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प्रधान जी का कमाल, दो दिन में सरकार को लूट हुए मालामाल - इजरगढ़ गांव में भ्रष्टाचार

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हमेशा से चर्चाओं में रहने वाला कुदरहा ब्लॉक एक बार फिर अपने भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में है. यहां के इजरगढ़ गांव में विकास कार्यों को करवाए बिना ही ग्राम प्रधान, ग्राम सेक्रेटरी और ब्लॉक अधिकारी की तिकड़ी ने लाखों रुपये का भुगतान कर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया. लोगों ने जिलाधिकारी से शिकायत की है कि 2 दिन के अंदर उनके गांव में बिना कार्य कराए ही फर्जी तरीके से लाखों का भुगतान करा लिया गया.

development works in ijargarh village
इजरगढ़ गांव में ग्राम प्रधान ने विकास के नाम पर डकारे लाखों रुपये.
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Published : Dec 31, 2020, 5:32 PM IST

बस्ती : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसको लेकर अब गांव के प्रधान प्रचार प्रसार में जोर-शोर से जुट गए हैं. वर्तमान प्रधान वोटरों को सहेजने में लगे हैं तो प्रधानी का सपना देख रहे प्रत्याशी पिछले 5 साल में हुए विकास कार्यों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. ऐसे ही एक गांव की तस्वीर से हम आपको आज रूबरू करवाएंगे, जहां पिछले 5 साल में भले ही कोई विकास कार्य न हुआ हो, लेकिन प्रधानी के कार्यकाल के अंतिम 2 दिनों में सरकारी बजट को आसानी से खपा दिया गया.

ग्राम प्रधान ने विकास के नाम पर डकारे लाखों रुपये.

क्या है पूरा मामला

हमेशा से चर्चाओं में बने रहने वाला कुदरहा ब्लॉक एक बार फिर अपने भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में है. कुदरहा ब्लॉक के इजरगढ़ गांव में विकास कार्यों को बिना करवाए ही ग्राम प्रधान, ग्राम सेक्रेटरी और ब्लॉक अधिकारी की तिकड़ी ने लाखों रुपये का भुगतान कर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया. इजरगढ़ गांव के एक जागरूक नागरिक विपेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी से शिकायत की, कि 2 दिन के अंदर उनके गांव में बिना कार्य कराए ही फर्जी तरीके से लाखों का भुगतान करा लिया गया, जिसमें पंचायत भवन के जुड़े धार के नाम पर 73 हजार खर्च कर लिए गए. गांव के प्राइमरी स्कूल में मानक विहीन टाइल्स के नाम पर 1.49 लाख निकाल लिए गए. स्कूल के बाउंड्री जीर्णोद्धार के नाम पर 64 हजार रुपये और आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के नाम पर अनियमित तरीके से 1 लाख 72 हजार रुपये निकाले गए. इसमें कार्य के सापेक्ष अधिक भुगतान कर लिया गया है.

83 में से सिर्फ 22 आवास ही बने

शिकायतकर्ता विपेंद्र सिंह ने बताया कि गांव में कुल 83 आवास आया था, लेकिन अभी तक महज 22 गरीब ही इसका लाभ पाए है. जब कि गांव के अधिकांश लोग पात्र व गरीब हैं. सामुदायिक शौचालय की मरम्मत के नाम पर भी भुगतान करवा लिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सेक्रेटरी आनंद सिंह ने 22 दिसंबर को गांव का चार्ज लिया और 25 दिसंबर यानी कि 2 दिन में उसने कार्यो का सत्यापन किए बिना 9 लाख रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया है.

सिर्फ कागजों में बना शौचालय

विपेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायत भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. प्रधान ने सिर्फ कागजों में शौचालय बना दिए. ग्रामीणों को पता ही नहीं कि सरकार ने उन्हें शौचालय दे दिया है और प्रधान ने उनके नाम पर धन भी निकाल लिया है. इतना ही नहीं, प्रधान ने खुद के नाम पर भी प्रधानमंत्री शौचालय योजना के खाते से 30 हजार रुपये का न जाने कौन से मद में चेक काट लिया, जिसकी जांच की जानी जरूरी है.

