बस्तीः कप्तानगंज ब्लॉक के ओझागंज गांव में कुपोषण से छह साल में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सख्त रवैया अपनाया है. आयोग ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
घर में दाने के हैं लाले
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से मौत के कारण की जांच की जा रही है. ओझागंज गांव निवासी हरिश्चंद्र के परिवार में पत्नी और तीन बेटियों की मौत बीते छह वर्षों में हो चुकी है. हरिश्चंद्र का कहना है कि उसके पास खेती की जमीन नहीं है, घर में खाने के लाले रहते हैं. उसका आरोप है कि सभी मौतें कुपोषण से हुई हैं. वह पत्नी का इलाज कराने में मजदूरी भी नहीं कर पाया, जिससे घर के बच्चे दाने-दाने के लिए मजबूर हो गए.
स्वास्थ्य मेले में सामने आया मामला
यह मामला सुर्खियों में तब आया जब वह अपनी चौथी कुपोषित बच्ची को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले में पहुंच गया. अधिकारियों को अपनी पीड़ा बताई.
घर में पहले ही चार लोगों की हो चुकी है मौत
हरिश्चंद्र के अनुसार, पांच माह की शशि, दो माह की लक्ष्मी और एक माह की नवजात सहित पत्नी गीता की आठ माह पूर्व कुपोषण से मौत हो चुकी है. चार साल की एक बेटी विंध्यवासिनी बची है, वह भी पूरी तरह कुपोषित है. डीएम आशुतोष निरंजन के आदेश और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम हर्रैया प्रेम प्रकाश मीणा के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम एमओआईसी डॉ. विनोद कुमार के नेतृत्व में हरिश्चंद्र के घर पहुंची थी. जांच में बच्ची के कुपोषित पाए जाने पर उसे जिला अस्पताल स्थित एनआरसी भेज दिया गया.
चिकित्सकों ने लखनऊ किया रेफर
एनआरसी में चार वर्षीय विंध्यवासिनी के स्वास्थ्य की जांच की गई, उसकी दिमागी हालत ठीक न पाए जाने पर चिकित्सकों ने उसे लखनऊ के लिए रेफर किया है. पिता हरिश्चंद्र का कहना है कि आर्थिक स्थित खराब होने के कारण वह बेटी को लखनऊ इलाज के लिए ले जाने में असमर्थ है.
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हरिश्चंद्र के परिवार में कुछ मौत का मामला कई साल पुराना है. पत्नी की मौत कुपोषण नहीं बल्कि किसी बीमारी से हुई है. जांच में जो भी तथ्य सामने आएगा, शासन को उससे अवगत कराया जाएगा.
-आशुतोष निरंजन, डीएम