बस्ती: जिले में पोस्टमार्टम हाउस पर आज एक अप्रत्याशित घटना देखने को मिली. यहां एक आठ साल के मृत बच्चे को लेकर पुलिस और उसके परिजन पोस्टमार्टम कराने पहुंचे थे. परिजनों के अनुसार पोस्टमार्टम से पहले अचानक बच्चे की पल्स चलने का एहसास हुआ. पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद लोगों की सलाह के बाद परिजन बच्चे को लेकर आनन-फानन में जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टर ने बच्चे को फिर मृत घोषित कर दिया.
परिजनों का आरोप है कि उनका बच्चा जीवित था और वो उसको प्राइवेट अस्पताल में जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने नहीं जाने दिया, जिसके बाद देरी की वजह से उसकी मौत हो गई. दरअसल, जनपद के लालगंज थाना क्षेत्र के सगनाखोर गांव में एक आठ साल के बच्चे ने पिता के द्वारा मोबाइल न देने पर फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था, जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मृत बच्चे के पिता ने बताया कि मोबाइल न देने से नाराज होकर उनके बेटे ने फांसी लगा लिया था और हम लोग बच्चे का पोस्टमार्टम कराने के लिए बस्ती पहुंचे थे.
ये भी पढ़ें- आजम खां की एक मामले में बेल मंजूर, तीन खारिज
तभी पोस्टमार्टम हाउस में कागजात तैयार किए जा रहे थे और बच्चे को पोस्टमार्टम के लिए अंदर भेज दिया गया. पिता के अनुसार वहां मौजूद मेडिकल स्टाफ ने देखा कि बच्चे की नब्ज चल रही है, जिसके बाद उन्होंने तत्काल बच्चे के परिजनों को जिला अस्पताल जाने के लिए कहा, लेकिन जिला अस्पताल पहुंचने पर यहां मौजूद डॉक्टरों की टीम ने एक बार फिर से बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि जब बच्चे को लेकर परिजन यहां आए तो बच्चे का एक बार फिर से ठीक तरीके से परीक्षण किया गया, लेकिन वह जीवित नहीं था. उन्हें लगता है कि परिजनों को भ्रम हुआ है या फिर पोस्टमार्टम हाउस के डॉक्टरों ने अज्ञानता वश ऐसी जानकारी परिजनों को दे दी. बहरहाल तीन डॉक्टरों की टीम में अब बच्चे को मृत घोषित कर दिया है, लेकिन मृत बच्चे के परिजन प्राइवेट डॉक्टर से एक बार फिर चेकअप कराने पर अड़े हुए थे. काफी देर तक पुलिस के अधिकारी परिजनों को समझाने में जुटे रहे और देर शाम आखिरकार मृत बच्चे का शव एक बार फिर से पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.