बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की चमत्कारी गर्ल सीता पर बनी लघु फिल्म 'बरेली की बेटी' बनकर तैयार हो गई है. अभिनव शुक्ला के निर्देशन पर बनी यह फिल्म राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रही है. फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता है. 'बरेली की बेटी' की कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की रहने वाली एक चमत्कारी बच्ची के जीवन से जुड़ी है, जिसे जन्म के बाद कलियुगी मां ने 3 फिट गहरे गड्ढे में फेंक दिया था.
यह मामला अक्टूबर माह साल 2019 का है. बरेली स्थित श्मशान घाट पर एक दंपति अपनी नवजात बच्ची की मौत के बाद उसे दफनाने पहुंचा था, तभी पास के एक गड्ढे से उन्हें रोने की आवाज सुनाई दी. गड्ढे की खुदाई के दौरान मटके में एक बच्ची मिली. मटके में मिली नवजात को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे देखने पहुंचे बिथरी चैनपुर विधानसभा से भाजपा विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने बच्ची का इलाज करवाया और बिना देर किए नवजात को गोद लेने की घोषणा कर दी. उन्होंने बेटी का नाम सीता रखा, जिसका एक माह से अधिक तक इलाज चला.
लोगों को जागरूक करना है मकसद
इस घटना ने समाज को झकझोंर कर रख दिया था. इसे कन्या भ्रूण हत्या और बेटियों को लेकर सामाजिक मानसिकता से जोड़कर देखा गया और देश-दुनिया में इसकी आलोचना हुई थी. यह शार्ट फिल्म बरेली की इसी घटना से प्रेरित है. 'बरेली की बेटी' फिल्म सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने की कोशिश करेंगी. यादवेन्द्र ग्रेवाल, रूबीना दिलायक और प्रणय दीक्षित ने मुख्य किरदार में भूमिका निभाई है. इस लघु फिल्म को पूरा करने में विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल और डॉ. सुमित मेहरा ने सहयोग दिया.
यह पहली बार है जब मैंने एक शॉर्ट फिल्म बनाई है. फिल्म की कहानी बरेली जिले की एक घटना पर आधारित है, जो अक्टूबर 2019 की है. एक दंपति अपनी मृत बच्ची को दफनाने श्मशान घाट गया था. उसी दौरान उन्हें 3 फिट गहरे गड्ढे में एक नवजात बच्ची मिली. इस घटना को यादगार बनाने के लिए हमने सोचा कि एक शॉर्ट फिल्म बनाई जाए, जिसके जरिए समाज को जागरूक किया जा सके. साथ ही बेटियों के प्रति लोगों की जो मानसिकता है, उसे बदला जा सके.
अभिनव शुक्ला, अभिनेता