बस्ती: मेडिकल कॉलेज का डॉक्टर अगर भोजपुरी या अवधी भाषा बोले तो चौंकिएगा नहीं. इसका मतलब यह नहीं है कि वह डॉक्टर गांव क्षेत्र का है या फिर कम पढ़ा लिखा है. दरअसल, मरीज के साथ डॉक्टर उसकी क्षेत्रीय भाषा में बात कर उसे घरेलू माहौल देने की कोशिश करेंगे. एमसीआई की गाइडलाइंस के अनुसार इसके लिए एमबीबीएस के छात्रों को अब क्षेत्रीय भाषाएं भी सिखाई जाएंगी, ताकि वह मरीजों से घुल मिल सकें.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने नया कोर्स लागू किया है. इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में नए डॉक्टरों को क्षेत्रीय भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे मेडिकल के छात्रों की कुशलता में इजाफा होगा. इस तरह के प्रशिक्षण से छात्रों में नई संभावनाएं विकसित होंगी, जो उनके लिए आगे चलकर मददगार साबित होंगी. साथ ही छात्रों को पर्यावरण संरक्षण, कंप्यूटर और योग के लिए भी प्रेरित किया जाएगा.
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बस्ती मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नवनीत कुमार ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों को इंग्लिश के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाएं भी सिखाई जाएंगी. इनमें अवधी और भोजपुरी सहित कई भाषाओं का समावेश रहेगा. छात्र इसमें से किसी भी भाषा को जो भी वह चाहें सीख सकते हैं.
उन्होंने बताया कि इसका मकसद होगा कि मरीज क्षेत्रीय भाषा में बात करता है तो डॉक्टर भी अगर उससे उसी भाषा में बात करेंगे तो एक-दूसरे की बात को ढंग से समझ पाएंगे और मरीज को अपनों का एहसास होगा. साथ ही मरीज की बीमारी को सही ढंग से समझने में आसानी होगी. इससे डॉक्टर बेहतर इलाज कर सकेंगे. प्राचार्य ने कहा कि इसके लिए प्रोफेसर नियुक्त किए जाएंगे.