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रोशन अली ने 'रोशन' की उम्मीद, लॉकडाउन में सैकड़ों के घर पहुंचाया रोजगार

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Published : Jun 9, 2021, 10:50 AM IST

कोरोना काल में जहां लोग बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक व्यक्ति लोगों को रोजगार दे रहा है. सैकड़ों ग्रामीणों की इसी से रोजी-रोटी चल रही है.

बस्तीः
बस्तीः

बस्तीः कोरोना महामारी से जहां बड़ी संख्या में मौत हुई हैं, वहीं बेरोजगारी भी बढ़ी है. तमाम काम-धंधे ठप हो गए. ऐसे नाउम्मीदी के हालात में भी कुछ लोग उम्मीद की किरण दिखाते हैं. न केवल खुद को संभालते हैं, बल्कि आसपास के लोगों की भी मदद करते हैं. ऐसे ही व्यक्तियों में से एक हैं बस्ती जिले के रोशन अली. रोशन अली ने अपने क्षेत्र के करीब 200 ग्रामीणों को इस आपदाकाल में रोजगार दिया है.

फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में काम
बस्ती जिले के विकास खंड बहादुरपुर के मटेरा निवासी रोशन अली ने कोरोना काल में गांव लौटे ग्रामीणों को फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में रोजगार दिया है और फैक्ट्री भी ऐसी जो हर घर में चल रही है. दरअसल, कुछ साल पहले तक रोशन अली हैदराबाद में बच्चों की फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे. वहां उन्हें अच्छी आमदनी होती थी. फिर उन्हें लगा कि परदेस के बजाय क्यों न गांव चलकर कारोबार जमाया जाए. अब तो गांव में भी शहरों जैसा विकास हो रहा है.

बस्ती में रोजगार

इसे भी पढ़ेंः निजी अस्पतालों के लिए रेट तय, देना होगा 150 रुपये सर्विस चार्ज

बेरोजगारों को जोड़ा
रोशन अली ने गांव में उन महिलाओं और नवयुवकों को जोड़ना शुरू किया जिन्हें रोजगार की तलाश थी. अपने पैसे से लोगों को सिलाई मशीन खरीद कर दी. लोग अपने घर में ही फ्रॉक बनाने लगे. कच्चा माल भी रोशन अली ही देते हैं. उनसे माल लेकर रोशन अली बेचते हैं और फ्रॉक बनाने वालों को पैसे देते हैं. धीरे-धीरे व्यापार बढ़ा तो गांव के साथ-साथ आसपास के नगर बाजार, माड़न, गोविंदापुर, जलालपुर, बहादुरपुर समेत कई गांवों की महिलाओं व पुरुषों ने उनसे संपर्क किया. रोशन अली ने उन्हें सिलाई का प्रशिक्षण दिया. धीरे-धीरे लगभग करीब 50 लोग जुड़ गए. अब इन गांवों के हर घर महिलाएं या पुरुष आराम से 300 से 500 रुपये आमदनी कर रही हैं और 10 रुपये रोज के हिसाब से रोशन अली द्वारा दिए गए मशीन का पैसा भी चुका रही हैं. इनके द्वारा तैयार फ्रॉक को डिमांड काफी लोकप्रिय हो गई है. ये गैर प्रान्त ओडिशा, असम, कलकत्ता, यूपी, बिहार में सप्लाई कर रहे हैं. यही नहीं, इनका कच्चा माल बॉम्बे से आता है. एक महिला एक दिन में 40 से 50 फ्रॉक आसानी से सील लेती है और उसे पार्ट टाइम जॉब भी मिला गया है.

बस्तीः कोरोना महामारी से जहां बड़ी संख्या में मौत हुई हैं, वहीं बेरोजगारी भी बढ़ी है. तमाम काम-धंधे ठप हो गए. ऐसे नाउम्मीदी के हालात में भी कुछ लोग उम्मीद की किरण दिखाते हैं. न केवल खुद को संभालते हैं, बल्कि आसपास के लोगों की भी मदद करते हैं. ऐसे ही व्यक्तियों में से एक हैं बस्ती जिले के रोशन अली. रोशन अली ने अपने क्षेत्र के करीब 200 ग्रामीणों को इस आपदाकाल में रोजगार दिया है.

फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में काम
बस्ती जिले के विकास खंड बहादुरपुर के मटेरा निवासी रोशन अली ने कोरोना काल में गांव लौटे ग्रामीणों को फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में रोजगार दिया है और फैक्ट्री भी ऐसी जो हर घर में चल रही है. दरअसल, कुछ साल पहले तक रोशन अली हैदराबाद में बच्चों की फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे. वहां उन्हें अच्छी आमदनी होती थी. फिर उन्हें लगा कि परदेस के बजाय क्यों न गांव चलकर कारोबार जमाया जाए. अब तो गांव में भी शहरों जैसा विकास हो रहा है.

बस्ती में रोजगार

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बेरोजगारों को जोड़ा
रोशन अली ने गांव में उन महिलाओं और नवयुवकों को जोड़ना शुरू किया जिन्हें रोजगार की तलाश थी. अपने पैसे से लोगों को सिलाई मशीन खरीद कर दी. लोग अपने घर में ही फ्रॉक बनाने लगे. कच्चा माल भी रोशन अली ही देते हैं. उनसे माल लेकर रोशन अली बेचते हैं और फ्रॉक बनाने वालों को पैसे देते हैं. धीरे-धीरे व्यापार बढ़ा तो गांव के साथ-साथ आसपास के नगर बाजार, माड़न, गोविंदापुर, जलालपुर, बहादुरपुर समेत कई गांवों की महिलाओं व पुरुषों ने उनसे संपर्क किया. रोशन अली ने उन्हें सिलाई का प्रशिक्षण दिया. धीरे-धीरे लगभग करीब 50 लोग जुड़ गए. अब इन गांवों के हर घर महिलाएं या पुरुष आराम से 300 से 500 रुपये आमदनी कर रही हैं और 10 रुपये रोज के हिसाब से रोशन अली द्वारा दिए गए मशीन का पैसा भी चुका रही हैं. इनके द्वारा तैयार फ्रॉक को डिमांड काफी लोकप्रिय हो गई है. ये गैर प्रान्त ओडिशा, असम, कलकत्ता, यूपी, बिहार में सप्लाई कर रहे हैं. यही नहीं, इनका कच्चा माल बॉम्बे से आता है. एक महिला एक दिन में 40 से 50 फ्रॉक आसानी से सील लेती है और उसे पार्ट टाइम जॉब भी मिला गया है.

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