीजन का पांच हजार रुपया लिया जाता था. आरोप है कि कैली अस्पताल से जो भी आक्सीजन सिलेंडर का खेल होता था, वह प्राइवेट अस्पतालों को महंगे दामों में बेचे जाते थे. इस खेल में ऑक्सीजन का परिवहन करने वाले वाहन चालक के भी शामिल होने की बात कही गई. कहना गलत नहीं होगा कि केैली में ऑक्सीजन की हेराफेरी में एक गिरोह काम कर रहा था, इस गिरोह पर इससे पहले भी कैली को बर्बाद करने का आरोप लग चुका है. पहले बताया गया कि जो गाड़ी पलटी थी, उसी में सिलेंडर गायब हुआ होगा. अब सवाल उठ रहा है कि गाड़ी पलटने की एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई गई और क्यों नहीं सिलेंडर को पुलिस के सुपुर्द किया गया. दूसरा सबसे बड़ा सवाल इतने दिनों तक सिलेंडर गायब रहा मगर इसकी रिपोर्ट करना स्टोर इंचार्ज और नोडल अधिकारी ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन या फिर स्थानीय प्रशासन को जरूरी नहीं समझा. ऑक्सीजन और खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 200 खाली सिलेंडर लगभग 32 लाख में खरीदे. यानि एक सिलेंडर 16 हजार में खरीदा गया. इस तरह अगर देखा जाए लगभग साढ़े छह लाख रुपये के खाली सिलेंडर गायब या फिर ब्लैक कर दिए गए. जिस समय 40 सिलेंडर की कालाबाजारी की गई, उस समय एक भरे हुए सिलेंडर को 25 से 30 हजार में बेचा जा रहा था. इस तरह घपलेबाजों ने सिर्फ एक बार में 12 लाख से अधिक कमाया. खाली सिलेंडर को भरा दिखा कर धन का बंदरबांट हुई. यहां तक कि धन कमाने के लिए मरीजों के लगे भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर को जान बूझकर खाली बताकर कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता था. बाद में इसी सिलेंडर को भरा दिखाकर स्टोर में जमा कर दिया जाता था, इसका खुलासा तब हुआ जब डीएम ने सिलेंडर के खपत की मानिटरिंग की, तब पता चला कि संकट के दिनों में 100 मरीज पर प्रति दिन ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत लगभग 400 दिखाई जाती थी, मगर जब सख्ती हुई तो 110 मरीज पर सिलेंडर की खपत 400 से घटकर 200 हो गया. इस तरह कई करोड़ का अवैध कारोबार मौत के सौदागरों के द्वारा करने का दावा किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ेंः दिल्ली में योगी : मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी या असंतोष दबाने की कवायद?

रिपोर्ट में सब ठीक
इस मामले के खुलासा होने के बाद डीएम के निर्देश पर जांच हुई, जिसके बाद अपनी गर्दन फंसता देख जिम्मेदारों ने आल इज वेल की रिपोर्ट तैयार कर ऊपर भेज दी. सीएमसी डॉक्टर सोमेश श्रीवास्तव ने इस बारे में बताया की सिलेंडर गायब नहीं हुए हैं. स्टॉक पूरा है मगर कितना स्टॉक है इसकी जानकारी वे नहीं दे सके.

बस्तीः जिले के मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल कैली में जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करने का मामला प्रकाश में आया है. एक तरह से इंसान के दुश्मनों ने ‘सांसों’ का घोटाला कर डाला. कोविड अस्पताल से 40 जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर गायब हो जाते हैं और इसकी रिपोर्ट तक ऑक्सीजन नोडल अधिकारी और सहायक नोडल अधिकारी ने प्राचार्य को नहीं दी है. यह सिलेंडर उस समय से गायब हैं, जब पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ था, जिसके अभाव में न जाने कितने मरीजों की मौत हो गई थी. हालांकि जांच में मेडिकल कॉलेज खुद को क्लीन चिट दे रहा है पर अभी भी कॉलेज की सफाई लोगों को हजम नहीं हो रही.

हिसाब मांगा तो पता चला
मामले का खुलासा कभी न होता अगर शासन ने खरीदे गए सिलेंडर का हिसाब-किताब न मांगा होता. सिलेंडर गायब होने की खबर लगते ही मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया. प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार की ओर से कराई गई गोपनीय जांच में जब यह साबित हो गया कि बड़ी संख्या में सिलेंडर गायब हैं तो सबके हाथ-पैर फूल गए, छानबीन तेज हो गई. मयूर ऑक्सीजन प्लांट से लेकर स्टोर और खलीलाबाद के पास सिलेंडर से भरे वाहन के पलटने के स्थान तक जांच हुई, मगर कहीं भी सिलेंडर का पता नहीं चला. खलीलाबाद पुलिस से भी जानकारी ली गई मगर सिलेंडर का कहीं भी पता नहीं चला. प्राचार्य का कहना है कि जांच में टीम लगा दी गई हैं, रिपोर्ट मिलते ही संबधित जिम्मेदारों के खिलाफ डीएम की अनुमति के बाद विधिक कार्रवाई कर दी जाएगी. वहीं बताया ये जा रहा है कि मौत के सौदागर एक-एक सिलेंडर को 25 से 30 हजार कालाबाजारी करके तिजोरी भर रहे थे.