वोट नहीं दिया तो आवास योजना से काट दिया नाम

नीलम गांव की बेहद गरीब महिला हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना की जरूरत भी है, लेकिन जब इस महिला का प्रधानमंत्री आवास वाली सूची में नाम आया तो अचानक से उनका नाम काट दिया गया. दरअसल, नीलम जैसी कई गरीब महिलाएं और परिवार हैं, जो गांव के प्रधान को वोट नहीं देते हैं तो प्रधान ने ऐसे परिवारों को सरकार की योजनाओं से भी दूर कर दिया. मोहित भी एक ऐसे ही अभागे हैं, जिनके नाम पर प्रधान ने प्रधानमंत्री आवास योजना का पूरा पैसा निकाल लिया, जबकि मोहित को इस योजना का एक पैसा भी नहीं मिला.

गांव के श्यामसुंदर भी ऐसे ही पीड़ित है. इनकी पत्नी संजुली का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित हुआ, लेकिन प्रधान ने इनका भी नाम काट दिया. श्याम सुंदर ने बताया कि उनका उनके भाई से विवाद है और सुलहनामा के आधार पर 30 मई के बाद वे बेघर हो जाएंगे, क्योंकि उनके भाई ने उन्हें घर से निकलने के लिए बोल दिया है. रामचन्द्र भी आज छप्पर में रहने को मजबूर हैं. प्रधान को ये व्यक्ति गरीब नजर नहीं आते.

भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में बना है कुदरहा ब्लॉक

गौरतलब है कि कुदरहा ब्लॉक भ्रष्टाचार के मामले में चर्चाओं में लगातार बना हुआ है. इस ब्लॉक के बीडीओ संजय नायक सरकार की जन कल्याणकारी और महत्वाकांक्षी योजनाओं के दुश्मन हैं, जिन्हें सिर्फ कमीशन से मतलब है. वे न तो धरातल पर विकास कार्यों का परीक्षण करने जाते हैं और न ही सरकारी योजनाओं का जमीन पर कितना काम हुआ, इसकी समीक्षा करते हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि प्रधान और ब्लॉक के अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं. गरीब सरकार की योजनाओं से इस ब्लॉक में आज भी पूरी तरह से वंचित हैं. जरूरत है कि जिले में बैठे विकास विभाग के अधिकारी अपने दफ्तर से बाहर निकले और मौके पर जाकर देखे कि उनके मातहतों ने कितना काम किया है.

'मामले की कराई जाएगी जांच'

जिला पंचायत राज अधिकारी विनय सिंह ने बताया कि गांव में सरकारी धन के गबन की शिकायत मिली है, जिसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी होगी. शौचालय से लेकर किसी भी मद में अगर सरकारी धन का दुरुपयोग होगा है तो उसका सत्यापन कराकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

बस्ती : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसको लेकर अब गांव के प्रधान प्रचार प्रसार में जोर-शोर से जुट गए हैं. वर्तमान प्रधान वोटरों को सहेजने में लगे हैं तो प्रधानी का सपना देख रहे प्रत्याशी पिछले 5 साल में हुए विकास कार्यों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. ऐसे ही एक गांव की तस्वीर से हम आपको आज रूबरू करवाएंगे, जहां पिछले 5 साल में भले ही कोई विकास कार्य न हुआ हो, लेकिन प्रधानी के कार्यकाल के अंतिम 2 दिनों में सरकारी बजट को आसानी से खपा दिया गया.

ग्राम प्रधान ने विकास के नाम पर डकारे लाखों रुपये.

क्या है पूरा मामला

हमेशा से चर्चाओं में बने रहने वाला कुदरहा ब्लॉक एक बार फिर अपने भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में है. कुदरहा ब्लॉक के इजरगढ़ गांव में विकास कार्यों को बिना करवाए ही ग्राम प्रधान, ग्राम सेक्रेटरी और ब्लॉक अधिकारी की तिकड़ी ने लाखों रुपये का भुगतान कर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया. इजरगढ़ गांव के एक जागरूक नागरिक विपेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी से शिकायत की, कि 2 दिन के अंदर उनके गांव में बिना कार्य कराए ही फर्जी तरीके से लाखों का भुगतान करा लिया गया, जिसमें पंचायत भवन के जुड़े धार के नाम पर 73 हजार खर्च कर लिए गए. गांव के प्राइमरी स्कूल में मानक विहीन टाइल्स के नाम पर 1.49 लाख निकाल लिए गए. स्कूल के बाउंड्री जीर्णोद्धार के नाम पर 64 हजार रुपये और आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के नाम पर अनियमित तरीके से 1 लाख 72 हजार रुपये निकाले गए. इसमें कार्य के सापेक्ष अधिक भुगतान कर लिया गया है.

