ETV Bharat / state

बस्ती: घाटे में चल रहे गांधी आश्रम, घटकर रह गए सिर्फ तीन

उत्तर प्रदेश के बस्ती में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पूरे देश में मनाई गई. इसके लिए जिले में यात्रा निकाली गई लेकिन गांधी आश्रम पर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है. रुपयों की अभाव में गांधी आश्रम बंद होते जा रहे हैं.

बस्ती में सिर्फ तीन रह गए गांधी आश्रम
author img

By

Published : Oct 17, 2019, 5:36 PM IST

बस्ती: राष्ट्रपिता महत्मा गांधी के द्वारा चलाया गया असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था. इस आंदोलन को व्यापक जनाधार मिला. इसमें गांधी जी विदेशी चीजों के परित्याग का पालन करने को कहा था, जिसके बाद खादी के कपड़ों का प्रचलन बढ़ा. धीरे-धीरे गांधी आश्रम की स्थापना हुई. आजादी के बाद गांधी आश्रमों को बढ़ावा देने के लिए तमाम सरकारों ने योजनाएं भी चलाई लेकिन आज जनपद में गांधी आश्रमों की स्थिति दयनीय हो रही है.

बस्ती में सिर्फ तीन रह गए गांधी आश्रम
रुपयों की कमी से गांधी आश्रम हुए बंद2 अक्टूबर से मोदी सरकार के नेता अपने अपने जिले में यात्रा निकाले हुए हैं लेकिन गांधी आश्रमों की बात कोई नहीं कर रहा. गांधीजी को खादी से बहुत प्रेम था लेकिन आज गांधी आश्रम घाटे में चल रहे हैं. कमेटी से मुकदमे की वजह से भी तमाम गांधी आश्रम बंद होते चले गए. इसका सबसे बड़ा कारण पैसे की कमी है समय के साथ किराया बढ़ता गया. स्टाफ को पैसे न मिलने के कारण लोग काम छोड़ने लगे. खादी दुकान अन्य दुकानों की तरह आकर्षक नहीं रहे.

युवा पीढ़ी खादी की तरफ आकर्षित नहीं होती है. सरकार को गांधी आश्रमों के लिए बजट बढ़ाना चाहिए. साथ ही खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता और कर्मचारियों के वेतन पर भी ध्यान देने की जरूरत है. आज मात्र तीन गांधी आश्रम बस्ती शहर में बचे हैं.
राधे कृष्ण शुक्ला, व्यवस्थापक, गांधी आश्रम

बस्ती: राष्ट्रपिता महत्मा गांधी के द्वारा चलाया गया असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था. इस आंदोलन को व्यापक जनाधार मिला. इसमें गांधी जी विदेशी चीजों के परित्याग का पालन करने को कहा था, जिसके बाद खादी के कपड़ों का प्रचलन बढ़ा. धीरे-धीरे गांधी आश्रम की स्थापना हुई. आजादी के बाद गांधी आश्रमों को बढ़ावा देने के लिए तमाम सरकारों ने योजनाएं भी चलाई लेकिन आज जनपद में गांधी आश्रमों की स्थिति दयनीय हो रही है.

बस्ती में सिर्फ तीन रह गए गांधी आश्रम
रुपयों की कमी से गांधी आश्रम हुए बंद2 अक्टूबर से मोदी सरकार के नेता अपने अपने जिले में यात्रा निकाले हुए हैं लेकिन गांधी आश्रमों की बात कोई नहीं कर रहा. गांधीजी को खादी से बहुत प्रेम था लेकिन आज गांधी आश्रम घाटे में चल रहे हैं. कमेटी से मुकदमे की वजह से भी तमाम गांधी आश्रम बंद होते चले गए. इसका सबसे बड़ा कारण पैसे की कमी है समय के साथ किराया बढ़ता गया. स्टाफ को पैसे न मिलने के कारण लोग काम छोड़ने लगे. खादी दुकान अन्य दुकानों की तरह आकर्षक नहीं रहे.

युवा पीढ़ी खादी की तरफ आकर्षित नहीं होती है. सरकार को गांधी आश्रमों के लिए बजट बढ़ाना चाहिए. साथ ही खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता और कर्मचारियों के वेतन पर भी ध्यान देने की जरूरत है. आज मात्र तीन गांधी आश्रम बस्ती शहर में बचे हैं.
राधे कृष्ण शुक्ला, व्यवस्थापक, गांधी आश्रम

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: गांधी जी के द्वारा चलाया गया असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था. इस आंदोलन को व्यापक जनाधार मिला. इसमें गांधी जी विदेशी चीजों के परित्याग का पालन करने को कहा था. जिसके बाद खादी के कपड़ों का प्रचलन बढ़ा. धीरे-धीरे गांधी आश्रम की स्थापना हुई. आजादी के बाद गांधी आश्रमों को बढ़ावा देने के लिए तमाम सरकारों ने योजनाएं भी चलाई लेकिन आज जनपद में गांधी आश्रमों की स्थिति दयनीय हो रही है.




Body:2 अक्टूबर से मोदी सरकार के नेता अपने अपने जिले में यात्रा निकाले हुए हैं लेकिन गांधी आश्रमों की बात कोई नही कर रहा. जब हमने गांधी आश्रम के व्यवस्थापक राधे कृष्ण से बात की तो उनका दर्द खुलकर सामने आ गया. उन्होंने कहा कि गांधीजी को खादी से बहुत प्रेम था लेकिन आज गांधी आश्रम घाटे में चल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कमेटी से मुकदमे की वजह से भी तमाम गांधी आश्रम बंद होते चले गए. इसका सबसे बड़ा कारण पैसे की कमी बना. उन्होंने बताया कि समय के साथ किराया बढ़ता गया. स्टाफ को पैसे ना मिलने के कारण लोग काम छोड़ने लगे. साथ ही खादी दुकान अन्य दुकानों की तरह आकर्षक नहीं रहे.

उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी खादी की तरफ आकर्षित नहीं होती है. सरकार को गांधी आश्रमों के लिए बजट बढ़ाना चाहिए. साथ ही खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता और कर्मचारियों के वेतन पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि आज मात्र तीन गांधी आश्रम बस्ती शहर में बचे हैं.

बाइट..... राधे कृष्ण शुक्ला, व्यवस्थापक, गांधी आश्रम, बस्ती


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.