बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के पदमापुर गांव में बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दी. मृतक महिला लंबे समय से बीमार चल रही थी. जिसका इलाज उनकी बेटी ओपेक अस्पताल में करवा रही थी. जहां बुजुर्ग महिला की मंगलवार को मौत हो गई. जब बेटी अपने मां के शव को लेकर गांव पहुंची तो रिश्तेदारों ने दाह संस्कार करने से मना कर दिया. इसके बाद बेटी ने खुद बेटे का फर्ज निभाते हुए मां की चिता को मुखाग्नि दी.
कप्तानगंज थाना क्षेत्र के पदमापुर गांव में मंगलवार को एक बेटी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी है. मां लंबे समय से बीमार चल रही थी. पिता की मौत 8 साल पहले हुई थी. जिनका दाह संस्कार पड़ोसी भतीजे ने किया था. पदमापुर गांव निवासी 75 वर्षीय आशा सिंह के 3 बेटियां है.
फेफड़ों के संक्रमण से हुई बुजुर्ग महिला की मौत
आशा सिंह के फेफड़े में संक्रमण होने पर उन्हें बेटी पूजा और दामाद नरेंद्र ने लखनऊ स्थित लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया था. सेहत में सुधार होने पर उन्हें घर ले आए. सोमवार की रात को आशा सिंह की तबियत बिगड़ी तो उन्हें ओपेक चिकित्सालय कैली में भर्ती कराया गया. जहां मंगलवार की सुबह में उनका निधन हो गया. आशा सिंह के पुत्र नहीं थे.
पड़ोसी भतीजे ने दाह संस्कार करने से किया मना
दरअसल, आशा सिंह ने अपनी संपत्ति को बेटियों को दे रखा है. मां की मौत पर सभी बेटियां गांव पहुंची. बेटियों को संपत्ति दे देने के चलते पड़ोसियों ने भी दाह संस्कार से किनारा कर दिया तो छोटी बेटी पूजा सिंह ने पड़ोस के मनोरमा नदी के पंडूल घाट पर मां की शव यात्रा के साथ श्मशान घाट पहुंची और मां को मुखाग्नि दी.
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