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इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, जिम्मेदार अपना वादा गए भूल

बरेली जनपद के विकासखंड भोजीपुरा का सालेपुर गांव ऐसा गांव है, जहां आज भी विद्यालय नहीं है. इस गांव के वाशिदों को विकास की दौड़ में अपने बच्चों के पिछड़ने का मलाल अंदर तक झकझोर रहा है. जब ईटीवी भारत की टीम ने गांव में पहुंचकर वहां की समस्या के बारे में बात की तो ग्रामीणों की व्यथा उनके चेहरे पर छलक पड़ी. आप भी सुनिए सालेपुर गांव के लोगों से उनके गांव के विकास की गाथा.

इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, जिम्मेदार अपना वादा गए भूल
इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, जिम्मेदार अपना वादा गए भूल
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Published : Sep 11, 2021, 1:22 PM IST

बरेली: बरेली जनपद भोजीपुरा विधानसभा का सालेपुर गांव ऐसा गांव है जहां आज भी विद्यालय नहीं है. गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने की सरकार कवायद कर रही है परंतु सुशिक्षित समाज एवं विकास की आधारशिला कही जाने वाली शिक्षा की व्यवस्था कोसो दूर है. यहां के बच्चों के लिए अबतक विद्यालय की व्यवस्था नहीं हो पाई है.


गांव में एक मात्र रास्ता है और वह जंगल से होकर गुजरता है. जहां कोई सवारी नहीं चलती, जिससे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को हर समय खतरा बना रहता है. सुनसान रास्ते और दोनों तरफ ईख होने की वजह से लोग अपने बच्चों को गांव से बहार नहीं भेजते. इस रोड पर कोई वाहन नहीं गुजरता है. गांव के कुछ लोग अपने वाहन से बच्चों को पास के गांव में अपनी गाड़ी से बच्चों को स्कूल भेजते हैं, तो वहीं अधिकतर लोग बच्चों को सुनसान रास्ता होने की वजह से गांव से बहार अकेले नहीं भेजते.

इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, जिम्मेदार अपना वादा गए भूल



क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण आशिक अली ने बताया कि यहां कभी स्कूल नहीं बना, हमारे बच्चे बगल के दो किलोमीटर दूर गांव में पढ़ने जाते हैं. जनप्रतिनिधियों से शिकायतों के बाबजूद भी स्कूल नहीं बन पाया, उन्होंने कहा जनप्रतिनिधि आते हैं तो सिर्फ वोट मांगने. गांव के ही शौकात अली कहते हैं कि इस गांव के लिए सबसे बड़ी समस्या विद्यालय की है. ग्रामीणों द्वारा कई बार स्थानीय प्रशासन को आवेदन देकर गांव में स्कूल बनाने की गुहार लगाई गई, परंतु अबतक इस दिशा में किसी ने पहल नहीं की गई.



समाजसेवी फैयाज अहमद ने बताया कि सारी कमी हमारे जनप्रतिनिधियों की है. तमाम वायदे करते हैं और वोट पड़ने के बाद कभी पलट कर नहीं देखते. यहां के बच्चों का भविष्य अन्धकार में है. गांव में कोई स्कूल नहीं जिससे बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं. दूसरे गांव में बच्चों को नहीं भेज सकते, क्योंकि गांव का खडंजानुमा रास्ता सुनसान है. अगर हम गांव की बेटियों को बहार भेजते हैं तो अप्रिय घटना का डर रहता है.

इस मामले में जब एवीएसए भोजीपुरा सुरेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आया है, इस गांव के मनकों को चेक किया जाएगा और हमारी तरफ से एक प्रपोजल भेजा जाएगा अगर मानक ठीक है तो स्कूल जरूर होना चाहिए.

बरेली: बरेली जनपद भोजीपुरा विधानसभा का सालेपुर गांव ऐसा गांव है जहां आज भी विद्यालय नहीं है. गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने की सरकार कवायद कर रही है परंतु सुशिक्षित समाज एवं विकास की आधारशिला कही जाने वाली शिक्षा की व्यवस्था कोसो दूर है. यहां के बच्चों के लिए अबतक विद्यालय की व्यवस्था नहीं हो पाई है.


गांव में एक मात्र रास्ता है और वह जंगल से होकर गुजरता है. जहां कोई सवारी नहीं चलती, जिससे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को हर समय खतरा बना रहता है. सुनसान रास्ते और दोनों तरफ ईख होने की वजह से लोग अपने बच्चों को गांव से बहार नहीं भेजते. इस रोड पर कोई वाहन नहीं गुजरता है. गांव के कुछ लोग अपने वाहन से बच्चों को पास के गांव में अपनी गाड़ी से बच्चों को स्कूल भेजते हैं, तो वहीं अधिकतर लोग बच्चों को सुनसान रास्ता होने की वजह से गांव से बहार अकेले नहीं भेजते.

इस गांव में नहीं है एक भी स्कूल, जिम्मेदार अपना वादा गए भूल



क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण आशिक अली ने बताया कि यहां कभी स्कूल नहीं बना, हमारे बच्चे बगल के दो किलोमीटर दूर गांव में पढ़ने जाते हैं. जनप्रतिनिधियों से शिकायतों के बाबजूद भी स्कूल नहीं बन पाया, उन्होंने कहा जनप्रतिनिधि आते हैं तो सिर्फ वोट मांगने. गांव के ही शौकात अली कहते हैं कि इस गांव के लिए सबसे बड़ी समस्या विद्यालय की है. ग्रामीणों द्वारा कई बार स्थानीय प्रशासन को आवेदन देकर गांव में स्कूल बनाने की गुहार लगाई गई, परंतु अबतक इस दिशा में किसी ने पहल नहीं की गई.



समाजसेवी फैयाज अहमद ने बताया कि सारी कमी हमारे जनप्रतिनिधियों की है. तमाम वायदे करते हैं और वोट पड़ने के बाद कभी पलट कर नहीं देखते. यहां के बच्चों का भविष्य अन्धकार में है. गांव में कोई स्कूल नहीं जिससे बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं. दूसरे गांव में बच्चों को नहीं भेज सकते, क्योंकि गांव का खडंजानुमा रास्ता सुनसान है. अगर हम गांव की बेटियों को बहार भेजते हैं तो अप्रिय घटना का डर रहता है.

इस मामले में जब एवीएसए भोजीपुरा सुरेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आया है, इस गांव के मनकों को चेक किया जाएगा और हमारी तरफ से एक प्रपोजल भेजा जाएगा अगर मानक ठीक है तो स्कूल जरूर होना चाहिए.

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