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बस्ती में इस जगह पर रुके थे पांडव, अज्ञातवास के दौरान की थी शिवलिंग की स्थापना

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का पांडवों से खास नाता रहा है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर पांडव अज्ञातवास के दौरान रुके थे और यहां पर उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना भी की थी. यह शिवलिंग अब झूंगीनाथ मंदिर में स्थित है. जिले में पांडवों से जुड़े और भी साक्ष्य मौजूद हैं. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Sep 3, 2020, 3:58 PM IST

pandavas stayed in pandav nagar of basti
बस्ती जिले में स्थित झूंगीनाथ मंदिर.

बस्ती: जिले के कप्तानगंज थाना क्षेत्र में मनोरमा नदी के तट पर झूंगीनाथ मंदिर है. मान्यता है कि झूंगीनाथ मन्दिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी. प्राचीन काल से ही इस जगह को ऐतिहासिक स्थल के रूप में माना जाता रहा है. रसोइया गांव और सिद्धव नाला जैसे पांडवों से जुड़े और भी साक्ष्य इस क्षेत्र में मिलते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट...

विराट नगर का नाम पड़ा पाण्डव नगर
महाभारत की कहानियों में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान एक जगह विराट नगर का जिक्र आता है. इस जगह पांडव भेष बदलकर रहे थे. यहीं भीम ने सिद्धव राक्षस का वध भी किया था. वो जगह आज पाण्डव नगर के नाम से जाना जाता है. अज्ञातवास में यहां निवास के दौरान पांडवों ने झूंगीनाथ में शिवलिंग की स्थापना की थी.

pandavas stayed in pandav nagar of basti
पाण्डव नगर.

झूंगीनाथ मन्दिर की महिला पुजारी सरिता दास बताती हैं कि अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहां पर काफी समय गुजारा था. उस दौरान सिद्धव दानव सहित कई असुरों का उन्होंने संहार किया था. उन्होंने झूंगीनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में बताया कि उनके पूर्वजों को यह शिवलिंग झाड़ में मिला था, तभी से इसका नाम झूंगीनाथ पड़ गया.

स्वयं भगवान शिव हुए थे प्रकट
मंदिर के पुजारी जयप्रकाश दास ने बताया कि धर्मराज युधिष्ठिर ने यहां भोलेनाथ का आह्वान किया था, तब जाकर भगवान शिव प्रकट हुए थे. तब से पांडव पूजा पाठ करने के लिए झूंगीनाथ मंदिर पर ही जाया करते थे. उन्होंने बताया कि पंडुलघाट के बगल में रसोइया गांव हैं, जहां पर पांडवों का भोजन बनता था. इसके अलावा वो जगह भी घाट के किनारे है, जहां पांडव रहा करते थे.

भेष बदलकर रहते थे पांडव
मंदिर के पुजारी जयप्रकाश दास ने बताया कि राजा विराट के यहां पांडव भेष बदलकर नौकरी करते थे. उन्होंने अज्ञातवास के समय पूरे क्षेत्र में कई छाप छोड़े हैं, जो आज भी देखने को मिलते हैं. पुजारी ने बताया कि महाबली भीम ने जब सिद्धव राक्षस का वध किया था, तब उन्होंने उसे घसीटा था, जिसकी वजह से वहां बड़ा गड्ढा बन गया है. यह गड्ढा आज सिद्धव नाला के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

pandavas stayed in pandav nagar of basti
शिवलिंग.

ये भी पढ़ें: बस्ती: चार दशक बीतने के बाद भी इस गांव में नहीं बन सका बांध, हजारों लोग प्रभावित

सावन और महाशिवरात्रि में जुटती है भीड़
बाबा झूंगीनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में जलाभिषेक किया जाता है. चैत्र पूर्णिमा में भी यहां बड़ा मेला लगता है. झूंगीनाथ मंदिर पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है, उसके बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मंदिर और आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.

बस्ती: जिले के कप्तानगंज थाना क्षेत्र में मनोरमा नदी के तट पर झूंगीनाथ मंदिर है. मान्यता है कि झूंगीनाथ मन्दिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी. प्राचीन काल से ही इस जगह को ऐतिहासिक स्थल के रूप में माना जाता रहा है. रसोइया गांव और सिद्धव नाला जैसे पांडवों से जुड़े और भी साक्ष्य इस क्षेत्र में मिलते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट...

विराट नगर का नाम पड़ा पाण्डव नगर
महाभारत की कहानियों में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान एक जगह विराट नगर का जिक्र आता है. इस जगह पांडव भेष बदलकर रहे थे. यहीं भीम ने सिद्धव राक्षस का वध भी किया था. वो जगह आज पाण्डव नगर के नाम से जाना जाता है. अज्ञातवास में यहां निवास के दौरान पांडवों ने झूंगीनाथ में शिवलिंग की स्थापना की थी.

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पाण्डव नगर.

झूंगीनाथ मन्दिर की महिला पुजारी सरिता दास बताती हैं कि अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहां पर काफी समय गुजारा था. उस दौरान सिद्धव दानव सहित कई असुरों का उन्होंने संहार किया था. उन्होंने झूंगीनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में बताया कि उनके पूर्वजों को यह शिवलिंग झाड़ में मिला था, तभी से इसका नाम झूंगीनाथ पड़ गया.

स्वयं भगवान शिव हुए थे प्रकट
मंदिर के पुजारी जयप्रकाश दास ने बताया कि धर्मराज युधिष्ठिर ने यहां भोलेनाथ का आह्वान किया था, तब जाकर भगवान शिव प्रकट हुए थे. तब से पांडव पूजा पाठ करने के लिए झूंगीनाथ मंदिर पर ही जाया करते थे. उन्होंने बताया कि पंडुलघाट के बगल में रसोइया गांव हैं, जहां पर पांडवों का भोजन बनता था. इसके अलावा वो जगह भी घाट के किनारे है, जहां पांडव रहा करते थे.

भेष बदलकर रहते थे पांडव
मंदिर के पुजारी जयप्रकाश दास ने बताया कि राजा विराट के यहां पांडव भेष बदलकर नौकरी करते थे. उन्होंने अज्ञातवास के समय पूरे क्षेत्र में कई छाप छोड़े हैं, जो आज भी देखने को मिलते हैं. पुजारी ने बताया कि महाबली भीम ने जब सिद्धव राक्षस का वध किया था, तब उन्होंने उसे घसीटा था, जिसकी वजह से वहां बड़ा गड्ढा बन गया है. यह गड्ढा आज सिद्धव नाला के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

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शिवलिंग.

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सावन और महाशिवरात्रि में जुटती है भीड़
बाबा झूंगीनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में जलाभिषेक किया जाता है. चैत्र पूर्णिमा में भी यहां बड़ा मेला लगता है. झूंगीनाथ मंदिर पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है, उसके बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मंदिर और आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.

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