83 में से सिर्फ 22 आवास ही बने

शिकायतकर्ता विपेंद्र सिंह ने बताया कि गांव में कुल 83 आवास आया था, लेकिन अभी तक महज 22 गरीब ही इसका लाभ पाए है. जब कि गांव के अधिकांश लोग पात्र व गरीब हैं. सामुदायिक शौचालय की मरम्मत के नाम पर भी भुगतान करवा लिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सेक्रेटरी आनंद सिंह ने 22 दिसंबर को गांव का चार्ज लिया और 25 दिसंबर यानी कि 2 दिन में उसने कार्यो का सत्यापन किए बिना 9 लाख रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया है.

सिर्फ कागजों में बना शौचालय

विपेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायत भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. प्रधान ने सिर्फ कागजों में शौचालय बना दिए. ग्रामीणों को पता ही नहीं कि सरकार ने उन्हें शौचालय दे दिया है और प्रधान ने उनके नाम पर धन भी निकाल लिया है. इतना ही नहीं, प्रधान ने खुद के नाम पर भी प्रधानमंत्री शौचालय योजना के खाते से 30 हजार रुपये का न जाने कौन से मद में चेक काट लिया, जिसकी जांच की जानी जरूरी है.

वोट नहीं दिया तो आवास योजना से काट दिया नाम

नीलम गांव की बेहद गरीब महिला हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना की जरूरत भी है, लेकिन जब इस महिला का प्रधानमंत्री आवास वाली सूची में नाम आया तो अचानक से उनका नाम काट दिया गया. दरअसल, नीलम जैसी कई गरीब महिलाएं और परिवार हैं, जो गांव के प्रधान को वोट नहीं देते हैं तो प्रधान ने ऐसे परिवारों को सरकार की योजनाओं से भी दूर कर दिया. मोहित भी एक ऐसे ही अभागे हैं, जिनके नाम पर प्रधान ने प्रधानमंत्री आवास योजना का पूरा पैसा निकाल लिया, जबकि मोहित को इस योजना का एक पैसा भी नहीं मिला.

गांव के श्यामसुंदर भी ऐसे ही पीड़ित है. इनकी पत्नी संजुली का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित हुआ, लेकिन प्रधान ने इनका भी नाम काट दिया. श्याम सुंदर ने बताया कि उनका उनके भाई से विवाद है और सुलहनामा के आधार पर 30 मई के बाद वे बेघर हो जाएंगे, क्योंकि उनके भाई ने उन्हें घर से निकलने के लिए बोल दिया है. रामचन्द्र भी आज छप्पर में रहने को मजबूर हैं. प्रधान को ये व्यक्ति गरीब नजर नहीं आते.

भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में बना है कुदरहा ब्लॉक

गौरतलब है कि कुदरहा ब्लॉक भ्रष्टाचार के मामले में चर्चाओं में लगातार बना हुआ है. इस ब्लॉक के बीडीओ संजय नायक सरकार की जन कल्याणकारी और महत्वाकांक्षी योजनाओं के दुश्मन हैं, जिन्हें सिर्फ कमीशन से मतलब है. वे न तो धरातल पर विकास कार्यों का परीक्षण करने जाते हैं और न ही सरकारी योजनाओं का जमीन पर कितना काम हुआ, इसकी समीक्षा करते हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि प्रधान और ब्लॉक के अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं. गरीब सरकार की योजनाओं से इस ब्लॉक में आज भी पूरी तरह से वंचित हैं. जरूरत है कि जिले में बैठे विकास विभाग के अधिकारी अपने दफ्तर से बाहर निकले और मौके पर जाकर देखे कि उनके मातहतों ने कितना काम किया है.

'मामले की कराई जाएगी जांच'

जिला पंचायत राज अधिकारी विनय सिंह ने बताया कि गांव में सरकारी धन के गबन की शिकायत मिली है, जिसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी होगी. शौचालय से लेकर किसी भी मद में अगर सरकारी धन का दुरुपयोग होगा है तो उसका सत्यापन कराकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.

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