ETV Bharat / state

बरेली: बच्चों के लिए घातक है ब्लू LED, बढ़ रही आंखों के मरीजों की संख्या - बरेली जिला अस्पताल

आधुनिकता के इस दौर में हम अपना ख्याल रखना मानो भूल से गए हैं या यूं कहे कि आधुनिक चीजों के इतने आदि हो गए हैं कि हम उससे दूर नहीं रह पा रहे हैं. वहीं बरेली जिले में आंखों से जुड़ी परेशानी के करीब 150 मरीज रोज आते हैं.

आंखों के मरीजों में हो रही बढ़ोतरी.
author img

By

Published : Oct 23, 2019, 12:29 PM IST

बरेली: हम 21वीं सदी में कदम रख चुके हैं, जहां आधुनिकता में हम किसी से भी पीछे नही हैं. आज के समय में स्मार्टफोन हर किसी के हाथों में नजर आता है. फिर चाहे वो युवा हों, बुजुर्ग हों या फिर बच्चे हों. वहीं इस आधुनिक जीवन शैली ने हमें नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. लगातार मोबाइल के इस्तेमाल ने आंखों को नुकसान पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.

आंखों के मरीजों में हो रही बढ़ोतरी.

करीब 150 मरीज रोज आते हैं अस्पताल
सरकारी अस्पताल में आंखों की परेशानी से जुड़े करीब 150 मरीज रोजाना आ रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह कि तीस फीसद की साझेदारी महज युवा वर्ग तक के लोगों की है. यानी रोजाना छोटी उम्र के बच्चों से 30 साल की उम्र के युवा तक के लोग हैं, जिनकी आंखों में दिक्कत आ रही है.

घंटो मोबाइल का उपयोग पहुंचा रहा आंखों को नुकसान
वजह यह है कि घरों में घंटों स्मार्ट फोन का उपयोग करना, एलईडी टीवी के सामने चिपके रहना और घंटों कंप्यूटर की एलईडी स्क्रीन पर काम करना. दिन-प्रतिदिन मोबाइलों का क्रेज बढ़ता जा रहा है, कई तरह के गेम आते जा रहे हैं. लोग घंटो-घंटो मोबाइल पर अपना टाइम बिताने लगे हैं. वहीं इसका बुरा असर हमारी आंखों में पड़ रहा है. ये सभी ब्लू एलईडी से निकलने वाले रेज हैं, जो नजरों को चपेट में ले रहे हैं. इससे रेटिना पर बुरा असर पड़ रहा है. नीली एलईडी लाइट के खौफनाक असर का एक सच यह भी है कि कई युवा उम्र के लोगों का चश्मे का पावर करीब-करीब दोगुना हो रहा है.

इसे भी पढ़ें- बाड़मेर के चौहटन में बांग्लादेशी गिरफ्तार, अमेरिकी डॉलर...मोबाइल और पासपोर्ट बरामद

कभी-कभी सिर दर्द करता है और चक्कर भी आते हैं, जिसके कारण मैं अपनी आंखें टेस्ट कराने आई थी. डॉक्टर ने बताया है कि रेटिना छोटा होता जा रहा है. ये लक्षण बहुत देर तक मोबाइल पर काम करने के कारण है, जिससे आंखों पर असर पड़ता है.
-काजल, छात्रा

मेरी बेटी तीन-तीन घंटे मोबाइल चलाती थी. मना करने पर भी नहीं मानती थी, जिसके कारण उसकी आंखों में प्रॉब्लम हो गई. अब मैं जिला अस्पताल में दिखाने आई हूं. यहां पर डॉक्टर ने कहना है कि यह दिक्कत जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी.
-शिखा, बच्ची की मां

आंखों के रेटिना के लिए नीली एलईडी ज्यादा नुकसानदायक है. कभी-कभी तो यह न ठीक होने वाला मर्ज देती है. स्मार्ट फोन, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से पर्याप्त दूरी बनाए रखें. वहीं अगर उपयोग करना जरूरी हो तो बीच-बीच में रुक-रुक कर और रोशनी में ही मोबाइल चलाएं.
-डॉ. सुषमा दीक्षित, मुख्य नेत्र परीक्षण अधिकारी,


बरेली: हम 21वीं सदी में कदम रख चुके हैं, जहां आधुनिकता में हम किसी से भी पीछे नही हैं. आज के समय में स्मार्टफोन हर किसी के हाथों में नजर आता है. फिर चाहे वो युवा हों, बुजुर्ग हों या फिर बच्चे हों. वहीं इस आधुनिक जीवन शैली ने हमें नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. लगातार मोबाइल के इस्तेमाल ने आंखों को नुकसान पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.

आंखों के मरीजों में हो रही बढ़ोतरी.

करीब 150 मरीज रोज आते हैं अस्पताल
सरकारी अस्पताल में आंखों की परेशानी से जुड़े करीब 150 मरीज रोजाना आ रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह कि तीस फीसद की साझेदारी महज युवा वर्ग तक के लोगों की है. यानी रोजाना छोटी उम्र के बच्चों से 30 साल की उम्र के युवा तक के लोग हैं, जिनकी आंखों में दिक्कत आ रही है.

