बस्ती: एक तरफ जहां सरकार गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ जनपद में एक दिव्यांग आवास के लिये दो साल से भटक रहा है. आवास न मिलने का कारण सिर्फ यह है कि उसने प्रधान को वोट नहीं दिया. दिव्यांग ने इसकी शिकायत हरैया तहसील में कई बार की, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
हरैया विधानसभा क्षेत्र के विक्रमजोत ब्लॉक अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत फरेना का रहने वाले दिव्यांग अख्तर हुसैन को मां-बाप की मौत के बाद भाइयों ने उसे सभी संपत्ति से बेदखल कर दिया. इसके बाद से वह ग्राम प्रधान से प्रधानमंत्री आवास के लिए निवेदन किया, लेकिन प्रधान ने उसे यह कहकर मना कर दिया कि उसने चुनाव के दौरान उसे वोट नहीं दिया था.
दिव्यांग अख्तर अपने जीवन-यापन के लिए एक दुकान पर काम करता है और वहीं रहता भी है. दिव्यांग होने की वजह से उसको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अख्तर की मानें तो समाज में दिव्यांग होना अभिशाप हो गया है. प्रधान और सेक्रेटरी से उम्मीद टूटने के बाद अख्तर ने जिले के तेज तर्रार आईएएस हरैया तहसील में तैनात ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा से फरियाद की और पत्र में माध्यम से अवगत कराया, लेकिन अभी तक अख्तर सिर्फ तहसील के चक्कर लगा रहा है.
दिव्यांग अख्तर ने बताया कि मैंने एसडीएम को प्रार्थना पत्र दिया था कि मैं एक दिव्यांग हूं और प्रधानमंत्री आवास का हकदार हूं, लेकिन प्रधान और सेक्रेटरी की मिलीभगत और रंजिश की वजह से आवास नहीं दिया जा रहा है. पीड़ित ने बताया कि हरैया एसडीएम और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने मेरी फरियाद सुनी और कार्रवाई का आश्वासन दिया. मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
इस मामले को लेकर जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा से बात की गई, तब उन्होंने बताया कि मामला हमारे संज्ञान में है, इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.