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खुलासा: बस्ती मंडल में बिना इंश्योरेंस के चल रहे सरकारी वाहन, कब कटेगा इनका चालान!

क्या सरकारी गाड़ियों पर एमवी एक्ट लागू नहीं होता है. एक्सीडेंट की दशा में कौन जिम्मेदार होगा. बिना इंश्योरेंस जमा किए चल रही बस्ती मंडल के आईजी, डीएम, एसपी, एसडीएम, एडीएम, सीओ, एसओ और डायल 100 की गाड़ी का आखिर कब कटेगा चालान!

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Published : Sep 25, 2019, 3:19 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 7:54 AM IST

बस्ती मंडल में बिना इंश्योरेंस जमा किए चल रहे सरकारी वाहन.

बस्ती: भले ही वीवीआईपी कल्चर खत्म होने की बात कही जाती है लेकिन इतर इसके कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते नजर आ रहे हैं. बस्ती मंडल के किसी भी अधिकारी और पुलिस प्रशासन के सरकारी वाहनों का इंश्योरेंस नहीं जमा किया गया है. इन वाहनों का सरकारी होने के नाते चालान नहीं काटा जाता है. बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार का वाहन होने पर एमवी एक्ट इन गाड़ियों पर नहीं लागू होता है.

सरकारी वाहनों का कब कटेगा चालान, देखें वीडियो.
एमवी एक्ट के जानकार वकील उपेंद्र नाथ दुबे का कहना है किसी भी गाड़ी को किसी एक्ट के उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है, लेकिन सरकारी ओहदे पर बैठे अधिकारी इस एक्ट का उलंघन कर रहे हैं, क्योंकि किसी टीएसआई की हिम्मत बड़े अधिकारियों का चालान काटने की नहीं होती है.

ये भी पढ़ें: भीड़ का इंसाफ! पुलिस ने काटा चालान, नहीं दी रसीद तो सिपाही को पीटा

जब सरकारी गाड़ी से एक्सीडेंट हो जाता है तो ऐसी दशा में मृतक के परिवार को सरकार द्वारा दो से तीन लाख रुपये ही दिया जाता है जो कि काफी कम है, इतने में उस परिवार का भरण पोषण नहीं हो सकता. सरकारी गाड़ियों के वाहन चालक की इसकी जिम्मेदारी होती और मुकदमा दर्ज हो जाता है. जब विभाग ही कानून तोड़ने लगा है तो ऐसे कानून का रचना कैसे हो सकती है.
-उपेंद्र नाथ दुबे, अधिवक्ता

सरकारी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, लेकिन इंश्योरेंस नहीं जमा होता है. इसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है और एक्सीडेंट की हालत में दो से तीन लाख रुपये दिया जाता है. यह शासनादेश भी है और ड्राइवर के खिलाफ 304 का मुकदमा दर्ज किया जाता है.
-आशुतोष कुमार, आईजी

ये भी पढ़ें: सावधान! हर दिन बन रहा ट्रैफिक चालान का नया रिकॉर्ड

नए एमवी एक्ट में 10 लाख रुपये देने की बात आई है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या दो से तीन लाख में किसी परिवार का भरण पोषण हो जाएगा, अगर नहीं तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा. जब मुकदमा सरकारी कर्मचारियों पर होता है और उनके ही अधिकारी विवेचना करते है तो कहीं न कहीं विवेचना भी प्रभावित होती है.

बस्ती: भले ही वीवीआईपी कल्चर खत्म होने की बात कही जाती है लेकिन इतर इसके कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते नजर आ रहे हैं. बस्ती मंडल के किसी भी अधिकारी और पुलिस प्रशासन के सरकारी वाहनों का इंश्योरेंस नहीं जमा किया गया है. इन वाहनों का सरकारी होने के नाते चालान नहीं काटा जाता है. बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार का वाहन होने पर एमवी एक्ट इन गाड़ियों पर नहीं लागू होता है.

सरकारी वाहनों का कब कटेगा चालान, देखें वीडियो.
एमवी एक्ट के जानकार वकील उपेंद्र नाथ दुबे का कहना है किसी भी गाड़ी को किसी एक्ट के उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है, लेकिन सरकारी ओहदे पर बैठे अधिकारी इस एक्ट का उलंघन कर रहे हैं, क्योंकि किसी टीएसआई की हिम्मत बड़े अधिकारियों का चालान काटने की नहीं होती है.

