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बस्ती: फाग महोत्सव का आयोजन, कलाकारों ने बांधा समा

उत्तर प्रदेश के बस्ती में फाग महोत्सव का आयोजन किया गया. यह आयोजन बस्ती विकास समिति ने आयोजित किया. बताया जा रहा है कि सबसे पहले फाग गीत गाने वाले कलाकार बस्ती जिले के ही रहने वाले थे.

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विकास समिति ने आयोजित किया फाग महोत्सव
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Published : Mar 8, 2020, 8:29 PM IST

बस्ती: फगुआ का मतलब फागुन के त्योहार (होली) से है. इस दौरान लोग फाग के गीत गाते हैं और इनकी धुनों पर जमकर डांस भी करते हैं. बिहार में इसकी शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है और होली के दिन तक लगातार फाग गाए जाते हैं. बात होली की हो और बस्ती का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. फाग गीत गाने वाले सबसे पहले कलाकार बस्ती मंडल के रहने वाले माने जाते हैं. जिले में होली का त्योहार फाग उत्सव की तरह मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत वसंत पंचमी से हो जाती है. हालांकि, कुछ इलाकों में इसे फगुआ भी कहा जाता है.

बस्ती में विकास समिति ने आयोजित किया फाग महोत्सव.
आयोजक राहुल ने बताया कि सामाजिक संस्था बस्ती विकास समिति के तत्वावधान में अपनी विलुप्त हो रही परम्परा को संरक्षित करने के उद्देश्य से फाग उत्सव का आयोजन किया गया. यह आयोजन जिले के हरी मैरिज हाल में किया गया. विकास समिति बधाई के पात्र है, जो समय-समय पर अपनी परम्परा और संस्कृति को सजोने का काम कर रही है. विलुप्त हो रहे फाग को कजरी से समिति ने युवाओं को परिचित कराकर अपनी परम्परा का संजोय रही है.

इसे भी पढ़ें: अमहट घाट अब पार्क के रूप में होगा विकसित, डीएम ने जारी किया निर्देश


फगुआ कलाकारों के मुताबिक, फगुआ का मतलब फागुन के त्योहार (होली) से है. इस दौरान लोग फाग के गीत गाते हैं और इनकी धुनों पर जमकर डांस भी करते हैं. इसकी शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है और होली के दिन तक लगातार फाग गाए जाते हैं. लोग इसे काफी उत्साह से मनाते हैं. साथ ही यहां पूर्णिमा के दिन पहले धूल-मिट्टी से होली खेली जाती है, जिसके बाद लोग रंगों वाली होली खेलते हैं. पूर्वांचल में होली की शुरुआत के लिए सबसे पहले कुल देवी-देवताओं को रंग चढ़ाया जाता है. साथ ही, उन्हें पुए का भोग भी लगाया जाता है. साथ ही देव पूजन के बाद परिवार के सभी छोटे सदस्य अपने से बड़ों के पैरों पर रंग लगाते हैं और आशीर्वाद लेते हैं. वहीं, होली की रात संगीत कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें सभी लोग लोकगीतों पर जमकर झूमते हैं.

बस्ती: फगुआ का मतलब फागुन के त्योहार (होली) से है. इस दौरान लोग फाग के गीत गाते हैं और इनकी धुनों पर जमकर डांस भी करते हैं. बिहार में इसकी शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है और होली के दिन तक लगातार फाग गाए जाते हैं. बात होली की हो और बस्ती का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. फाग गीत गाने वाले सबसे पहले कलाकार बस्ती मंडल के रहने वाले माने जाते हैं. जिले में होली का त्योहार फाग उत्सव की तरह मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत वसंत पंचमी से हो जाती है. हालांकि, कुछ इलाकों में इसे फगुआ भी कहा जाता है.

बस्ती में विकास समिति ने आयोजित किया फाग महोत्सव.
आयोजक राहुल ने बताया कि सामाजिक संस्था बस्ती विकास समिति के तत्वावधान में अपनी विलुप्त हो रही परम्परा को संरक्षित करने के उद्देश्य से फाग उत्सव का आयोजन किया गया. यह आयोजन जिले के हरी मैरिज हाल में किया गया. विकास समिति बधाई के पात्र है, जो समय-समय पर अपनी परम्परा और संस्कृति को सजोने का काम कर रही है. विलुप्त हो रहे फाग को कजरी से समिति ने युवाओं को परिचित कराकर अपनी परम्परा का संजोय रही है.

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फगुआ कलाकारों के मुताबिक, फगुआ का मतलब फागुन के त्योहार (होली) से है. इस दौरान लोग फाग के गीत गाते हैं और इनकी धुनों पर जमकर डांस भी करते हैं. इसकी शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है और होली के दिन तक लगातार फाग गाए जाते हैं. लोग इसे काफी उत्साह से मनाते हैं. साथ ही यहां पूर्णिमा के दिन पहले धूल-मिट्टी से होली खेली जाती है, जिसके बाद लोग रंगों वाली होली खेलते हैं. पूर्वांचल में होली की शुरुआत के लिए सबसे पहले कुल देवी-देवताओं को रंग चढ़ाया जाता है. साथ ही, उन्हें पुए का भोग भी लगाया जाता है. साथ ही देव पूजन के बाद परिवार के सभी छोटे सदस्य अपने से बड़ों के पैरों पर रंग लगाते हैं और आशीर्वाद लेते हैं. वहीं, होली की रात संगीत कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें सभी लोग लोकगीतों पर जमकर झूमते हैं.

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