घंटो मोबाइल का उपयोग पहुंचा रहा आंखों को नुकसान
वजह यह है कि घरों में घंटों स्मार्ट फोन का उपयोग करना, एलईडी टीवी के सामने चिपके रहना और घंटों कंप्यूटर की एलईडी स्क्रीन पर काम करना. दिन-प्रतिदिन मोबाइलों का क्रेज बढ़ता जा रहा है, कई तरह के गेम आते जा रहे हैं. लोग घंटो-घंटो मोबाइल पर अपना टाइम बिताने लगे हैं. वहीं इसका बुरा असर हमारी आंखों में पड़ रहा है. ये सभी ब्लू एलईडी से निकलने वाले रेज हैं, जो नजरों को चपेट में ले रहे हैं. इससे रेटिना पर बुरा असर पड़ रहा है. नीली एलईडी लाइट के खौफनाक असर का एक सच यह भी है कि कई युवा उम्र के लोगों का चश्मे का पावर करीब-करीब दोगुना हो रहा है.

इसे भी पढ़ें- बाड़मेर के चौहटन में बांग्लादेशी गिरफ्तार, अमेरिकी डॉलर...मोबाइल और पासपोर्ट बरामद

कभी-कभी सिर दर्द करता है और चक्कर भी आते हैं, जिसके कारण मैं अपनी आंखें टेस्ट कराने आई थी. डॉक्टर ने बताया है कि रेटिना छोटा होता जा रहा है. ये लक्षण बहुत देर तक मोबाइल पर काम करने के कारण है, जिससे आंखों पर असर पड़ता है.
-काजल, छात्रा

मेरी बेटी तीन-तीन घंटे मोबाइल चलाती थी. मना करने पर भी नहीं मानती थी, जिसके कारण उसकी आंखों में प्रॉब्लम हो गई. अब मैं जिला अस्पताल में दिखाने आई हूं. यहां पर डॉक्टर ने कहना है कि यह दिक्कत जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी.
-शिखा, बच्ची की मां

आंखों के रेटिना के लिए नीली एलईडी ज्यादा नुकसानदायक है. कभी-कभी तो यह न ठीक होने वाला मर्ज देती है. स्मार्ट फोन, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से पर्याप्त दूरी बनाए रखें. वहीं अगर उपयोग करना जरूरी हो तो बीच-बीच में रुक-रुक कर और रोशनी में ही मोबाइल चलाएं.
-डॉ. सुषमा दीक्षित, मुख्य नेत्र परीक्षण अधिकारी,


Intro:एंकर:-हमारे आसपास स्मार्ट होते संसाधनों के बीच हमें बुद्ध बना रखा है। सरकारी अस्पताल में आंखों की परेशानी से जुड़े करीब 150 मरीज रोजाना आ रहे हैं । चौंकाने वाली बात यह कि तीस फीसद की साझेदारी महज युवा वर्ग तक के लोगों की है। 


Body:Vo1:-यानी , रोजाना छोटी उम्र के बच्चों से 30 साल की उम्र के युवा तक के लोग है। वजह सीमित हैं , घरों में घंटों स्मार्ट फोन , एलईडी टीवी के सामने चिपके रहना । घंटों कंप्यूटर की एलईडी स्क्रीन पर काम करना । ये सभी ब्लू एलईडी से निकलने वाले बेहिसाब फोयन से सीधे नजरों को चपेट में ले रहे । इससे रेटिना पर तो बुरा असर पड़ रह्य है । नीली एलईडी लाइट के खौफनाक असर का एक सच यह भी है कि कई युवा की उम्र से चश्मे का पावर करीब - करीब दोगुना है।


Vo2:- जिला अस्पताल में आई हुई छात्रा काजल जो बरेली कॉलेज से एमकॉम कर रही हैं उनका कहना है। कभी-कभी सर दर्द करता है और चक्कर भी आते हैं जिसके कारण आज मैं अपनी आंखे टेस्ट कराने आई थी डॉक्टर ने बताया है कि रेटिना छोटा होता जा रहा है।ये लक्षण बहुत देर तक मोबाइल पर काम करने के कारण होता है।जिससे आंखों पर असर पड़ता है।

बाइट:-काजल (छात्रा)


Vo3:- वहीं जिला अस्पताल आई हुई शिखा अरोरा अपनी ढाई साल की लड़की को दिखाने आई थी जिसकी आंखों में दिक्कत थी शिखा का कहना था की मेरी बेटी तीन-तीन घंटे मोबाइल चलाती थी मना करने पर भी नहीं मानती थी जिसके कारण उसकी आंख में प्रॉब्लम हो गई अब मैं जिला अस्पताल में दिखाने आई हूं डॉक्टर ने कहा है जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी।

बाइट:- शिखा बच्ची की माँ
Vo4:-आंखों के रेटिना के लिए नीली एलईडी सहासे ज्यादा नुकसानदायक है । कभी - कभी तो राहन ठीक होनेवाला मर्जदेतीहै । इसलिए स्मार्ट फोन , टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से पर्याप्त दूरी बनाए रखें । उपयोग करना जरूरी हो तो बीच - बीच में रुककरऔर रोशनी में ही चलाएं ।

बाइट:- सुषमा दीक्षित , मुख्य नेत्र परीक्षण अधिकारी , जिला अस्पताल




Conclusion:Fvo:- जिस तरह से दिन पर दिन मोबाइलों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। कई तरह के गेम आते जा रहे हैं लोग घंटो घंटो मोबाइल पर अपना टाइम बिताते हैं कहीं ना कहीं इसका बुरा असर हमारी आंखों में पड़ता है वही हमें आंखों का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि पलूशन के इस दौर में आंखों को दिनभर तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हमें आंखों का ख्याल सही तरीके से रखना पड़ेगा जिससे हम इस तरह की समस्याओं से बच सकें।

रंजीत शर्मा

9536666643

ईटीवी भारत,बरेली।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.