बस्ती: राह विपरीत हो तो धैर्य और शांति को ढाल बनाने वाले न केवल नई राह निकाल लेते हैं, बल्कि सम्मान की मंजिल भी पाते हैं. जिले की विक्रमजोत विकास खंड बभनगांवा की 70 वर्षीय शांति देवी इसी राह पर चलीं और सम्मान पाया. उन्होंने केले के खेत में मटर बोकर एक साथ दो फसल ली. राज्य सरकार ने उन्हें खेती में नई विधि के प्रयोग के लिए विशेष पुरस्कार से नवाजा है. अब वह प्रगतिशील खेती की नजीर हैं और उन्हें देखकर दूसरे किसान भी उनकी विधि को आजमा रहे हैं.
केले संग मटर की कर रही खेती
करीब 30 खेत की मालिक शांति देवी उनके पति बिंद्रा सिंह ने 18 बीघे खेत मियादीन नाम के व्यक्ति को किराए पर दी थी. इससे उन्हें साल भर में महज 36 हजार रुपये मिलते थे. बेटे विजय कुमार सिंह 12 बीघे में खुद पारंपरिक खेती करते थे, जो खाने भर का ही रहता था. पांच वर्ष पूर्व बिंद्रा सिंह की मौत हो गई. 12 बीघा पूरा नहीं पड़ रहा था. ऐसे में शांति देवी ने बेटों के सहयोग से खेत की खुद देखरेख शुरू की. मियादीन से खेत वापस लेकर केले की खेती शुरू कराई. शांति देवी ने बताया कि दो पेड़ों के बीच काफी जगह खाली देखी. मटर का सीजन था, उसकी बुआई करा दी. केले के साथ मटर की बिकी और अच्छी आय हुई. दो लोगों को काम पर रखा. शांति देवी अब दस बीघे में केले संग मटर की खेती कर रही हैं.
सालाना तीन लाख रुपये की हो रही अतिरिक्त आय
इससे उनको सालाना तीन लाख रुपये की अतिरिक्त आय हो रही है. इससे घर की स्थिति सुधरी है, राज्य औद्यानिक मिशन के अफसरों को भी प्रयोग खूब भाया. उनका विशेष पुरस्कार के लिए चयन किया. बीती 23 दिसंबर को लखनऊ में हुए किसान सम्मान समारोह में उन्हें 75 हजार रुपये, अंगवस्त्र और प्रमाणपत्र मिला था. उत्साहित शांति देवी व उनके पुत्र शेष 20 बीघे खेत में भी प्रगतिशील खेती की योजना बना रहे हैं.