ETV Bharat / state

हरा सोना किसानों का सहारा, सरकार से मदद मिले तो और होगा मुनाफा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में शुमार बरेली जिले को कृषि प्रधान जिलों में भी गिना जाता है. यहां का किसान अगर किसी फसल पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो वह है हरा सोना यानी गन्ने की खेती. आइए जानते हैं इस फसल के बारे में किसानों की राय...

गन्ना किसान.
गन्ना किसान.
author img

By

Published : Mar 4, 2021, 6:09 PM IST

बरेली: गन्ना किसानों के सामने यूं तो कई चुनौतियां होती हैं, लेकिन उसके बावजूद गन्ने की फसल ही किसानों के लिए मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यहां किसानों का रुझान भी इस मीठी खेती की तरफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, तमाम दिक्कतें भी किसानों को हो रही हैं. देखिये ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

गन्ने की खेती को लेकर किसानों से बातचीत.
अन्नदाता संवार रहा अपना आनेवाला कल

जी हां दरअसल बरेली में पिछले कई वर्षों से लगातार देखा जा रहा है कि गन्ने की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है. जिले में एक समय ऐसा भी था, जब किसानों ने बरेली में इस फसल से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन वक्त बदला और हालात बदले. शुगर मिलों की संख्या बढ़ी. साथ ही मिलों की क्षमता भी बढ़ी तो जिले के किसानों का रुझान भी बढ़ने लगा. किसान गन्ने की खेती की तरफ लगातार बढ़ रहे हैं और वे इसी फसल को अपने लिए फायदेमंद मानते हैं.

जिले में पिछले पांच वर्षों से बढ़ रहा क्षेत्रफल

जिले की अगर बात की जाए तो यहां पिछले कई वर्षों से ज्यादा क्षेत्रफल में गन्ना उगाया जा रहा है. अगर इस फसल से होने वाले मुनाफे की बात की जाए तो यह कोई लाखों-करोड़ों में नहीं, बल्कि अरबों में है. जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की मानें तो पिछले पेराई सत्र में जिले के किसानों ने कुल 13 सौ 25 करोड़ रुपये का गन्ना शुगर मिलों पर डाला था. कुल 4 करोड़ 13 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद शुगर मिलों द्वारा की गई, जबकि इस बार तो यहां न सिर्फ गन्ना किसान बढ़े हैं, बल्कि क्षेत्रफल भी इस फसल का बढ़ गया है.


एक लाख 85 हजार किसान जिले में उगा रहे गन्ना

जिले में अन्नदाताओं का रुझान लगातार गन्ने की फसल की पैदावार की तरफ बढ़ा है. अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 2017-2018 में जिले में करीब एक लाख 51 हजार किसान गन्ने की खेती करते थे. वहीं, पिछले पेराई सत्र 2019-2020 में जिले में करीब एक लाख 74 हजार गन्ना किसान थे, जबकि इस बार अब तक करीब एक लाख 85 हजार किसानों ने गन्ना उगाया है.

किसान गन्ने के साथ कर रहे सहफसली खेती

गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल के साथ किसान खेत में कई अन्य सहफसल भी उगा रहे हैं. यही वजह है कि वर्तमान में गन्ने की फसल के साथ-साथ अन्य फसल की खेती से किसान की आय बढ़ रही है. गन्ना अधिकारी ने बताया कि जिले भर में करीब दस हजार हेक्टेयर भूमि पर जागरूक किसान गन्ने के साथ-साथ सहफसल भी उगा रहे हैं. इनमें फूलगोभी, पत्तागोभी, मिर्च, टमाटर, लहसुन, सरसों, आलू समेत अन्य फसल उगाकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.


गन्ने के समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं होने से नाराजगी

किसानों से ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर इस फसल पर ही इतना भरोसा क्यों जताते हैं तो उन्होंने इसकी वजह भी बताई. जिले के सिंगराबोरिपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले किसान अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि क्योंकि और फसलों के मुकाबले ये फसल भरोसेमंद है. उन्होंने इसकी वजह भी गिनाई. वह कहते हैं कि नीलगाय, जंगली शूकर और अब तो बेसहारा गोवंश भी फसलों को तबाह कर रहे हैं, लेकिन वहीं कहीं न कहीं यह गन्ने की फसल ऐसी है, जिसमें नुकसान सबसे कम है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक गन्ना उगाया है. हालांकि, उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया. कहा कि महंगाई बढ़ रही है, लेकिन पिछले कई वर्षों से गन्ने की कीमत में सरकार ने कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की.