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जब सरकारी गाड़ी से एक्सीडेंट हो जाता है तो ऐसी दशा में मृतक के परिवार को सरकार द्वारा दो से तीन लाख रुपये ही दिया जाता है जो कि काफी कम है, इतने में उस परिवार का भरण पोषण नहीं हो सकता. सरकारी गाड़ियों के वाहन चालक की इसकी जिम्मेदारी होती और मुकदमा दर्ज हो जाता है. जब विभाग ही कानून तोड़ने लगा है तो ऐसे कानून का रचना कैसे हो सकती है.
-उपेंद्र नाथ दुबे, अधिवक्ता

सरकारी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, लेकिन इंश्योरेंस नहीं जमा होता है. इसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है और एक्सीडेंट की हालत में दो से तीन लाख रुपये दिया जाता है. यह शासनादेश भी है और ड्राइवर के खिलाफ 304 का मुकदमा दर्ज किया जाता है.
-आशुतोष कुमार, आईजी

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नए एमवी एक्ट में 10 लाख रुपये देने की बात आई है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या दो से तीन लाख में किसी परिवार का भरण पोषण हो जाएगा, अगर नहीं तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा. जब मुकदमा सरकारी कर्मचारियों पर होता है और उनके ही अधिकारी विवेचना करते है तो कहीं न कहीं विवेचना भी प्रभावित होती है.

Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

स्लग- बिना इंसोरेंस चल रही सरकारी वाहन (खुलासा)

एंकर - बस्ती मंडल के किसी भी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियो के जी सीरीज के टू व्हीलर व फोर व्हीलर के सरकारी गाड़ियों का इन्सुरेंस नही है,

क्या सरकारी गाड़ियों पर एमवी एक्ट लागू नही होता है, एक्सीडेंट की दशा में कौन जिम्मेदार होगा। बस्ती मंडल के आई जी, डीएम, एसपी, एसडीएम, एडीएम, सीओ, पीडी, एसओ ,डायल 100 का आखिर कब कटेगा चालान।

आई जी आशुतोष कुमार ने बताया कि जी (गवर्नमेंट) सीरीज के गाड़ियों का इन्सुरेंस नही बना है और ये वाहन बिना इंसोरेंस की चलती है, एक्सीडेंट की दशा में यूपी सरकार राहत के तौर पर 2 से तीन लाख रुपये देती है और वाहन चालक के ऊपर मुकदमा दर्ज किया जाता है, कोर्ट में ट्रायल के बाद मृतक परिवार के बीमा की राशि तय होती है, ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि सरकारी वाहनों से एक्सीडेंट की दशा में मृतक के परिवार का दो से तीन लाख कंपेरसेसन में कैसे होगा  भरण पोषण।

वीवीआईपी कल्चर खत्म होने के बाद भी अधिकारी  इस कल्चर को नही मानते है, कानून के रखवाले ही कानून तोड़ रहे है, बस्ती मंडल के किसी भी अधिकारी और पुलिस प्रशाशन के सरकारी वाहनों का इंसोरेंस नही जमा किया गया है, इन वाहनों का साहब होने के नाते चालान नही काटा जाता है, क्या उत्तर प्रदेश सरकार का वाहन होने पर एमवी एक्ट इन गाड़ियों पर नही लागू होता है, 


Body:एमवी एक्ट के जानकार वकील उपेंद्र नाथ दुबे का कहना है किसी भी गाड़ी को किसी एक्ट के उल्लंघन करने का अधिकार नही है लेकिन सरकारी ओहदे पर बैठे अधिकारी इस एक्ट का उलंघन कर रहे है क्योंकि किसी टीएसआई कि हिम्मत बड़े अधिकारियों का चालान काटने का नही तो आखिर ये अधिकारी क्यो नियम तोड़ रहे, वही जब सरकारी गाड़ी से एक्सीडेंट हो जाता है तो ऐसी दशा में मृतक के परिवार को सरकार द्वारा दो से तीन लाख रुपए ही कंपेरसेशन दिया जाता है जोकि काफी कम है, इतने में उस परिवार का भरण पोषण नही हो सकता, सरकारी गाड़ियों के वाहन चालक की इसकी जम्मेदारी होती और मुकदमा दर्ज हो जाता है, जब विभाग ही कानून तोड़ने लगा है तो ऐसे कानून का रचना कैसे हो सकती है, 20 साल पुरानी जीप अभी पुलिस विभाग में है जो वायु प्रदूषण फैला रही है।


Conclusion:इस संबंध में आई जी आशुतोष कुमार का कहना है कि सरकारी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है लेकिन इन्सुरेंस नही जमा होता है, इसकी जिम्मेदारी  सरकार की होती है और एक्सीडेंट के हाल में वही कंपेरसेशन दो से तीन लाख दिया जाता है यह शासनादेश भी है और ड्राइवर के खिलाफ 304 का मुकदमा दर्ज किया जाता है, नए एमवी एक्ट में 10 लाख कंपेरसेशन की बात आई है लेकिन इसे लागू नही किया गया है ऐसे में सवाल ये है कि क्या दो से तीन लाख में किसी परिवार का भरण पोषण हो जाएगा, आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा जब मुकदमा सरकारी कर्मचारियों पर होता है और उनके ही अधिकारी विवेचना करते है तो कहि न कहि विवेचना भी प्रभावित होता है। 

बाइट- उपेंद्र नाथ दुबे,,,, अधिवक्ता 
बाइट- आई जी,,,,, आशुतोष कुमार 


बस्ती यूपी
Last Updated : Sep 26, 2019, 7:54 AM IST
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