बस्ती : आजकल घूसखोरी भी अब हाईटेक तरीके से होने लगी है. भ्रष्टाचारी काम करने के बदले अब ऑनलाइन रिश्वत ले रहे हैं. आरोप है कि लेखपाल 'साहब' कास्तकारों से जबरन वसूली करते हैं. पिछले दिनों 'साहब' घूसखोरी में रंगे हाथ पकड़े भी गए थे. इसकी जांच तहसीलदार हर्रैया ने की. हालांकि इसका अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है.
बताया जाता है कि गौर क्षेत्र पंचायत के गोभिया गांव निवासी मोहम्मद अजीम ने अपने पट्टे की जमीन पर कब्जा दखल के मामले में एक एप्लीकेशन एसडीएम हर्रैया को बीते मार्च माह में दिया था. इस पर एसडीएम के आदेश के क्रम में मौके पर नायब तहसीलदार हर्रैया निखिलेश कुमार, हल्का लेखपाल अरविन्द कुमार पासवान के साथ गए.
अजीम ने आरोप लगाया कि मौके से जब ये लोग वापस होने लगे तो लेखपाल ने उसे किनारे ले जाकर पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिए 10 हजार रुपये की मांग की. जब उसने तुरंत पैसा तैयार न होने की बात कही तो उन्होंने अपना नंबर देकर ‘गूगल पे’ कर देने को कहा.
अजीम का दावा है कि उसने किसी तरह पैसों का बंदोबस्त कर लेखपाल को 28 मार्च को ऑनलाइन घूस दे भी दिया. काम होने का इंतजार करने लगा. करीब तीन माह तक लेखपाल टाल मटोल करता रहा. अजीम ने बताया कि 'घूस' दे देने के बाद भी लंबे समय तक काम न होने से वह परेशान हो गया. इसके बाद वह स्थिति स्पष्ट करने आखिरकार तहसील कार्यालय पहुंच गया. लेखपाल से काम न होने का कारण पूछा.
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अजीम के अनुलार लेखपाल ने कहा कि नायब निखिलेश के भी पेट है. वे भी 20 हजार लेंगे. तभी उसका काम हो पाएगा वरना नहीं होगा. विपक्षी ज्यादा देने को तैयार है. उसी के मुताबिक रिपोर्ट लगा दी जाएगी.
इतनी भारी भरकम घूस दे पाने में अजीम के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसने एसडीएम से इसकी शिकायत करने के अलावा उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था.
घूस दिए गए पेमेंट के डिजिटल साक्ष्य के साथ अजीम ने एसडीएम हर्रैया सुखवीर सिंह से शिकायत की. इस मामले में एसडीएम ने परीक्षण की जिम्मदारी तहसीलदार हर्रैया को सौंपी. तहसीलदार ने आरोपी लेखपाल से इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए 7 जुलाई को 15 दिन का समय दिया. लेकिन, डिजिटल साक्ष्यों में फंसे लेखपाल ने इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया.
समय सीमा समाप्त हो गई. लेखपाल ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया. उधर, अजीम ने आरोप लगाया कि लेखपाल उसे अब काम न किए जाने की धमकी दे रहे हैं. यह भी कह रहे हैं कि उनका कोई कुछ नहीं कर सकता.