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बस्ती में सरकारी अस्पतालों की हालत खराब, मरीज हुए परेशान

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Published : Jul 5, 2019, 10:36 AM IST

उत्तर प्रदेश के बस्ती में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों कि कमी होने के साथ-साथ लोगों को दवाएं लेने के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है.

इलाज के लिए मरीज जा रहें प्राइवेट अस्पताल

बस्ती: उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बस्ती जिले के प्रभारी मंत्री है, बावजूद इसके स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है. पहले की तरह आज भी मरीजों को बाहर से दवा लेनी पड़ रही है. इसके अलावा जनपद में डाक्टरों की भारी कमी है, जिसकी वजह से लोगों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है या दवा कराने के लिए दूसरे बड़े शहरों जैसै लखनऊ या गोरखपुर जाना पड़ रहा है.

इलाज के लिए मरीज जा रहें प्राइवेट अस्पताल
जिला अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट और न्यूरो के डाक्टर नहीं है. कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर न होने की वजह से हार्टअटैक आने पर मरीज को समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से अक्सर हार्ट के मरीजों के इलाज में देरी हो जाने की वजह से उनकी मौत हो जाती है. डिप्टी सीएमओ का कहना है कि जिले मे भारी संख्या में डाक्टरों की कमी है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर तो न के बराबर हैं.

फिलहाल जिले में 68 डाक्टरों की तैनाती है जब कि 58 डॉक्टरों कि और जरूरत है. इस समय जिले में 11 सीएचसी है, जिसके लिए 5 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का होना जरूरी है. आर्थोपेडिक, महिला डॉक्टर और डेंटिस्ट की भारी कमी है. वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की कमी को पूरा करने लिए शासन को बराबर लिखा जाता है, लेकिन डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है.

वहीं एडी हेल्थ रंगजी द्विवेदी का कहना है कि बस्ती जिला नीति आयोग में नहीं है. हमारे मण्डल में सिर्फ सिद्धार्थनगर जिले में नीति आयोग है. सिद्धार्थनगर में अभी शासन स्तर पर 40 डॉक्टरों की तैनाती की गई है, वहां डॉक्टरों की संख्या 119 हो चुकी है.

वहीं जिला टीबी अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर मात्र एक डॉक्टर की तैनाती है, यहां पर 4 जिलों के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, 110 बेड के इस अस्पताल को सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया गया है. जिसकी वजह से टीबी के मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है,


जिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर भी डॉक्टरों की कमी है. डॉक्टर की कमी के साथ-साथ लोगों को दवाएं खरीदने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर बाहर से दवाएं लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को दवाओं पर हजारों रुपये खर्च करना पड़ रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो हाल ही में कुदरहा सीएचसी पर निरहू अपने 60 वर्षीय पिता रामसुंदर को ठेले से 5 किलोमीटर चल कर अस्पताल पहुंचा लेकिन समय पर इलाज नहीं शुरू हो सका.

  • स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को लेकर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है.
  • उत्तर प्रदेश के बस्ती में सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों कि कमी
  • उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बस्ती जिले के प्रभारी मंत्री है
  • डॉक्टरों की कमी की वजह से लोगों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है.
  • कार्डियोलाजिस्ट, न्यूरो, आर्थोपेडिक, महिला डॉक्टर और डेंटिस्ट कि कमी से लोगों कि परेशानी बढ़ी
  • टीबी अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर तैनात
  • दवाएं न मिलने कि वजह से लोगों को प्राइवेट अस्पतालों की मदद लेनी पड़ रही है.

बस्ती: उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बस्ती जिले के प्रभारी मंत्री है, बावजूद इसके स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है. पहले की तरह आज भी मरीजों को बाहर से दवा लेनी पड़ रही है. इसके अलावा जनपद में डाक्टरों की भारी कमी है, जिसकी वजह से लोगों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है या दवा कराने के लिए दूसरे बड़े शहरों जैसै लखनऊ या गोरखपुर जाना पड़ रहा है.

इलाज के लिए मरीज जा रहें प्राइवेट अस्पताल
जिला अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट और न्यूरो के डाक्टर नहीं है. कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर न होने की वजह से हार्टअटैक आने पर मरीज को समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से अक्सर हार्ट के मरीजों के इलाज में देरी हो जाने की वजह से उनकी मौत हो जाती है. डिप्टी सीएमओ का कहना है कि जिले मे भारी संख्या में डाक्टरों की कमी है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर तो न के बराबर हैं.

फिलहाल जिले में 68 डाक्टरों की तैनाती है जब कि 58 डॉक्टरों कि और जरूरत है. इस समय जिले में 11 सीएचसी है, जिसके लिए 5 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का होना जरूरी है. आर्थोपेडिक, महिला डॉक्टर और डेंटिस्ट की भारी कमी है. वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की कमी को पूरा करने लिए शासन को बराबर लिखा जाता है, लेकिन डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है.

