बस्ती: संभागीय परिवहन विभाग (RTO) बस्ती में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का बड़ा खेल सामने आया है. यहां फर्जी लाइसेंस सैकड़ों की संख्या में बने हैं. जिन लोगों के नाम पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाए गए हैं, वो बस्ती के रहने वाले नहीं हैं. इनमें अधिकतर लोग राजस्थान, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले बताए जा रहे हैं. एक शिकायत की जांच में ये फर्जीवाड़ा उजागर हुआ. आला अधिकारियों ने इस मामले की जांच अब आरआई को सौंपी है.
मार्च 2020 में कोरोना के फैलने के साथ ही सरकारी कार्यालय पूरी तरह बंद कर दिए गए थे. इस दौरान अंदर ही अंदर सारा काम हो रहा था. यह सिलसिला मई 2021 तक चलता रहा. सूत्रों के अनुसार कर्मचारी की सहमति से उसकी विभागीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड उसके सहायक और संविदा कर्मचारी इस्तेमाल कर रहे थे. कर्मचारी के न होने पर भी काम चलता रहा. इस सहायक और संविदा कर्मी ने मोटी रकम ऐंठी और करीब 500 फर्जी लाइसेंस बना दिए. जब गड़बड़ी का खुलासा हुआ तो अभी तक चिह्नित किए गए 130 लाइसेंस ब्लॉक कर दिए गए हैं. आश्चर्य की बात ये है कि ये फर्जी लाइसेंस अधिकारियों की आईडी से महीनों से बन रहे थे और उन्हें भनक तक नहीं लगी. इसमें विभागीय कर्मियों की मिलीभगत मानी जा रही है.
अधिकतर डीएल उनके बनाए गए हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है. फर्जी आधार कार्ड और प्रमाण पत्रों का सहारा लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए गए, जबकि नियम है कि डीएल उसी जिले के आरटीओ विभाग से जारी हो सकता है, जहां का आवेदक रहने वाला हो. अन्य जिले का निवासी किसी दूसरे जिले के आरटीओ दफ्तर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवा ही नहीं सकता है. मगर बस्ती में नियम कानून को दरकिनार करके बस्ती संभागीय परिवहन विभाग में धड़ल्ले से कई फर्जी डीएल बना दिए गए.
इस मामले को लेकर एआरटीओ अरुण चौबे से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद जांच शुरू की गयी. अभी तक 135 डीएल फर्जी मिले हैं. अभी जांच जारी है. जिनके लाइसेंस फर्जी हैं, वो सभी बाहरी राज्यों के रहने वाले बताए जा रहे हैं. पिछले 7 साल से ये सिलसिला चल रहा था, मगर कभी किसी अधिकारी को भनक तक नहीं लगी. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है. एआरटीओ ने दावा किया कि इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.