गन्ने की फसल ही किसानों के चूल्हे जलाने में मददगार

भोजीपुरा ब्लॉक के युवा किसान भरत सिंह पटेल कहते हैं कि उनके पूरे गांव में सबसे अधिक गन्ना उगाया जाता है. उनका कहना है कि और कोई फसल इतनी भरोसेमंद नहीं है, जिस पर किसान दांव लगा सके. हालांकि, किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें भुगतान में समस्या आ रही है. कई शुगर मिलों द्वारा अभी भी पिछले साल का शत-प्रतिशत भुगतान नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी वह मानते हैं कि यही एक ऐसी फसल है, जो किसान का चूल्हा जलाने में मददगार है.

दलालों का गन्ने के तोल केंद्रों पर बोलबाला

बहेड़ी तहसील के बहादुरगंज के किसान सरताज खान कहते हैं कि दलालों का गन्ने के तोल केंद्रों पर बोलबाला रहता है. एक सामान्य किसान को काफी इंतजार अपनी फसल तुलवाने के लिए करना पड़ता है. वह कहते हैं कि महंगाई बढ़ रही है. सरकार किसानों की तरफ गम्भीर हो. उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल का कई साल से एक भी पैसा नहीं बढ़ाया गया है.

पढ़ें: जुलाई से लागू हो सकती है नई शिक्षा नीति, परीक्षा होगी वैकल्पिक !

जिला गन्ना अधिकारी ने कहा, किसानों का इस पर फोकस ज्यादा

जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह का कहना है कि जिले में पिछले कुछ वर्षों में लगातार यहां क्षेत्रफल यानी रकवा बढ़ा है. कहा जा सकता है कि किसानों ने इसी फसल पर ज्यादा फोकस जिले में किया है. जिला गन्ना अधिकारी कहते हैं कि किसानों को गोष्ठियों के माध्यम से जागरूक किया जाता है.

बरेली: गन्ना किसानों के सामने यूं तो कई चुनौतियां होती हैं, लेकिन उसके बावजूद गन्ने की फसल ही किसानों के लिए मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यहां किसानों का रुझान भी इस मीठी खेती की तरफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, तमाम दिक्कतें भी किसानों को हो रही हैं. देखिये ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

गन्ने की खेती को लेकर किसानों से बातचीत.
अन्नदाता संवार रहा अपना आनेवाला कल

जी हां दरअसल बरेली में पिछले कई वर्षों से लगातार देखा जा रहा है कि गन्ने की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है. जिले में एक समय ऐसा भी था, जब किसानों ने बरेली में इस फसल से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन वक्त बदला और हालात बदले. शुगर मिलों की संख्या बढ़ी. साथ ही मिलों की क्षमता भी बढ़ी तो जिले के किसानों का रुझान भी बढ़ने लगा. किसान गन्ने की खेती की तरफ लगातार बढ़ रहे हैं और वे इसी फसल को अपने लिए फायदेमंद मानते हैं.

जिले में पिछले पांच वर्षों से बढ़ रहा क्षेत्रफल

जिले की अगर बात की जाए तो यहां पिछले कई वर्षों से ज्यादा क्षेत्रफल में गन्ना उगाया जा रहा है. अगर इस फसल से होने वाले मुनाफे की बात की जाए तो यह कोई लाखों-करोड़ों में नहीं, बल्कि अरबों में है. जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की मानें तो पिछले पेराई सत्र में जिले के किसानों ने कुल 13 सौ 25 करोड़ रुपये का गन्ना शुगर मिलों पर डाला था. कुल 4 करोड़ 13 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद शुगर मिलों द्वारा की गई, जबकि इस बार तो यहां न सिर्फ गन्ना किसान बढ़े हैं, बल्कि क्षेत्रफल भी इस फसल का बढ़ गया है.