वहीं एडी हेल्थ रंगजी द्विवेदी का कहना है कि बस्ती जिला नीति आयोग में नहीं है. हमारे मण्डल में सिर्फ सिद्धार्थनगर जिले में नीति आयोग है. सिद्धार्थनगर में अभी शासन स्तर पर 40 डॉक्टरों की तैनाती की गई है, वहां डॉक्टरों की संख्या 119 हो चुकी है.

वहीं जिला टीबी अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर मात्र एक डॉक्टर की तैनाती है, यहां पर 4 जिलों के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, 110 बेड के इस अस्पताल को सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया गया है. जिसकी वजह से टीबी के मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है,


जिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर भी डॉक्टरों की कमी है. डॉक्टर की कमी के साथ-साथ लोगों को दवाएं खरीदने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर बाहर से दवाएं लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को दवाओं पर हजारों रुपये खर्च करना पड़ रहा है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो हाल ही में कुदरहा सीएचसी पर निरहू अपने 60 वर्षीय पिता रामसुंदर को ठेले से 5 किलोमीटर चल कर अस्पताल पहुंचा लेकिन समय पर इलाज नहीं शुरू हो सका.

  • स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को लेकर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है.
  • उत्तर प्रदेश के बस्ती में सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों कि कमी
  • उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बस्ती जिले के प्रभारी मंत्री है
  • डॉक्टरों की कमी की वजह से लोगों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है.
  • कार्डियोलाजिस्ट, न्यूरो, आर्थोपेडिक, महिला डॉक्टर और डेंटिस्ट कि कमी से लोगों कि परेशानी बढ़ी
  • टीबी अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर तैनात
  • दवाएं न मिलने कि वजह से लोगों को प्राइवेट अस्पतालों की मदद लेनी पड़ रही है.
Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

स्लग- जिले में लाचार स्वास्थ्य सेवाएं

एंकर- उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बस्ती जिले के प्रभारी मंत्री है, बावजूद इस के स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है, पहले की तरह आज भी मरीजों को बाहर की दवा लेनी पड़ रही है, इस के अलावा जनपद में डाक्टरों की भारी कमी है, जिसकी वजह से लोगों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है या दवा कराने के लिए दूसरे बड़े शहरों लखनऊ, गोरखपुर जाना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट और न्यूरो के डाक्टर नहीं है, कार्डियोलाजिस्ट डाक्टर न होने की वजह से हार्टअटेक आने पर मरीज को समय से इलाज नहीं मिल पाता जिसकी वजह से अक्सर हार्ट के मरीजों की इलाज में देरी होने की वजह से मौत हो जाती है, बात की जाए डाक्टरों की तो डिप्टी सीएमओ का कहना है की जिले मे भारी संख्या में डाक्टरों की कमी है, स्पेश्लिस्ट डाक्टर तो न के बराबर हैं, अभी जिले में 68 डाक्टरों की तैनाती है जब्कि 58 डाक्टर और चाहिए, इस समय जिले में 11 सीएचसी है, जिसके लिए 5 स्पेश्लिस्ट डाक्टर होने चाहिए, आर्थोपेडिक, महिला डाक्टर और डेंटिस्ट की भारी कमी है, डाक्टरों की कमी को पूरा करने लिए शासन को बराबर लिखा जाता है लेकिन डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है, वहीं एडी हेल्थ रंगजी द्विवेदी का कहना है की बस्ती जिला नीति आयोग में नहीं है, हमारे मण्डल में सिर्फ सिद्धार्थनगर जिले में नीति आयोग है, सिद्धार्थनगर में अभी शासन स्तर पर 40 डाक्टरों की तैनाती की गई है, वहां डाक्टरों की संख्या 119 हो चुकी है,  

वहीं जिला टीबी अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर मात्र एक डाक्टर की तैनाती है, यहां पर 4 जिलों के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, 110 बेड के इस अस्पताल को सिर्फ एक डाक्टर के भरोसे छोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से टीबी के मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, 


Body:जिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर भी डाक्टरों की कमी है, कार्डियोलाजिस्ट, न्यूरो के डाक्टर तक नहीं हैं, दवाएं डाक्टर बाहर से लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को दवाओं पर हजारों रूपए खर्च करना पड़ रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रो की बात की जाए तो हाल ही में कुदरहा सीएचसी पर निरहू अपने 60 वर्षीय पिता रामसुंदर को ठेले से 5 किलोमीटर चल कर अस्पताल पहुंचा लेकिन समय पर इलाज नहीं शुरू हो सका, 

बाइट- तीमारदार
बाइट- रंगजी दुबे.... एडी हेल्थ


बस्ती यूपी


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