बरेलीः कहते हैं कि कोशिश जब पूरी शिद्दत से की जाती है तो वह सफल जरूर होती है. ऐसी ही कोशिश की है बरेली के ब्लॉक भोजीपुरा के ग्राम घंघोरा घंघोरी गांव की महिलाओं ने. यहां की ग्रामीण महिलाओं के एक समूह ने मिलकर केले के रेशे से सजावटी सामान और फर्नीचर बनाने में कामयाबी हासिल की है. उन्होंने केले के रेशों से मेज कवर, मैट, टोकरी और पर्स समेत कई कलात्मक सामान तैयार किए हैं. इन महिलाओं ने बांस से भी कई कलात्मक फर्नीचर तैयार किए हैं. उन्हें अब इंतजार है इनके खरीदारों का. महिलाओं ने उम्मीद जताई है कि उनकी यह कोशिश एक न एक दिन जरूर रंग लाएगी.
इस महिला समूह की संचालिका कमलेश बतातीं हैं कि पहले उन्होंने सोचा कि महिलाओं के लिए कुछ काम किया जाए. उन्होंने इसके लिए लोगों से पूछा, इसके बाद 30 बीघे में केले की खेती करवाई. उस खेती से कोई फायदा नहीं हुआ. किसी ने सरकारी योजना का फार्म डालने के लिए कहा तो वह भी करके देख लिया लेकिन उससे भी महिलाओं को कोई भी फायदा नहीं हुआ. फिर ब्लॉक मैनेजर कनक शुक्ला से बात की तो उन्होंने सुझाव दिया कि केले से जुड़ा कोई काम करो. इस पर उन्होंने गांव की महिलाओं को साथ लेकर केले से धागा बनाना शुरू कर दिया. फिर इस धागे से कलात्मक वस्तुएं तैयार करने लगीं.
धीरे-धीरे करके 30 महिलाएं जोड़ लीं. आज ये महिलाएं मिलकर हाथों से पहले केले का रेशा तैयार करतीं हैं फिर उसे सुखाकर रस्सी बनाती है. इससे डलिया, डोर मैट, पर्स, मेज कवर, पर्स, पेन होल्डर समेत कई कलात्मक सामान तैयार किए गए. महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए पास के गांव के एक कारीगर नजाकत की मदद ली. नजाकत ने इन महिलाओं को केले के रेशों के अलावा बांस से भी कलात्मक वस्तुएं व फर्नीचर बनाना सिखाया.
कमलेश बतातीं हैं कि सभी महिलाओं ने आपस में चंदाकर काम शुरू किया है. सजावटी सामान व फर्नीचर तैयार किया जा रहा हैं लेकिन अभी तक खरीदार नहीं मिले हैं. खरीदार मिलते ही काम को और बढ़ा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रयास है कि केले के रेशे से धागा निकालने वाली मशीन ले ली जाए. अभी हाथों से धागा निकालने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि महिलाएं सुबह दस से शाम पांच बजे तक काम में जुटीं रहतीं हैं. उन्होंने बताया कि 50 रुपए से लेकर 12 हजार रुपए तक के उत्पाद तैयार कर लिए गए हैं.
कारीगर नजाकत ने बताया कि उन्होंने महिलाओं को कुर्सी समेत कई तरह का फर्नीचर बनाना सिखाया है. अभी काम हाथ से हो रहा है. यदि मशीन आ जाए तो बढ़िया काम हो सकेगा और उत्पादन भी बढ़ सकेगा. प्रीति गंगवार का कहना है कि कमलेश दीदी ने इस काम से जोड़ा है. केले के रेशे से डलिया समेत कई कलात्मक वस्तुएं तैयार की है. खरीदारों का इंतजार है.
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