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बरेली के एक स्कूल में खुला अनोखा बैंक, बच्चे करते हैं संचालित - बरेली में खुला अनोखा स्कूल बैंक

उत्तर प्रदेश के बरेली में एक स्कूल के भीतर अनोखा बैंक खोला गया है. इस बैंक की खास बात ये है, कि इसका संचालन पूरी तरह से छात्र करते हैं. इस स्कूल बैंक में गरीब बच्चों के लिए किताबें, पेंसिल, रबड़, कटर, कॉपियां, क्राफ्ट का सामान समेत कई चीजों की व्यवस्था की गई है.

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स्कूल में खुला अनोखा बैंक.
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Published : Feb 29, 2020, 3:37 PM IST

बरेली: 'सब पढ़ें सब बढ़ें' संदेश का नारा देने वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों की सोच बदल रही है. यह बदलाव प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षको के जरिए हो रहा है. ऐसी ही सोच रखने वाले बरेली के प्राइमरी स्कूल टीचर सौरभ शुक्ला ने एक अनोखा स्कूल बैंक बनाया है जो प्रदेश भर में नजीर है.

स्कूल में खुला अनोखा बैंक.

स्कूल में खुला बैंक
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूल में तैनात अध्यापक ने स्कूली बच्चों की जरूरतों को देखते हुए इस स्कूल बैंक की शुरुआत की है. भोजीपुरा ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल पिपरिया के अध्यापक सौरभ शुक्ला ने इस बैंक की शुरुआत की है. इस अनोखे बैंक के माध्यम से न सिर्फ जरूरतमंद छात्रों को पढ़ाई के लिए जरूरी समान दिया जाता है बल्कि वो स्कूल बैंक के माध्यम से बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं.

बच्चे करते हैं इस बैंक का संचालन
स्कूल बैंक की खास बात यह है कि इस बैंक का संचालन पूरी तरह से ही छात्रों की ओर से किया जा रहा है. इसके कारण छात्र बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं. रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे सौरभ शुक्ला ने तीन साल पहले पिपरिया स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर ज्वाइन किया था. स्कूल में बच्चों को छोटी-छोटी चीजों से परेशान होता देख, उन्हें स्कूल बैंक का आइडिया आया और उन्होंने स्कूल की प्रिंसपल की मदद से स्कूल में बच्चों की जरूरत के लिए बैंक की स्थापना की.

बच्चों को मिलती है काफी मदद
इस स्कूल बैंक में गरीब बच्चों के लिए किताबें, पेंसिल, रबड़, कटर, कॉपिया, क्राफ्ट का सामान समेत कई चीजों की व्यवस्था की गई है. सौरभ शुक्ला के इस कदम से स्कूल में छात्रों की सहभागिता और उपस्थिति बढ़ी है. छात्रों में अनुशासन, जिम्मेदारी, स्वावलंबन सहित मानवीय मूल्यों का भी विकास हो रहा है.

हर बच्चा जमा करता है दो रुपया
इस स्कूल बैंक के कांसेप्ट को अन्य स्कूल भी अपना रहे हैं. भोजीपुरा ब्लॉक के पांच स्कूलों के अलावा गोंडा जिले के भी दो स्कूलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है. इसके लिए निर्णय लिया गया कि स्कूल बैंक को छात्रों के लिए, छात्रों द्वारा ही संचालित किया जाएगा, और स्कूल बैंक के लिए वस्तुओं का क्रय, छात्रों की ओर से अपने जेब खर्च से रुपए बचाकर दो रूपये प्रति छात्र की दर से एकत्रित हुए धन से किया जाएगा. वहीं शिक्षक भी स्कूल बैंक के लिए सहयोग देते हैं.

बच्चों को मिल रहा बैंक से लाभ
स्कूल बैंक के नियम भी बनाए गए हैं, जिसमें किसी भी कक्षा का छात्र स्कूल बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकता है. छात्रों को किसी वस्तु की जरूरत होने पर, वह वस्तु बैंक से एक दिन के ऋण के रूप में दी जाती है. छुट्टी हो जाने पर स्कूल बन्द होने से पहले छात्रों को उस वस्तु को बैंक में पुनः जमा कराना हो ता है. छात्र की ओर से वस्तु खो जाने पर 30 दिनों के अंदर अपनी सहूलियत के अनुसार कभी भी उसे बैंक में जमा करा सकते हैं. किसी भी छात्र को लगातार 2 दिन ऋण नहीं दिया जा सकेगा. एक छात्र के लिए ऋण लेने की सीमा एक सप्ताह में अधिकतम 2 बार और एक माह में अधिकतम 7 बार होगी. स्कूल बैंक के लिए 'कक्षा मैनेजर' का चयन कक्षावार प्रत्येक कक्षा के नियमित छात्रों में से किया जाता है.

स्कूल बैंक से छात्रों को दी गई वस्तुओं का विवरण रजिस्टर में मैनेजर की ओर से अंकित किया गया है. प्रत्येक माह के अंत में कक्षाध्यापक की ओर से रजिस्टर से स्टॉक का निरीक्षण और मिलान किया जाता है. स्कूल बैंक के लिए 'ग्रीन काउंटर' प्रधानाध्यापक कक्ष में स्थापित किया गया है.

