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बस्ती: शहीद ने देश के लिए दी थी कुर्बानी और अब देश ने ही भूला दिया!

देश की रक्षा करते हुए सरहद पर सैनिक मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए थे. जिसके बाद प्रशासन ने शहीद परिवार को कई वादे किये गए थे, लेकिन 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन अपने वायदे पर खरा नहीं उतरा. जब ईटीवी भारत ने शहीद की पत्नी से सवाल पूछा तो उनके मुंह से एक लफ्ज नहीं निकले, लेकिन उनके आंसुओं ने सब कह दिया.

देश के लाल की शहादत पर रो पड़ा था पूरा इलाका.
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Published : Jul 26, 2019, 2:47 PM IST

बस्ती: जनपद की हर्रैया तहसील के विक्रमजोत विकासखंड का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां की धरती ने हमेशा से ही देश सेवा के लिए नौजवानों की एक लंबी फौज तैयार की है. जिन सैनिकों ने देश की रक्षा करते हुए सरहद पर अपने जीवन को कुर्बान कर दिया. ऐसे ही एक सैनिक थे मुन्ना लाल यादव जिन्होंने देश के लिए कारगिल में अपनी जान न्योछावर कर दी थी.

देश के लाल की शहादत पर रो पड़ा था पूरा इलाका.

देश के लाल की शहादत पर रो पड़ा था पूरा इलाका-
11 अगस्त, सन् 2000 को श्रीनगर से बस्ती के मलौली गोसाई गांव में एक सूचना आई, जिसके बाद परिवार सहित पूरा इलाका रो पड़ा था. सूचना देश के लाल, वीर सपूत की शहादत की थी. श्रीनगर में दुश्मनों के बिछाए गए बारूदी सुरंग में लांस नायक मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए. उनके साथ तीन और सैनिक बारूदी सुरंग के हमले में शहीद हो गए थे.

देश सेवा ही हमारा धर्म है-
इसके बाद शहीद मुन्ना लाल यादव के परिवार ने अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा. भले ही सरकार अपने किए वादों को भूल गई हो, लेकिन शहीद मुन्ना लाल यादव का बड़ा बेटा अमित अब अपने पिता के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए सरहद पर देश सेवा को अपना धर्म मानकर सेना में तैनात है.

बेटी का दर्द-
उनकी बेटी कोमल और छोटा बेटा सुमित अपने पिता और भाई पर बहुत गर्व करते हैं कि उनके पिता ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दे दी और अब भाई भी देश की रक्षा कर रहा है. बेटी कोमल ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवार पर ध्यान रखना चाहिए.

आंसुओं ने कह दिया सब कुछ -
राष्ट्र के खातिर मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए, लेकिन 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन अपने वायदे पर खरा नहीं उतरा. इसका मलाल भले ही शहीद की पत्नी को है. मगर आज भी उनके हौसले बुलंद है. जब हमने उनसे सवाल पूछा तो उनके मुंह से एक लफ्ज भले ही न निकला हो लेकिन आंखों के आंसुओं ने सब कुछ कह दिया.

तमाम अधिकारी और नेता आकर लौट भी गए लेकिन आज सिर्फ मैं और मेरे परिवार के पास है तो अखबार के पन्ने जिसमें शहीद पिता की वीर गाथा और शव यात्रा का जिक्र है.
कोमल, शहीद की बेटी

जिला प्रशासन से लेकर नेताओं ने तमाम वादे किए थे, लेकिन वह सब भूल गए. उन्होंने वादा किया था कि शहीद के नाम से गांव में एक पार्क बनाया जाएगा, इसके अलावा एक प्रतिमा लगाई जाएगी, परिवार को एक पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी भी दिया जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.
भारत भूषण यादव, रिश्तेदार

बस्ती: जनपद की हर्रैया तहसील के विक्रमजोत विकासखंड का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां की धरती ने हमेशा से ही देश सेवा के लिए नौजवानों की एक लंबी फौज तैयार की है. जिन सैनिकों ने देश की रक्षा करते हुए सरहद पर अपने जीवन को कुर्बान कर दिया. ऐसे ही एक सैनिक थे मुन्ना लाल यादव जिन्होंने देश के लिए कारगिल में अपनी जान न्योछावर कर दी थी.

देश के लाल की शहादत पर रो पड़ा था पूरा इलाका.

देश के लाल की शहादत पर रो पड़ा था पूरा इलाका-
11 अगस्त, सन् 2000 को श्रीनगर से बस्ती के मलौली गोसाई गांव में एक सूचना आई, जिसके बाद परिवार सहित पूरा इलाका रो पड़ा था. सूचना देश के लाल, वीर सपूत की शहादत की थी. श्रीनगर में दुश्मनों के बिछाए गए बारूदी सुरंग में लांस नायक मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए. उनके साथ तीन और सैनिक बारूदी सुरंग के हमले में शहीद हो गए थे.

