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बस्ती: खेती की भूमि परीक्षण में बड़ा घपला, हजारों मृदा स्वास्थ्य कार्ड कूड़े में मिले

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Published : Jan 22, 2020, 3:07 AM IST

यूपी के बस्ती में मृदा जांच को लेकर घपले का मामला सामने आया है. जिले के रैया ब्लाक में बने मृदा परीक्षण केंद्र की हालत खराब है. यहां केंद्र कागजों में चल रहे हैं. यहां का किसान निराश हैं.

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मृदा स्वास्थ्य कार्ड.

बस्ती: किसानों के खेती की भूमि परीक्षण में बड़ा गोलमाल का मामला सामने आया है. जिले में एक मृदा जांच प्रयोगशाला है और दो उप मृदा परीक्षण केंद्र हैं. हरैया ब्लाक में बने मृदा परीक्षण केंद्र की हालत सबसे खराब है. इस केंद्र से किसान पिछले 2 साल से निराश होकर वापस लौट रहा है. यह केंद्र केवल फाइलों में ही संचालित हो रहा है. किसानों का आरोप है कि 2017 के बाद यह केंद्र कभी खुला ही नहीं है. केंद्र के बगल में झाड़ियों में भारी मात्रा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाए गए हैं.

किसानो के खेती की भूमि परिक्षण मे घपला.

एक साल में 30 किसानों की भूमि की जांच
मुख्य मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में एक साल में मात्र 30 किसानों के भूमि की जांच हुई है, जब अन्य दो सेंटरों पर किसी भी किसान के भूमि की जांच नहीं हुई. दो सेंटरों पर हमेशा ताला लटका रहता है. इन तीनों सरकारी लैब में किसानों के खेत की मिट्टी की जांच होती है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में मृदा नमूना लिए जाने का 37 हजार का लक्ष्य मिला था. किसानों के खेत के भूमि की जांच विभाग के द्वारा कराई गई है. जबकि जिले के 5 लाख किसान में से मात्र 30 किसान खुद जांच करवाने आए.

विभाग के फाइलों में 31 हजार किसानों के खेत के भूमि की अपने स्तर से जांच कराई है. जांच के बाद अब तक प्रयोगशाला ने 30900 रिपोर्ट कार्ड जारी कर दिया है, जिन्हें किसानों में वितरित किया जा चुका है. किसानों को जो कार्ड जारी किया जाता है, उसमें तत्व की कमी और अधिकता के बारे में बताया गया है. सहायक निदेशक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी प्रदीप चौधरी ने बताया कि यहां सरकारी लैब है. मिट्टी की जांच नियमानुसार होती है. गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है.

मिट्टी की जांच के लिए मानक तय हैं. ढाई हेक्टेयर ग्रिड में से किसी एक खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाता है. नमूना लेते समय वहां के किसानों को एकत्र किया जाता है, उनके नाम दर्ज किए जाते हैं. परीक्षण के बाद ग्रिड में शामिल किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत के बारे में बताया जाता है. कार्ड सभी को जारी किया जाता है. कार्ड के अनुसार खेत में कमजोर तत्वों की आपूर्ति किसान करते हैं. विभाग के अनुसार ढाई हेक्टेयर क्षेत्र की सारी मिट्टी एक समान होती है.

उपजाऊ खेत की मिट्टी में 16 तत्वों की जांच कराई जाती है. बस्ती में क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, हर्रैया और भानपुर में तहसील स्तर पर जांच होती है. तहसील स्तर पर छह तत्वों की जांच होती है, जिसमें पोएस, ईसी, आर्गेनिक कार्बन डीसी, उपलब्ध नाइट्रोजन एन, फास्फोरस पी, पोटैशियम की जांच शामिल है. वहीं क्षेत्रीय प्रयोगशाला में सल्फर एस, जिंक जेडएन, बोरोन बी, आयरन एफई, मैंगनीज एमएन, कापर सीयू की जांच होती है. शेष जो चार तत्व बचते हैं, 12 जांच में उनको कवर कर लिया जाता है.

बस्ती: किसानों के खेती की भूमि परीक्षण में बड़ा गोलमाल का मामला सामने आया है. जिले में एक मृदा जांच प्रयोगशाला है और दो उप मृदा परीक्षण केंद्र हैं. हरैया ब्लाक में बने मृदा परीक्षण केंद्र की हालत सबसे खराब है. इस केंद्र से किसान पिछले 2 साल से निराश होकर वापस लौट रहा है. यह केंद्र केवल फाइलों में ही संचालित हो रहा है. किसानों का आरोप है कि 2017 के बाद यह केंद्र कभी खुला ही नहीं है. केंद्र के बगल में झाड़ियों में भारी मात्रा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाए गए हैं.

किसानो के खेती की भूमि परिक्षण मे घपला.

एक साल में 30 किसानों की भूमि की जांच
मुख्य मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में एक साल में मात्र 30 किसानों के भूमि की जांच हुई है, जब अन्य दो सेंटरों पर किसी भी किसान के भूमि की जांच नहीं हुई. दो सेंटरों पर हमेशा ताला लटका रहता है. इन तीनों सरकारी लैब में किसानों के खेत की मिट्टी की जांच होती है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में मृदा नमूना लिए जाने का 37 हजार का लक्ष्य मिला था. किसानों के खेत के भूमि की जांच विभाग के द्वारा कराई गई है. जबकि जिले के 5 लाख किसान में से मात्र 30 किसान खुद जांच करवाने आए.