लेकिन हैरानी की बात ये है, कि अभी स्कूल के बच्चे फट्टी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका का कहना है, कि वो चाहती हैं कि उनके स्कूल में सरकार फर्नीचर मुहया कराये, जिससे बच्चों को फट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण न करना पड़े.

इसे भी पढ़ें- निर्भया गैंगरेप केस : दोषी पवन कुमार ने दायर की क्यूरेटिव याचिका

बरेली: 'सब पढ़ें सब बढ़ें' संदेश का नारा देने वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों की सोच बदल रही है. यह बदलाव प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षको के जरिए हो रहा है. ऐसी ही सोच रखने वाले बरेली के प्राइमरी स्कूल टीचर सौरभ शुक्ला ने एक अनोखा स्कूल बैंक बनाया है जो प्रदेश भर में नजीर है.

स्कूल में खुला अनोखा बैंक.

स्कूल में खुला बैंक
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूल में तैनात अध्यापक ने स्कूली बच्चों की जरूरतों को देखते हुए इस स्कूल बैंक की शुरुआत की है. भोजीपुरा ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल पिपरिया के अध्यापक सौरभ शुक्ला ने इस बैंक की शुरुआत की है. इस अनोखे बैंक के माध्यम से न सिर्फ जरूरतमंद छात्रों को पढ़ाई के लिए जरूरी समान दिया जाता है बल्कि वो स्कूल बैंक के माध्यम से बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं.

बच्चे करते हैं इस बैंक का संचालन
स्कूल बैंक की खास बात यह है कि इस बैंक का संचालन पूरी तरह से ही छात्रों की ओर से किया जा रहा है. इसके कारण छात्र बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं. रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे सौरभ शुक्ला ने तीन साल पहले पिपरिया स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर ज्वाइन किया था. स्कूल में बच्चों को छोटी-छोटी चीजों से परेशान होता देख, उन्हें स्कूल बैंक का आइडिया आया और उन्होंने स्कूल की प्रिंसपल की मदद से स्कूल में बच्चों की जरूरत के लिए बैंक की स्थापना की.

बच्चों को मिलती है काफी मदद
इस स्कूल बैंक में गरीब बच्चों के लिए किताबें, पेंसिल, रबड़, कटर, कॉपिया, क्राफ्ट का सामान समेत कई चीजों की व्यवस्था की गई है. सौरभ शुक्ला के इस कदम से स्कूल में छात्रों की सहभागिता और उपस्थिति बढ़ी है. छात्रों में अनुशासन, जिम्मेदारी, स्वावलंबन सहित मानवीय मूल्यों का भी विकास हो रहा है.

हर बच्चा जमा करता है दो रुपया
इस स्कूल बैंक के कांसेप्ट को अन्य स्कूल भी अपना रहे हैं. भोजीपुरा ब्लॉक के पांच स्कूलों के अलावा गोंडा जिले के भी दो स्कूलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है. इसके लिए निर्णय लिया गया कि स्कूल बैंक को छात्रों के लिए, छात्रों द्वारा ही संचालित किया जाएगा, और स्कूल बैंक के लिए वस्तुओं का क्रय, छात्रों की ओर से अपने जेब खर्च से रुपए बचाकर दो रूपये प्रति छात्र की दर से एकत्रित हुए धन से किया जाएगा. वहीं शिक्षक भी स्कूल बैंक के लिए सहयोग देते हैं.

बच्चों को मिल रहा बैंक से लाभ
स्कूल बैंक के नियम भी बनाए गए हैं, जिसमें किसी भी कक्षा का छात्र स्कूल बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकता है. छात्रों को किसी वस्तु की जरूरत होने पर, वह वस्तु बैंक से एक दिन के ऋण के रूप में दी जाती है. छुट्टी हो जाने पर स्कूल बन्द होने से पहले छात्रों को उस वस्तु को बैंक में पुनः जमा कराना हो ता है. छात्र की ओर से वस्तु खो जाने पर 30 दिनों के अंदर अपनी सहूलियत के अनुसार कभी भी उसे बैंक में जमा करा सकते हैं. किसी भी छात्र को लगातार 2 दिन ऋण नहीं दिया जा सकेगा. एक छात्र के लिए ऋण लेने की सीमा एक सप्ताह में अधिकतम 2 बार और एक माह में अधिकतम 7 बार होगी. स्कूल बैंक के लिए 'कक्षा मैनेजर' का चयन कक्षावार प्रत्येक कक्षा के नियमित छात्रों में से किया जाता है.

स्कूल बैंक से छात्रों को दी गई वस्तुओं का विवरण रजिस्टर में मैनेजर की ओर से अंकित किया गया है. प्रत्येक माह के अंत में कक्षाध्यापक की ओर से रजिस्टर से स्टॉक का निरीक्षण और मिलान किया जाता है. स्कूल बैंक के लिए 'ग्रीन काउंटर' प्रधानाध्यापक कक्ष में स्थापित किया गया है.

लेकिन हैरानी की बात ये है, कि अभी स्कूल के बच्चे फट्टी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका का कहना है, कि वो चाहती हैं कि उनके स्कूल में सरकार फर्नीचर मुहया कराये, जिससे बच्चों को फट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण न करना पड़े.

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