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बस्ती: बेमानी हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य, दलाल मार रहे किसानों का हक

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Published : Jan 16, 2020, 9:30 AM IST

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सरकारी धान खरीद केंद्रों पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है, जिससे किसान बिचौलियों को धान बेचने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये निर्धारित किया है, लेकिन सरकारी अधिकारियों की बिचौलियो से मिलीभगत के कारण किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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धान खरीद में खेल.

बस्ती: उतर प्रदेश सरकार ने यूपी के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये तय किया है. यह समर्थन मूल्य किसानों की बजाय बिचौलिये की जेब में जा रहा है. धान खरीद में किसानों से धान खरीदने के बजाय केंद्र प्रभारी धान की खरीद बिचौलियों से कर रहे हैं. किसानों के धान को खराब बताकर लौटा दिया जा रहा है.

सरकारी खरीद में गड़बड़ी के चलते किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है.

किसान को मजबूरी में बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है. बिचौलिये किसान से सस्ते में धान लेकर फिर राइस मिलरों को सप्लाई कर रहे हैं. राईस मिलरों और बिचौलियों के मिलीभगत से करोड़ों रुपये का सब्सिडी का घोटाला सामने आ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले में महज 12 हजार 5 सौ किसानों ने 9 लाख 50 हजार कुन्तल धान की खरीद की गयी.

बिचौलियों को बेचा धान
किसानों से इतने बड़े पैमाने पर धान की खरीदारी की गई तो प्रति किसान का औसत 75 कुन्तल आ रहा है, लेकिन किसान से बात की गई तो पता चला कि वह तो बिना धान बेचे ही क्रय केन्द्र से अपना धान लेकर घर वापस चले आये हैं. कुछ ने तो बिचौलिये राइस मिलरों को 1350 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से बेच दिया. इसके बाद मामले में कमिश्नर अनिल सागर ने इसकी जांच कराने की बात कही है.

किसानों ने लगाया आरोप
किसानों का आरोप है कि हम लोगों को केन्द्र पर परेशान किया जाता है और वापस कर दिया जाता है. एक किसान ने बताया कि हम लोग तीन दिन से लाइन में लगे हैं, लेकिन अभी तक हमारे धान की खरीद क्रय केन्द्र पर नहीं की गयी. किसान मायूस होकर बिना धान बेचे वापस अपने घर जा रहे हैं. एक तरफ किसान परेशान है तो दूसरी तरफ बिचौलियों और क्रय केन्द्र के अधिकारियों की चांदी ही चांदी है. इतना ही नहीं धान की खरीद में छोटे किसान लिस्ट से ही गायब हो गये हैं.

इसे भी पढ़ें- एएमयू बवाल: छात्रों ने सिर पर पट्टी बांध, ब्लैक-डे के रूप में निकाला प्रोटेस्ट मार्च

जिले में 101 धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं. धान खरीद का लक्ष्य 74 हजार मीट्रिक टन मिला था. इस पर तय दिनांक तक 94 हजार से ज्यादा मीट्रिक टन की खरीदारी की जा चुकी है. अभी धान की खरीद चल रही है और अभी तक के आंकड़ों के अनुसार 12.5 लाख किसानों का धान खरीदा गया है.
- आशुतोष निरंजन, डीएम

धान खरीद के बाद अब हमारा मुख्य फोकस किसानों का भुगतान करना है. जो किसान अभी भी बचे हैं उनके धान की भी खरीद की जाएगी. मामले की जांच कराएंगे की जो खरीद हुई है वो किसानों से हुई है या बिचौलियों से हुई है. अगर गड़बड़ी मिलती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
-अनिल सागर, कमिश्नर, बस्ती मण्डल

बस्ती: उतर प्रदेश सरकार ने यूपी के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये तय किया है. यह समर्थन मूल्य किसानों की बजाय बिचौलिये की जेब में जा रहा है. धान खरीद में किसानों से धान खरीदने के बजाय केंद्र प्रभारी धान की खरीद बिचौलियों से कर रहे हैं. किसानों के धान को खराब बताकर लौटा दिया जा रहा है.

सरकारी खरीद में गड़बड़ी के चलते किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है.

किसान को मजबूरी में बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है. बिचौलिये किसान से सस्ते में धान लेकर फिर राइस मिलरों को सप्लाई कर रहे हैं. राईस मिलरों और बिचौलियों के मिलीभगत से करोड़ों रुपये का सब्सिडी का घोटाला सामने आ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले में महज 12 हजार 5 सौ किसानों ने 9 लाख 50 हजार कुन्तल धान की खरीद की गयी.

बिचौलियों को बेचा धान
किसानों से इतने बड़े पैमाने पर धान की खरीदारी की गई तो प्रति किसान का औसत 75 कुन्तल आ रहा है, लेकिन किसान से बात की गई तो पता चला कि वह तो बिना धान बेचे ही क्रय केन्द्र से अपना धान लेकर घर वापस चले आये हैं. कुछ ने तो बिचौलिये राइस मिलरों को 1350 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से बेच दिया. इसके बाद मामले में कमिश्नर अनिल सागर ने इसकी जांच कराने की बात कही है.