एक लाख 85 हजार किसान जिले में उगा रहे गन्ना

जिले में अन्नदाताओं का रुझान लगातार गन्ने की फसल की पैदावार की तरफ बढ़ा है. अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 2017-2018 में जिले में करीब एक लाख 51 हजार किसान गन्ने की खेती करते थे. वहीं, पिछले पेराई सत्र 2019-2020 में जिले में करीब एक लाख 74 हजार गन्ना किसान थे, जबकि इस बार अब तक करीब एक लाख 85 हजार किसानों ने गन्ना उगाया है.

किसान गन्ने के साथ कर रहे सहफसली खेती

गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल के साथ किसान खेत में कई अन्य सहफसल भी उगा रहे हैं. यही वजह है कि वर्तमान में गन्ने की फसल के साथ-साथ अन्य फसल की खेती से किसान की आय बढ़ रही है. गन्ना अधिकारी ने बताया कि जिले भर में करीब दस हजार हेक्टेयर भूमि पर जागरूक किसान गन्ने के साथ-साथ सहफसल भी उगा रहे हैं. इनमें फूलगोभी, पत्तागोभी, मिर्च, टमाटर, लहसुन, सरसों, आलू समेत अन्य फसल उगाकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.


गन्ने के समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं होने से नाराजगी

किसानों से ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर इस फसल पर ही इतना भरोसा क्यों जताते हैं तो उन्होंने इसकी वजह भी बताई. जिले के सिंगराबोरिपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले किसान अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि क्योंकि और फसलों के मुकाबले ये फसल भरोसेमंद है. उन्होंने इसकी वजह भी गिनाई. वह कहते हैं कि नीलगाय, जंगली शूकर और अब तो बेसहारा गोवंश भी फसलों को तबाह कर रहे हैं, लेकिन वहीं कहीं न कहीं यह गन्ने की फसल ऐसी है, जिसमें नुकसान सबसे कम है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक गन्ना उगाया है. हालांकि, उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया. कहा कि महंगाई बढ़ रही है, लेकिन पिछले कई वर्षों से गन्ने की कीमत में सरकार ने कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की.

गन्ने की फसल ही किसानों के चूल्हे जलाने में मददगार

भोजीपुरा ब्लॉक के युवा किसान भरत सिंह पटेल कहते हैं कि उनके पूरे गांव में सबसे अधिक गन्ना उगाया जाता है. उनका कहना है कि और कोई फसल इतनी भरोसेमंद नहीं है, जिस पर किसान दांव लगा सके. हालांकि, किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें भुगतान में समस्या आ रही है. कई शुगर मिलों द्वारा अभी भी पिछले साल का शत-प्रतिशत भुगतान नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी वह मानते हैं कि यही एक ऐसी फसल है, जो किसान का चूल्हा जलाने में मददगार है.

दलालों का गन्ने के तोल केंद्रों पर बोलबाला

बहेड़ी तहसील के बहादुरगंज के किसान सरताज खान कहते हैं कि दलालों का गन्ने के तोल केंद्रों पर बोलबाला रहता है. एक सामान्य किसान को काफी इंतजार अपनी फसल तुलवाने के लिए करना पड़ता है. वह कहते हैं कि महंगाई बढ़ रही है. सरकार किसानों की तरफ गम्भीर हो. उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल का कई साल से एक भी पैसा नहीं बढ़ाया गया है.

पढ़ें: जुलाई से लागू हो सकती है नई शिक्षा नीति, परीक्षा होगी वैकल्पिक !

जिला गन्ना अधिकारी ने कहा, किसानों का इस पर फोकस ज्यादा

जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह का कहना है कि जिले में पिछले कुछ वर्षों में लगातार यहां क्षेत्रफल यानी रकवा बढ़ा है. कहा जा सकता है कि किसानों ने इसी फसल पर ज्यादा फोकस जिले में किया है. जिला गन्ना अधिकारी कहते हैं कि किसानों को गोष्ठियों के माध्यम से जागरूक किया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.