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बरेली सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के इस काम की खूब हो रही सराहना

बरेली सेंट्रल जेल में बंद कैदी फर्नीचर बनाने का काम करते हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से उनके अंदर से अपराध की भावना खत्म करने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके बदले में उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है.

सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाते कैदी.
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Published : Jun 24, 2019, 3:10 PM IST

बरेली: सेंट्रल जेल परिसर में स्थित काष्ठ कला केंद्र में लोग लकड़ी का फर्नीचर बनाते हैं. यह लोग मुजरिम हैं, जो अपने किसी न किसी गुनाह की सजा काट रहे हैं. जेल में ऐसे पचास कैदी हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से सेंट्रल जेल में कैदियों को स्वावलंबी बनाने और उनके अंदर अपराध की भावना खत्म करने के उद्देश्य से रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाते कैदी.


इसलिए जेल परिसर में ही कैदी फर्नीचर, कंबल और दरी बनाने जैसे काम करते हैं. इसके बदले उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है. वहीं सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाना सीख रहे कैदियों में जबरदस्त उत्साह है. सभी कैदी मन लगाकर फर्नीचर का काम सीख रहे हैं. कैदियों का कहना है कि इससे हमारे परिवार का गुजर बसर हो जाता है. क्योंकि जो फर्नीचर हम बनाते हैं, उसका पैसा हमें मिल जाता है और हम अपने घर भी भेज देते हैं.


जेल और विभिन्न न्यायालयों में प्रयोग आने वाले फर्नीचर भी इन्हीं कैदियों द्वारा बनाया हुआ है. कैदियों द्वारा बनाया गया फर्नीचर इस बार कुंभ में 5 लाख से ज्यादा का बिका. वहीं इस बार कैदियों को पूरे डेढ़ करोड़ के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर मिला है, जो जनपद न्यायालय मुजफ्फरनगर, एटा, बुलंदशहर इत्यादि में इस्तेमाल होगा.

बरेली: सेंट्रल जेल परिसर में स्थित काष्ठ कला केंद्र में लोग लकड़ी का फर्नीचर बनाते हैं. यह लोग मुजरिम हैं, जो अपने किसी न किसी गुनाह की सजा काट रहे हैं. जेल में ऐसे पचास कैदी हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से सेंट्रल जेल में कैदियों को स्वावलंबी बनाने और उनके अंदर अपराध की भावना खत्म करने के उद्देश्य से रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाते कैदी.


इसलिए जेल परिसर में ही कैदी फर्नीचर, कंबल और दरी बनाने जैसे काम करते हैं. इसके बदले उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है. वहीं सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाना सीख रहे कैदियों में जबरदस्त उत्साह है. सभी कैदी मन लगाकर फर्नीचर का काम सीख रहे हैं. कैदियों का कहना है कि इससे हमारे परिवार का गुजर बसर हो जाता है. क्योंकि जो फर्नीचर हम बनाते हैं, उसका पैसा हमें मिल जाता है और हम अपने घर भी भेज देते हैं.


जेल और विभिन्न न्यायालयों में प्रयोग आने वाले फर्नीचर भी इन्हीं कैदियों द्वारा बनाया हुआ है. कैदियों द्वारा बनाया गया फर्नीचर इस बार कुंभ में 5 लाख से ज्यादा का बिका. वहीं इस बार कैदियों को पूरे डेढ़ करोड़ के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर मिला है, जो जनपद न्यायालय मुजफ्फरनगर, एटा, बुलंदशहर इत्यादि में इस्तेमाल होगा.

Intro:नोट:-इस न्यूज़ में एक वॉक थ्रू भी है
anchor :- जिन हाथो में कल तक चाकू और तमंचे हुआ करते थे उन हाथो में आज हथोडी और आरी दिखाई दे रही है जो हाथ कल तक खून बहाने से भी गुरेज नहीं करते थे वो हाथ आज न्यायधिशो के बैठने के लिय कुर्सियां बना रहे हैं / लकड़ी के टुकडो को कुर्सी स्टूल और मेजो की शक्ल देते ये वो लोग हैं जिनके नाम से इनके इलाके के लोग कांप जाते थे मगर जेल प्रशासन की पहल पर आज ये कैदी खुद के पैरो पर खड़े होने लायक हो गय हैं और अब इनका बनाया फर्नीचर विभिन्न जनपदों के न्यायालयों की शोभा बढाएगा 


Body:vo:1-बरेली के सेंट्रल जेल परिसर में स्थित काष्ठ कला केंद्र में लकड़ी का फर्नीचर बनाते ये लोग असल में सजायाफ्ता मुजरिम हैं जो अपने किसी ना किसी गुनाह की सजा काट रहे हैं/जेल में ऐसे पचास कैदी हैं जिन्हें  मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयाग से सेंट्रल जेल में कैदियो को स्वाबलंबी बनाने और उनके अन्दर अपराध की भावना ख़त्म करने के उद्देश्य से रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जा रहा  है इसलिय जेल परिसर में ही कैदी फर्नीचर बनाने , कम्बल  बनाने , और दरी बनाने जैसे काम करते हैं जिसके बदले उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है 
बाइट:- महेंद्र कैदी
बाइट:- गफ्फार कैदी
वही सेंट्रल जेल में फर्नीचर बनाने का हुनर सीख रहे कैदियों में जबरदस्त उत्साह है सभी कैदी मन लगाकर फर्नीचर का काम सीख रहे हैं कैदियों का भी यही कहना है कि इससे हमारा परिवार का गुजर बसर हो जाता है क्योंकि जो फर्नीचर हम बनाते हैं। उसका पैसा हमें मिल जाता है और हम अपने घर भी भेज देते हैं यहां से छूटने के बाद सामान्य जिंदगी में हम फर्नीचर बनाने का काम करेंगे।कियुकि जो गुण हमने यहां से सीखा है उसका लाभ हम जेल के बाहर भी लेंगे।

बाईट :- अशोक सागर [ सेंट्रल जेल अधीक्षक ]

vo:2-यु तो कैदी कई बर्षो से जेल में फर्नीचर बना रहे है जेल ओर बिभिन्न न्यायालयो मैं यूज़ मैं आने बाला ये शानदार फर्नीचर भी इन्ही कैदियो का बनाया हुआ है।बात करे कैदियों के द्वारा बनाया गया फर्नीचर इस बार कुम्भ में 5:30 लाख से ज्यादा का बिका। मगर इस बार उपलब्धि ये है की इस बार कैदियो को पूरे डेढ़ करोड़ के फर्नीचर सप्लाई का आर्डर मिला है जो जनपद न्यायलय मुजफ्फर नगर , एटा , बुलंद शहर , मुरादाबाद , जे पी नगर , और बदायूं  में इस्तेमाल होगा / अब इन्ही सजायाफ्ता कैदियो के दिन रात की मेहनत से बनी कुर्सिओ पर बैठकर न्याय धीश अपराधियो के पाप और पुण्य का फैसला करेंगे 






Conclusion:fvo:3-कैदियो में इस तरह से मेहनत की भावना तो विकसित होगी ही साथ ही साथ जब मेहनत के चार पैसे हाथ में आयेंगे तो निश्चित ही जेल से बहार आने के बाद ये जरायम की दुनिया से तोबा कर लेंगे 
रंजीत शर्मा
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