बरेली: मार्च के बाद जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हालात बेकाबू होने शुरू हुए तो फिर एक बार लॉकडाउन का निर्णय लिया गया. लेकिन इस बार हालात पहले से जुदा थे. छोटे कारोबारियों के सामने तो जैसे पहले से ही समस्याएं थीं. वहीं इस बार तो उन्हें अपना परिवार के पेट को पालने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
कोरोना की दूसरी लहर ने गड़बड़ाई छोटे व्यापारियों की अर्थव्यवस्था, करो या मरो जैसे हालात!
वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार ने लॉकडाउन लगाया तो ऐसे लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया है जो हर दिन कमाते और खाते हैं. यानी छोटे कारोबारियों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है. अपने परिवार को पालने की चिंता को लेकर इस संक्रमण काल में भी वह लोग दो जून की रोटी की जुगत करते देखे जा रहे हैं.
संक्रमण काल बना संकटकाल
बरेली: मार्च के बाद जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हालात बेकाबू होने शुरू हुए तो फिर एक बार लॉकडाउन का निर्णय लिया गया. लेकिन इस बार हालात पहले से जुदा थे. छोटे कारोबारियों के सामने तो जैसे पहले से ही समस्याएं थीं. वहीं इस बार तो उन्हें अपना परिवार के पेट को पालने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
ईटीवी भारत लगातार कोरोना की दूसरी लहर में किस पर कितना असर पड़ा और क्या कुछ लोगों के हालात हैं, इस विषय पर जनता के बीच हम पहुंच रहे हैं और जनता की आवाज इस वैश्विक महामारी के समय में बन रहे हैं. हमने अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों की स्थिति को समझने की कोशिश की.
काम धंधे पर पड़ा असर
छोटे किराना व्यापारी हों या फिर साग-भाजी की बिक्री करके अपने परिवार का पेट पालने वाले दुकानदार, सभी बेहद परेशान नजर आ रहे हैं. बरेली जंक्शन के समीप चाय की बिक्री कर अपने 6 लोगों के परिवार का पेट भरने की जुगत में लगे बुजुर्ग जमील ने बताया कि सरकार की तरफ से मदद की घोषणाएं हुईं. रेहड़ी पटरी वालों के लिए दस हजार रुपए दिए जाने की बात हुई, लेकिन अभी तक उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है.
भूख से मरने का सताता है डर
बकौल जमील उन्होंने बताया कि कमाएंगे नहीं तो भूख से मरेंगे, लेकिन ग्राहक अब इक्का-दुक्का ही उनकी दुकान पर आ रहे हैं. वो बताते हैं कि वह हार्ट पेशेंट हैं, लेकिन परिवार की फिक्र घर में बैठने नहींं देती.
कोरोना से बचाव के साथ रोटी के इन्तजाम की है ज्यादा फिक्र
ठेलेवालों, फेरीवालों, फल विक्रेताओं, वाहन मैकेनिक और चाय विक्रताओं की स्थिति का आंकलन किया जाए तो सभी परेशान हैं. लोग बताते हैं कि पिछले साल जो जमा पूंजी थी उससे किसी तरह काम चलाया, लेकिन इस बार तो हाथ में कुछ भी नहीं है, लोग कहते हैं पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ही गड़बड़ा चुकी है.
माल खराब होने का मंडराता है खतरा
हमने कई सब्जी विक्रेताओं से उनके हालात समझे, उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ग्राहक कई बार नहीं मिल पाते, जिससे कई बार उनका सारा माल बिक नहीं पाता. जिसके कारण उन्हें दूसरे दिन घटे दर पर बिक्री करनी पड़ती है, क्योंकि माल खराब होने का डर बना रहता है. फलों को बेचकर अपना गुजारा करने वालों का भी यही हाल है. एक फल विक्रेता ने बताया कि कोरोना घट जाए और हालात सामान्य हो जाएं सभी इसी का इंतजार कर रहे हैं.
ईटीवी भारत लगातार कोरोना की दूसरी लहर में किस पर कितना असर पड़ा और क्या कुछ लोगों के हालात हैं, इस विषय पर जनता के बीच हम पहुंच रहे हैं और जनता की आवाज इस वैश्विक महामारी के समय में बन रहे हैं. हमने अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों की स्थिति को समझने की कोशिश की.
काम धंधे पर पड़ा असर
छोटे किराना व्यापारी हों या फिर साग-भाजी की बिक्री करके अपने परिवार का पेट पालने वाले दुकानदार, सभी बेहद परेशान नजर आ रहे हैं. बरेली जंक्शन के समीप चाय की बिक्री कर अपने 6 लोगों के परिवार का पेट भरने की जुगत में लगे बुजुर्ग जमील ने बताया कि सरकार की तरफ से मदद की घोषणाएं हुईं. रेहड़ी पटरी वालों के लिए दस हजार रुपए दिए जाने की बात हुई, लेकिन अभी तक उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है.
भूख से मरने का सताता है डर
बकौल जमील उन्होंने बताया कि कमाएंगे नहीं तो भूख से मरेंगे, लेकिन ग्राहक अब इक्का-दुक्का ही उनकी दुकान पर आ रहे हैं. वो बताते हैं कि वह हार्ट पेशेंट हैं, लेकिन परिवार की फिक्र घर में बैठने नहींं देती.
कोरोना से बचाव के साथ रोटी के इन्तजाम की है ज्यादा फिक्र
ठेलेवालों, फेरीवालों, फल विक्रेताओं, वाहन मैकेनिक और चाय विक्रताओं की स्थिति का आंकलन किया जाए तो सभी परेशान हैं. लोग बताते हैं कि पिछले साल जो जमा पूंजी थी उससे किसी तरह काम चलाया, लेकिन इस बार तो हाथ में कुछ भी नहीं है, लोग कहते हैं पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ही गड़बड़ा चुकी है.
माल खराब होने का मंडराता है खतरा
हमने कई सब्जी विक्रेताओं से उनके हालात समझे, उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ग्राहक कई बार नहीं मिल पाते, जिससे कई बार उनका सारा माल बिक नहीं पाता. जिसके कारण उन्हें दूसरे दिन घटे दर पर बिक्री करनी पड़ती है, क्योंकि माल खराब होने का डर बना रहता है. फलों को बेचकर अपना गुजारा करने वालों का भी यही हाल है. एक फल विक्रेता ने बताया कि कोरोना घट जाए और हालात सामान्य हो जाएं सभी इसी का इंतजार कर रहे हैं.