किसानों ने लगाया आरोप
किसानों का आरोप है कि हम लोगों को केन्द्र पर परेशान किया जाता है और वापस कर दिया जाता है. एक किसान ने बताया कि हम लोग तीन दिन से लाइन में लगे हैं, लेकिन अभी तक हमारे धान की खरीद क्रय केन्द्र पर नहीं की गयी. किसान मायूस होकर बिना धान बेचे वापस अपने घर जा रहे हैं. एक तरफ किसान परेशान है तो दूसरी तरफ बिचौलियों और क्रय केन्द्र के अधिकारियों की चांदी ही चांदी है. इतना ही नहीं धान की खरीद में छोटे किसान लिस्ट से ही गायब हो गये हैं.

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जिले में 101 धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं. धान खरीद का लक्ष्य 74 हजार मीट्रिक टन मिला था. इस पर तय दिनांक तक 94 हजार से ज्यादा मीट्रिक टन की खरीदारी की जा चुकी है. अभी धान की खरीद चल रही है और अभी तक के आंकड़ों के अनुसार 12.5 लाख किसानों का धान खरीदा गया है.
- आशुतोष निरंजन, डीएम

धान खरीद के बाद अब हमारा मुख्य फोकस किसानों का भुगतान करना है. जो किसान अभी भी बचे हैं उनके धान की भी खरीद की जाएगी. मामले की जांच कराएंगे की जो खरीद हुई है वो किसानों से हुई है या बिचौलियों से हुई है. अगर गड़बड़ी मिलती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
-अनिल सागर, कमिश्नर, बस्ती मण्डल

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: उतर प्रदेश सरकार ने यूपी के किसानों की आय दुगुनी करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये तय किया है. लेकिन यह समर्थन मूल्य किसानों के बजाय बिचौलिये के जेब मे जा रहा है. धान खरीद मे किसानों से धान खरीदने के बजाय केंद्र प्रभारी धान की खरीद बिचौलियों से कर ले रहे हैं. किसान के धान को खराब बताकर लौटा दिया जा रहा है. किसान को मजबूरी में बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है. वहीं विचौलिये किसान से सस्ते ने धान लेकर फिर राइस मिलरों को सप्लाई कर रहे है. वहीं राईस मिलरों और बिचौलियों के मिलीभगत से करोड़ो रुपये का सब्सिड का घोटाला सामने आ रहा है.

सरकारी आंकड़ों से समझे तो जिले में महज 12 हजार 5 सौ किसानों ने 9 लाख 50 हजार कुन्तल धान की खरीद की गयी. यदि किसानों से इतने बड़े पैमाने पर धान की खरीदारी की गई तो प्रति किसान का औसत 75 कुन्तल आ रहा है. लेकिन किसान से बात की गई तो पता चला कि वह तो बिना धान बेचे ही क्रय केन्द्र से अपना धान लेकर घर वापस चले आये हैं. कुछ ने तो बिचौलिये राइस मिलरों को 1350 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से बेच दिया. अब सवाल उठता है कि ये सरकारी आंकड़ा कैसे सही मान लिया जाए. हालांकि कमिश्नर अनिल सागर ने इसकी जांच कराने की बात कही है.

Body:दरअसल एक तरफ सरकारी आंकड़ा शत प्रतिशत धान खरीद की बात कहता है. वहीं किसानों का आरोप है कि हम लोगो को केन्द्र पर परेशान किया जाता है और वापस कर दिया जाता है. वही एक किसान ने बताया कि हम लोग तीन दिन से लाइन मे लगे है लेकिन अभी तक हमारे धान की खरीद क्रय केन्द्र पर नही की गयी. किसान मायूस होकर बिना धान बेचे वापस अपने घर जा रहे हैं. एक तरफ किसान परेशान है तो दुसरी तरफ बिचौलियों और क्रय केन्द्र के अधिकारियों की चाँदी ही चाँदी है. इतना ही नही धान की खरीद मे छोटे किसान लिस्ट से ही गायब हो गये. राईस मिलर, केन्द्र प्रभारी व बिचौलियों के मिलीभगत से सब्सिडी का जमकर बन्दर बाट हुआ है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर धान खरीद मे करोड़ों की सब्सिडी घोटाला हुआ है. वहीं जब इस बारे मे जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि 95 हजार पांच सौ मीट्रिक टन की खरीदारी की गई है. हालांकि इतने कम किसानों के नाम पर इतनी अधिक धान की खरीदारी की गयी है तो डीएम ने इस पर कुछ भी नही बोला.

सवाल यह उठता है की जनपद मे इतने बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. महज 12 हजार किसान ही केवल आपना धान बेच पाये. आंकड़ो से साफ पता चलता है कि इसमे बड़े पैमाने पर गोलमाल किया गया है. वही किसान 1350 रुपये में धान बेचने के लिए मजबूर है. जबकि मिल मालिक ने बिचौलिओं से धान खरीद कर फर्जी किसानों के नाम पर पेमेंट करा लिया है.

Conclusion:वहीं कमिश्नर अनिल सागर ने कहा कि धान खरीद के बाद अब हमारा मुख्य फोकस किसानों का भुगतान करना है. साथ ही जो किसान अभी भी बचे हैं उनके धान की भी खरीद की जाएगी. साथ ही कमिश्नर ने कहा कि हम इसकी जांच कराएंगे की जो खरीद हुई है वो किसानों से ही हुई है या बिचौलियों से हुई है. अगर गड़बड़ी मिलती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बाइट......नन्दलाल चौहान, किसान
बाइट.......विनय सिंह, किसान
बाइट......धीरेंद्र, किसान
बाइट......राजीव शुक्ला, किसान
बाइट.....आशुतोष निरंजन, डीएम
बाइट.....अनिल सागर, कमिश्नर, बस्ती मण्डल

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