विभाग के फाइलों में 31 हजार किसानों के खेत के भूमि की अपने स्तर से जांच कराई है. जांच के बाद अब तक प्रयोगशाला ने 30900 रिपोर्ट कार्ड जारी कर दिया है, जिन्हें किसानों में वितरित किया जा चुका है. किसानों को जो कार्ड जारी किया जाता है, उसमें तत्व की कमी और अधिकता के बारे में बताया गया है. सहायक निदेशक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी प्रदीप चौधरी ने बताया कि यहां सरकारी लैब है. मिट्टी की जांच नियमानुसार होती है. गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है.

मिट्टी की जांच के लिए मानक तय हैं. ढाई हेक्टेयर ग्रिड में से किसी एक खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाता है. नमूना लेते समय वहां के किसानों को एकत्र किया जाता है, उनके नाम दर्ज किए जाते हैं. परीक्षण के बाद ग्रिड में शामिल किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत के बारे में बताया जाता है. कार्ड सभी को जारी किया जाता है. कार्ड के अनुसार खेत में कमजोर तत्वों की आपूर्ति किसान करते हैं. विभाग के अनुसार ढाई हेक्टेयर क्षेत्र की सारी मिट्टी एक समान होती है.

उपजाऊ खेत की मिट्टी में 16 तत्वों की जांच कराई जाती है. बस्ती में क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, हर्रैया और भानपुर में तहसील स्तर पर जांच होती है. तहसील स्तर पर छह तत्वों की जांच होती है, जिसमें पोएस, ईसी, आर्गेनिक कार्बन डीसी, उपलब्ध नाइट्रोजन एन, फास्फोरस पी, पोटैशियम की जांच शामिल है. वहीं क्षेत्रीय प्रयोगशाला में सल्फर एस, जिंक जेडएन, बोरोन बी, आयरन एफई, मैंगनीज एमएन, कापर सीयू की जांच होती है. शेष जो चार तत्व बचते हैं, 12 जांच में उनको कवर कर लिया जाता है.

Intro:रिपोर्ट - सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो -9889557333

स्लग - मृदा परीक्षण में गोलमाल (special story)

एंकर - बस्ती जनपद में जब मृदा परीक्षण अभियान की हमारे संवाददाता ने तहकीकात की तो पता चला कि जनपद में एक मृदा जांच प्रयोगशाला है और दो उप मृदा परीक्षण केंद्र है, सबसे बुरी हालत तो हरैया ब्लाक में बने मृदा परीक्षण केंद्र की है। किसानों इस केंद्र से पिछले 2 साल से निराश होकर लौट रहा है और फाइलों में यह सेंटर संचालित हो रहा है। किसानों का आरोप है कि 2017 के बाद यह केंद्र कभी खुला ही नहीं और केंद्र के बगल में झाड़ियों में भारी मात्रा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाए गए हैं। मुख्य मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में तो किसानो कि एक साल में मात्र 30 किसानो के भूमि की जांच हुई है जब अन्य दो सेंटरों पर किसी भी किसान के भूमि की जांच नहीं हुई और वहां हमेशा ताला लटका रहता है। इन तीनों सरकारी लैब में किसानो के खेत की मिट्टी की जांच होती है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में मृदा नमूना लिए जाने का 37000 का लक्ष्य मिला था। किसानो के खेत के भूमि की जांच विभाग के द्वारा कराई गई है जब की जिले के 5 लाख किसान में से मात्र 30 किसान खुद जांच करवाने आए। विभाग के फाइलों में 31000 किसानो के खेत की भूमि की अपने स्तर से जांच कराई है और जांच के बाद अब तक प्रयोगशाला ने 30900 का रिपोर्ट कार्ड जारी कर दिया है। जिन्हें किसानों में वितरित किया जा चुका है। किसानों को जो कार्ड जारी किया जाता है उसमें तत्व की कमी और अधिकता के बारे में बताया गया है। सहायक निदेशक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रभारी प्रदीप चौधरी ने बताया कि यहां सरकारी लैब है, मिट्टी की जांच नियमानुसार होती है। गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है।



Body:मिट्टी की जांच के लिए मानक तय हैं। ढाई हेक्टेयर ग्रिड में से किसी एक खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाता है। नमूना लेते समय वहां के किसानों को एकत्र किया जाता है। उनके नाम दर्ज किए जाते हैं। परीक्षण के बाद ग्रिड में शामिल किसानों को उनकी मिट्टी की सेहत के बारे में बताया जाता है। कार्ड सभी को जारी किया जाता है। कार्ड के अनुसार खेत में कमजोर तत्वों की आपूर्ति किसान करते हैं। विभाग के अनुसार ढाई हेक्टेयर क्षेत्र की सारी मिट्टी एक समान होती है।





Conclusion:उपजाऊ खेत की मिट्टी में 16 तत्वों की जांच कराई जाती है। बस्ती में क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, हर्रैया व भानपुर में तहसील स्तर पर जांच होती है। तहसील स्तर पर छह तत्वों की जांच होती है, जिसमें पोएस, ईसी, आर्गेनिक कार्बन डीसी, उपलब्ध नाइट्रोजन एन, फास्फोरस पी, पोटैशियम की जांच शामिल है, जबकि क्षेत्रीय प्रयोगशाला में सल्फर एस, जिंक जेडएन, बोरोन बी, आयरन एफई, मैंगनीज एमएन, कापर सीयू की जांच होती है। जो चार तत्व बचते हैं 12 जांच में उनको कवर कर लिया जाता है।

बाइट - प्रदीप चौधरी,,, हेड प्रयोगशाला
बाइट - किसान
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