देश सेवा ही हमारा धर्म है-
इसके बाद शहीद मुन्ना लाल यादव के परिवार ने अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा. भले ही सरकार अपने किए वादों को भूल गई हो, लेकिन शहीद मुन्ना लाल यादव का बड़ा बेटा अमित अब अपने पिता के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए सरहद पर देश सेवा को अपना धर्म मानकर सेना में तैनात है.

बेटी का दर्द-
उनकी बेटी कोमल और छोटा बेटा सुमित अपने पिता और भाई पर बहुत गर्व करते हैं कि उनके पिता ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दे दी और अब भाई भी देश की रक्षा कर रहा है. बेटी कोमल ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवार पर ध्यान रखना चाहिए.

आंसुओं ने कह दिया सब कुछ -
राष्ट्र के खातिर मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए, लेकिन 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन अपने वायदे पर खरा नहीं उतरा. इसका मलाल भले ही शहीद की पत्नी को है. मगर आज भी उनके हौसले बुलंद है. जब हमने उनसे सवाल पूछा तो उनके मुंह से एक लफ्ज भले ही न निकला हो लेकिन आंखों के आंसुओं ने सब कुछ कह दिया.

तमाम अधिकारी और नेता आकर लौट भी गए लेकिन आज सिर्फ मैं और मेरे परिवार के पास है तो अखबार के पन्ने जिसमें शहीद पिता की वीर गाथा और शव यात्रा का जिक्र है.
कोमल, शहीद की बेटी

जिला प्रशासन से लेकर नेताओं ने तमाम वादे किए थे, लेकिन वह सब भूल गए. उन्होंने वादा किया था कि शहीद के नाम से गांव में एक पार्क बनाया जाएगा, इसके अलावा एक प्रतिमा लगाई जाएगी, परिवार को एक पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी भी दिया जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.
भारत भूषण यादव, रिश्तेदार

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: जनपद की हर्रैया तहसील के विक्रमजोत विकासखंड का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां की जमीन में हमेशा से ही देश सेवा का जज्बा लिए हुए नौजवानों की एक लंबी फौज तैयार की है. जिन सैनिकों ने देश की रक्षा करते हुए सरहद पर अपने जीवन को कुर्बान कर दिया. ऐसे ही एक सैनिक थे मुन्ना लाल यादव जिन्होंने कारगिल में अपनी जान देश पर न्योछावर कर दी.

11 अगस्त, सन 2000 को श्रीनगर से बस्ती के मलौली गोसाई गांव में एक सूचना आई, जिसके बाद परिवार ही नहीं समूचा इलाका रो पड़ा था. श्रीनगर में दुश्मनों के द्वारा बिछाए गए लैंड माइंस का लांस नायक मुन्ना लाल यादव शिकार हो गए. उनके साथ तीन और सैनिक बारूदी सुरंग के हमले में शहीद हो गए थे.




Body:जज्बा देखिए, इसके बाद शहीद मुन्ना लाल यादव के परिवार ने अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा. भले ही हुक्मरान अपने किए वादों को भूल गए हो, लेकिन शहीद मुन्ना लाल यादव का बड़ा बेटा अमित अब अपने पिता के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए सरहद पर देश सेवा करने को अपना धर्म मानकर सेना में है.

जबकि उनकी एक बेटी कोमल और छोटा बेटा सुमित अपने पिता और भाई पर बेहद गर्व करते हैं कि पिता देश के लिए जान दे दिए और अब भाई भी देश को रक्षा कर रहा है. बेटी कोमल ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवार का ध्यान रखना चाहिए.




Conclusion:राष्ट्रीयता की खातिर मुन्ना लाल यादव शहीद हो गए, लेकिन 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासन अपने वायदे पर खरा नहीं उतरा. इसका मलाल भले ही शहीद की विधवा को है. मगर आज भी उनके हौसले बुलंद है. जब हमने उनसे सवाल पूछा तो उनके मुंह से एक लफ्ज भले ही न निकला हो लेकिन आंखों के आंसुओं ने सब कह दिया.

परिजनों ने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर नेताओं ने तमाम वादे किए थे लेकिन वह सब भूल गए. उन्होंने वादा किया था कि शहीद के नाम से गांव में एक पार्क बनाया जाएगा, इसके अलावा सहित की एक प्रतिमा लगाई जाएगी, परिवार को एक पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी भी दिया जाएगा लेकिन कुछ भी नहीं हुआ. शहीद के परिवार के लोग कहते हैं कि तमाम अधिकारी और नेताओं से आकर लौट भी गए लेकिन आज सिर्फ मेरे और मेरे परिवार के पास है तो अखबार के पन्ने. जिसमें शहीद की वीर गाथा और शव यात्रा का जिक्र है.

विजुअल...शहीद का परिवार
बाइट....पत्नी निर्मला
बाइट...बेटी कोमल
बाइट...रिश्तेदार, भारत भूषण यादव
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