बस्ती में ऑक्सीजन सिलेंडर गायब

कार्रवाई की मांग
भाजपा नेता अनूप खरे और रुधौली विधायक संजय जायसवाल ने दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पूरे प्रदेश में बस्ती मेडिकल कॉलेज का पहला कोविड अस्पताल है, जहां पर इतनी बड़ी संख्या में जंबों ऑक्सीजन सिलेंडर के गायब होने या फिर कालाबाजारी करने का मामला सामने आया. कालाबाजारी होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पचपेड़िया रोड पर स्थित एक प्राइवेट निजी अस्पताल आस्था में छापा मारकर पांच जंबों सिलेंडर बरामद हुए हैं. वहीं, एक अन्य हैप्पी नामक निजी अस्पताल का लाइसेंस इसलिए निरस्त कर दिया गया, क्योंकि यहां पर मरीजों से प्रति घंटा ऑक्सीजन का पांच हजार रुपया लिया जाता था. आरोप है कि कैली अस्पताल से जो भी आक्सीजन सिलेंडर का खेल होता था, वह प्राइवेट अस्पतालों को महंगे दामों में बेचे जाते थे. इस खेल में ऑक्सीजन का परिवहन करने वाले वाहन चालक के भी शामिल होने की बात कही गई. कहना गलत नहीं होगा कि केैली में ऑक्सीजन की हेराफेरी में एक गिरोह काम कर रहा था, इस गिरोह पर इससे पहले भी कैली को बर्बाद करने का आरोप लग चुका है. पहले बताया गया कि जो गाड़ी पलटी थी, उसी में सिलेंडर गायब हुआ होगा. अब सवाल उठ रहा है कि गाड़ी पलटने की एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई गई और क्यों नहीं सिलेंडर को पुलिस के सुपुर्द किया गया. दूसरा सबसे बड़ा सवाल इतने दिनों तक सिलेंडर गायब रहा मगर इसकी रिपोर्ट करना स्टोर इंचार्ज और नोडल अधिकारी ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन या फिर स्थानीय प्रशासन को जरूरी नहीं समझा. ऑक्सीजन और खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 200 खाली सिलेंडर लगभग 32 लाख में खरीदे. यानि एक सिलेंडर 16 हजार में खरीदा गया. इस तरह अगर देखा जाए लगभग साढ़े छह लाख रुपये के खाली सिलेंडर गायब या फिर ब्लैक कर दिए गए. जिस समय 40 सिलेंडर की कालाबाजारी की गई, उस समय एक भरे हुए सिलेंडर को 25 से 30 हजार में बेचा जा रहा था. इस तरह घपलेबाजों ने सिर्फ एक बार में 12 लाख से अधिक कमाया. खाली सिलेंडर को भरा दिखा कर धन का बंदरबांट हुई. यहां तक कि धन कमाने के लिए मरीजों के लगे भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर को जान बूझकर खाली बताकर कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता था. बाद में इसी सिलेंडर को भरा दिखाकर स्टोर में जमा कर दिया जाता था, इसका खुलासा तब हुआ जब डीएम ने सिलेंडर के खपत की मानिटरिंग की, तब पता चला कि संकट के दिनों में 100 मरीज पर प्रति दिन ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत लगभग 400 दिखाई जाती थी, मगर जब सख्ती हुई तो 110 मरीज पर सिलेंडर की खपत 400 से घटकर 200 हो गया. इस तरह कई करोड़ का अवैध कारोबार मौत के सौदागरों के द्वारा करने का दावा किया जा रहा है.

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रिपोर्ट में सब ठीक
इस मामले के खुलासा होने के बाद डीएम के निर्देश पर जांच हुई, जिसके बाद अपनी गर्दन फंसता देख जिम्मेदारों ने आल इज वेल की रिपोर्ट तैयार कर ऊपर भेज दी. सीएमसी डॉक्टर सोमेश श्रीवास्तव ने इस बारे में बताया की सिलेंडर गायब नहीं हुए हैं. स्टॉक पूरा है मगर कितना स्टॉक है इसकी जानकारी वे नहीं दे सके.

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