बरेली: जिले की सेंट्रल जेल में गोशाला संचालित हैं. इस गोशाला में जो सेवादार हैं वह सभी जेल के बंदी हैं. केंद्रीय कारागार में स्थित इस गोशाला में गोवंशों की सेवा करने वालों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं. यहां जो दुग्ध का उत्पादन होता है उसे प्रतिदिन जेल के बंदियों के उपयोग में लाया जाता है.
बरेली सेंट्रल जेल में 2000 से ज्यादा बंदी हैं. उन बंदियों में से ऐसे भी कैदी हैं, जो जेल में गोसेवक बने हुए हैं. गौशाला में बंदियों का सुबह से लेकर शाम तक का समय गोसेवा में व्यतीत होता है. इस गोशाला के संचालन का जिम्मा जेल के अफसरों के कंधे पर है. जेल के अधिकारियों ने बताया कि सेंट्रल जेल बरेली में इस वक्त 128 गोवंश हैं. अधिकारियों का कहना है कि बंदी स्वेच्छा से अपना नाम गोशाला में सेवा करने के लिए लिखाते हैं.
बढ़ चढ कर गोसेवा करते हैं बंदी
जेलर हरीश कुमार बताते हैं कि यहां के बंदी 128 गोवंशों की सेवा और साफ-सफाई से लेकर उन्हें नहलाने, गोबर उठाना और जेल में ही फार्म से चारा लाने से लेकर मशीन पर काटने और फिर ठीक समय पर गोवंशों को खिलाने का जिम्मा बेहद ही अच्छे ढंग से सम्भालते हैं. सेंट्रल जेल में करीब 30 से 35 बंदी हर दिन गौसेवा में रहते हैं. जेलर कहते हैं कि दूध दुहने से लेकर तमाम कार्यों को बेहतर ढंग से सभी बंदी यहां पूरे मनोवेग से करते हैं. जेलर ने बताया कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिन्दू ही गायों की सेवा करते हैं बल्कि मुस्लिम बंदी भी लगन और मेहनत से गोसेवा करते हैं.
जरूरतमंद बंदियों को वितरित किया जाता दूध
अधिकारियों की मानें तो जो दुधारू गाय हैं उनसे वर्तमान में करीब डेढ़ कुन्तल दूध का उत्पादन एक समय में होता है. उन्होंने बताया कि जो बंदी सेवा में रहते हैं उन्हें दुग्ध तो सेवन के लिए मिलता ही है साथ ही अतिरिक्त पैसे भी मानदेय कर तौर पर जेल प्रशासन की तरफ से दिए जाते हैं.