बस्ती: शौचालय निर्माण योजना के तहत सरकार ने अब तक जिले में 4 अरब से अधिक की धनराशि खर्च कर चुकी है. बावजूद इसके सरकार की मंशा पूरी नहीं हुई. हालत यह है कि शौचालय की रकम को लोग मौज मस्ती में खर्च कर रहे हैं. इस तरह के लगभग 17 हजार लाभार्थी ऐसे मिले हैं, जिन्होंने धन को निजी कार्य में लगा कर उसका दुरुपयोग कर लिया.
लॉकडाउन के दौरान धन का दुरुपयोग किए जाने का सच सामने आया है. शौचालय निर्माण बहुत दूर की बात है, अब तो धन की वापसी के भी लाले पड़ गए हैं. विभाग भी इतनी बड़ी धन राशि को डूबा मानकर चल रही है. हालांकि विभाग की ओर से धन वापसी और शौचालय निर्माण कराने के लिए नोटिस पर नोटिस भी दी जा रही है.
स्वच्छ भारत मिशन के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है. केंद्र सरकार की यह इकलौती योजना है, जिस पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, ताकि गरीब परिवार की महिलाएं सुरक्षित रह सकें. पहले प्रधान और सेक्रेटरी ने मिलकर योजना को बर्बाद किया. बाकी जो बचा उसे लाभार्थियों ने बर्बाद कर दिया.
अधिकारियों का मानना है कि अगर ग्राम पंचायत और लाभार्थी इस योजना में सहयोग कर दें तो सरकार की मंशा पूरी हो जाए. ताज्जुब की बात यह है कि जिले को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए साढ़े तीन अरब रुपये खर्च कर दिया गया. फिर भी धरातल पर जिला ओडीएफ नहीं हुआ. उसके बाद भी सरकार ने एलओबी यानि टूटे हुए घरों में शौचालय निर्माण के लिए 83,007 का लक्ष्य दिया. इसके लिए लगभग एक अरब की धनराशि जारी भी कर दी गई. आदेश के तहत लक्ष्य के सापेक्ष मार्च 20 तक सभी शौचालयों का निर्माण हो जाना चाहिए था. भले ही चाहे वह कागजों में ही क्यों ना हुआ हो. मगर वह भी नहीं हो पाया.
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लगभग 17 हजार शौचालय का धन लाभार्थियों ने निजी उपयोग में खर्च कर दिया. इससे पहले भी भारी संख्या में लाभार्थियों ने धन का उपयोग निजी कार्य में खर्च कर दिया था, जिसे आज तक वापस नहीं लाया जा सका मतलब 17 हजार लाभार्थियों ने सरकार को 20 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया.
जिन लाभार्थियों ने शौचालय का पैसा भी ले लिया है और मौके पर शौचालय का निर्माण भी नहीं कराया है, उन्हें नोटिस जारी की जा रही है. इसके अलावा ऐसे लोगों को विभाग की तरफ से जागरूक भी किया जा रहा है ताकि वह खुद अपने जिम्मेदारी के प्रति सजग हो सके.
-विनय सिंह, डीपीआरओ